26 मार्च को बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर शेख हसीना द्वारा पीएम नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित करना और पीएम मोदी का दो दिवसीय की यात्रा पर जाना एक साथ अनेकों संदेश देने वाला है। पीएम मोदी का मुख्य अतिथि बनकर बांग्लादेश की यात्रा पर जाना दोनों देशों के लिए कूटनीतिक रूप से काफी सकारात्मक बात है, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि अपनी यात्रा के दौरान पीएम दो मंदिरों में दर्शन के लिए भी जाएंगे, जो कि पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय के लिए आस्था का प्रतीक माने जाते हैं। ऐसे में जब पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे को लेकर वहां के कुछ कट्टरपंथी विरोध कर रहे हैं तो पीएम ने यात्रा पर जाने के साथ मंदिरों में जाने की प्लानिंग करके इस्लामिक कट्टरपंथियों को भी एक कड़ा संदेश दिया है कि वो कभी भी अपने धर्म और संस्कृति से समझौता नहीं करेंगे। इसके साथ ही पीएम के इन मंदिरों में दौरे से बंगाल के विधानसभा चुनावों पर भी असर पड़ेगा, जो कि बीजेपी के लिए सकारात्मक हो सकता है।
पीएम मोदी 26 मार्च को बांग्लादेश की दो दिवसीय यात्रा पर ढाका पहुंचे हैं। पीएम मोदी की इस यात्रा के कूटनीतिक पहलू काफी अहम हैं। इसके जरिए भारत और बांगलादेश ने चीन और पाकिस्तान को एक बड़ा संदेश दिया है। वहीं पीएम के दौरे का कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी लोग भी विरोध कर रहे थे। ढाका विश्वविद्यालय के 200 से ज्यादा वामपंथी छात्रों ने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर मोदी की यात्रा का विरोध किया, जिसके बाद बांग्लादेश के प्रशासन ने विरोध के नाम पर अराजकता फैला रहे लोगों को गिरफ्तार कर स्थिति को सहज कर दिया है।
यही नहीं बांग्लादेश के हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे कई इस्लामी कट्टरपंथी समूहों ने पीएम मोदी की ढाका में प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन करने की धमकी दी है। हालांकि, बांग्लादेश ने सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है।
बता दें कि ये वही संगठन है जिसने हाल ही में हिन्दुओं के एक गांव नौगांव पर हमला किया था और करीब 80 घरों को नष्ट कर दिया। ऐसे में पीएम मोदी का बांग्लादेश जाना और बड़ी तादाद में हिन्दुओं का एकजुट होकर उनका स्वागत करना इन इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए कड़ा सन्देश है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएम मोदी अपनी यात्रा के दौरान बांग्लादेश की स्वतंत्रता आजादी के लिए शहीद हुए जवानों के लिए बनाए गए शहीद स्थल पर भी जाएंगे, लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि पीएम मोदी बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के मंदिरों के दर्शन के लिए भी जाएंगे। प्रोटोकॉल के मुताबिक पीएम मोदी शनिवार को बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम स्थित सतखीरा और गोपालगंज के जेशोरेशवरी और ओरकांडी मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगे। वहीं मोदी की यात्रा को लेकर जेशोरेश्वरी काली मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी ने कहा, “इस ऐतिहासिक मंदिर में पीएम मोदी के स्वागत के लिए हमने सभी तैयारियां की हैं। हम आशा करते हैं कि वह भारत और बांग्लादेश के लाखों लोगों के लिए प्रार्थना करेंगे।”
बता दें कि पीएम मोदी जिन दो मंदिरों में दर्शन करने जायेंगे वो पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक माने जाते हैं, और बंगाल में मतुआ समुदाय की एक बड़ी आबादी है जो कि अब खुलकर पीएम मोदी और बीजेपी का समर्थन करने लगी है। वहीं, ध्यान देने वाली बात ये है कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले पीएम वहां जाकर सांकेतिक रूप से मतुआ समुदाय के प्रति सम्मान और उनके धार्मिक हितों को बल दे रहे हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि पीएम मोदी का ये दौरा पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों को बीजेपी के परिपेक्ष्य में सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
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हालांकि, पीएम का मंदिरों में जाना उनके विरोधियों और इस्लामिक कट्टरपंथियों लिए भी एक बड़ झटका है। कई बार ऐसे मौके आए हैं कि जब पीएम मोदी किसी विदेश यात्रा पर गए तो कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उनका विरोध किया। ऐसे में बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देश के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर हिंदुओं के मंदिरों में जाकर पीएम मोदी विरोध करने वाले उन सभी कट्टरपंथियों को ये संदेश दे रहे हैं कि वो अपने धर्म और संस्कृति से किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं करेंगे।
इन सभी परिस्थितियों ध्यान में रखते हुए ये कहा जा सकता है कि पीएम मोदी बांग्लादेश की अपनी यात्रा के जरिए कूटनीतिक रिश्तों को तो मजबूत कर ही रहे हैं लेकिन वो पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों पर अपनी पार्टी के लिए सांकेतिक तौर पर सकारात्मक माहौल भी बना रहे हैं, जो कि इस्लामिक कट्टरपंथियों को चुभ रहा है।