Indo-Pacific में अपना प्रभुत्व बढ़ाने और वैश्विक व्यापार में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए “सागरमाला प्रोजेक्ट” के तहत भारत सरकार ने वर्ष 2035 तक देश के Port Projects में 82 बिलियन डॉलर (6 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक देश में 400 प्रोजेक्ट्स निवेश के अवसर प्रदान करने के लिए पहले ही तैयार हैं। सरकार ने वर्ष 2030 तक 23 waterways को तैयार करने का फैसला लिया है। योजना के अंतर्गत बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार को भी देश के Ports के साथ जोड़ा जाएगा ताकि भारत का इन देशों से व्यापार बढ़ सके। इससे ना सिर्फ इन देशों में भारत का आर्थिक प्रभाव बढ़ेगा बल्कि इससे क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को भी चुनौती मिलेगी!
दक्षिण एशियाई देशों की आपसी Connectivity की कमी इस क्षेत्र में विकास ना होने की सबसे बड़ी वजह रही है। दक्षिण एशियाई देशों के कुल व्यापार में आपसी व्यापार का हिस्सा केवल 5 प्रतिशत है जबकि ASEAN देश अपने व्यापार का करीब 25 प्रतिशत अन्य ASEAN देशों से ही करते हैं। भारत दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति होने के नाते अगर बाकी सभी देशों के साथ Port Connectivity पर काम करता है तो इससे भारत Connectivity की समस्या को सुलझाकर इन देशों के साथ व्यापार को बढ़ा सकता है।
दक्षिण एशिया के साथ-साथ भारत अपने इन प्रोजेक्ट्स के माध्यम से हिन्द महासागर के देशों के साथ भी व्यापार बढ़ाने की कोशिश करेगा। भारत ने हाल ही में Mauritius के साथ भी एक Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement (CECPA) साइन करने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है। इसके बाद इस अफ्रीकी देश को भारतीय बाज़ार में प्राथमिक तौर पर पहुँच मिलेगी, जिसका Mauritius की इकॉनमी को बहुत फायदा होगा।
भारत अपने Port Projects के माध्यम से ASEAN देशों के साथ भी अपने व्यापारिक संबंध और मजबूत कर सकता है। ASEAN देशों में बढ़ते चीन के आर्थिक प्रभाव के कारण इन देशों को बेहतर विकल्प की आवश्यकता है जो इन छोटे देशों को वैश्विक सप्लाई चेन के साथ जोड़कर रख सके। ऐसे में ASEAN के छोटे देश वैश्विक व्यापार में और अधिक सक्रिय भागीदारी के लिए भारत के ports का इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत निकट भविष्य में एक बड़ी नेवल शक्ति बनना चाहता है और ऐसे में हिन्द महासागर के अधिकतर व्यापार पर भारत की पकड़ होना अत्यंत अनिवार्य है। ऐतिहासिक तौर पर भी भारत के दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ मजबूत आर्थिक और व्यापारिक संबंध रहे हैं। ऐसे में भारत अपनी नई पोर्ट रणनीति के तहत इन देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर सकता है।