अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण हेतु युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही है। इसी बीच एक ऐसी खबर आई है जो ना सिर्फ भारत की विविधता का उत्सव मनाता है, अपितु देशवासियों के बीच उत्तर दक्षिण की कथित दरार को ध्वस्त करने का भी काम करेगा। दरअसल, तिरुपति तिरुमला देवस्थानम बोर्ड ने प्रस्ताव रखा है कि अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के साथ साथ भगवान वेंकटेश्वर यानी विष्णु के स्वरूप का भी निर्माण किया जाए।
जी हां, आपने ठीक सुना। अयोध्या में भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर निर्माण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रबंधकों ने प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के अनुसार,
“तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से याचना की है कि उन्हें भी अयोध्या में भूमि आवंटित की जाए, ताकि श्री वेंकटेश्वर मन्दिर का निर्माण किया जा सके”।
यही नहीं, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम से जुड़े अफसर ने आगे बताया, “यदि हमें भूमि आवंटित की जाती है, तो श्री वेंकटेश्वर मन्दिर का निर्माण अयोध्या में भी होगा। इसके साथ साथ हम TTD की ओर से भजन मंदिरम यानी प्रार्थना सभा एवं अन्य सुविधाओं का भी निर्माण करेंगे” ।
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम नामक तीर्थस्थल देश के सबसे धनाढ्य तीर्थ स्थलों में शामिल है। विश्व में सभी धार्मिक स्थलों में हिन्दू तीर्थस्थल सबसे समृद्ध धार्मिक स्थल माने जाते हैं। सनातनी हिन्दू धार्मिक उद्देश्यों के लिए काफी धन दान करते हैं, इसलिए हिन्दू मंदिरों में सदियों से धन की कोई कमी नहीं है। वैटिकन में हर वर्ष आने वाले आगंतुकों से लगभग दोगुनी संख्या में लोग तिरुपति देवस्थानम के दर्शन के लिए आते हैं। स्पष्ट है कि अयोध्या में भी वेंकेश्वरा मंदिर का बनना दक्षिण भारत के लोगों को आकर्षित करेगा।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने ऐसा अनोखा प्रस्ताव रखा है। 2019 के अंत में इसी बोर्ड ने प्रस्ताव रखा था कि जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, देश के कोने कोने में भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर स्थापित किये जायेंगे।
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने यूपी सरकार और जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के प्रस्ताव को स्वीकारते हुए दोनों राज्यों में भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान बालाजी का मंदिर स्थापित करने का निर्णय लिया था।
बोर्ड अध्यक्ष वाई वी सुब्बा रेड्डी के अनुसार, “जम्मू कश्मीर एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों ने हमें प्रस्ताव दिया कि बालाजी स्वामी का मंदिर इन दोनों राज्यों में बनाया जाये, जिसके लिए उन्होंने आवश्यक भूमि भी प्रदान करने का विश्वास दिलाया”।
अयोध्या में इस मंदिर से उत्तर दक्षिण की कथित दरार पर भी करारा प्रहार किया जाएगा। सांस्कृतिक रूप से भारत का कोई भी क्षेत्र दूसरे से भिन्न नहीं रहा है, लेकिन भांति भांति के आक्रमण और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीतियों के कारण दक्षिण और उत्तर भारत में एक काल्पनिक दीवार खड़ी कर दी गई थी।
परन्तु अब और नहीं। जिस प्रकार से तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने अयोध्या में श्रीराम के मंदिर निर्माण के साथ साथ भगवान वेंकटेश्वर मन्दिर के निर्माण का प्रस्ताव रखा है, उससे ना सिर्फ भारत सांस्कृतिक रूप से दोबारा सशक्त होगा, अपितु उत्तर दक्षिण की काल्पनिक दीवार भी पूरी तरह ध्वस्त कर दी जाएगी।