तो क्या हुआ अगर सीसीपी ने अमेरिका को अलास्का में बेइज्जत किया? Wall Street को तो फायदा हो रहा

वॉल स्ट्रीट के तो मज़े है चाइना में!

Goldman Sachs

Alaska में अमेरिका के मुख्य राजनयिकों को हाल ही में चीनी Wolf Warrior Diplomacy का स्वाद चखने को मिला! बाइडन प्रशासन शब्दों की कमी के अभाव में आक्रामक चीनी पक्ष के सामने संघर्ष करता हुआ दिखाई दिया। हालांकि, खबर सिर्फ इतनी नहीं है। एक तरफ जहां चीन द्वारा बाइडन प्रशासन को लताड़ा जा रहा है, तो वहीं अमेरिकी कंपनियाँ अब भी चीन में अपने निवेश को बढ़ाने पर ज़ोर दे रही हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में Goldman Sachs ने अपनी चीनी ब्रांच की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है। बैंकिंग क्षेत्र में चीनी Joint Venture में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने वाला Goldman Sachs पहला बैंक बन जाएगा!

वर्ष 2020 अमेरिका-चीन व्यापार समझौते के तहत चीनी सरकार ने किसी अमेरिकी कंपनी द्वारा चीन में निवेश सीमा को हटा दिया था। Goldman Sachs के CEO Richard Gnodde ने निवेशकों को बताया कि इस सदी के मध्य तक बैंक 100 बिलियन डॉलर के राजस्व का अधिकतर हिस्सा अपनी जेब में करने के योग्य हो जाएगा। ऊंची ब्याज़ दर और तेजी से विकास करती चीनी करेंसी के कारण अमेरिकी निवेशक चीन में निवेश करने को आतुर हैं। Goldman Sachs चीन में नए पेशेवरों को भर्ती करने की भी इच्छुक है, ताकि वे चीनी एक्सपर्ट्स से बढ़िया सुझाव ले सकें।

Alaska में पिछले दिनों चीनी और अमेरिकी पक्ष में झड़प के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भविष्य में चीन में अमेरिकी व्यावसायिक हितों को बड़ा नुकसान पहुँच सकता है। ओबामा प्रशासन के समय के चीनी एक्सपर्ट Ryan Hass के मुताबिक “चीन ने पूर्व में Wall Street पर अपने प्रभाव और बड़े-बड़े CEOs के जरिये अमेरिकी प्रशासन को अपने सामने झुकने पर मजबूर किया है। हालांकि, बाइडन प्रशासन के अंतर्गत शायद चीन की ये कोशिशें कोई रंग ना ला सके।” अब जिस प्रकार Goldman Sachs चीन में अपने व्यवसाय को बढ़ाता चला जा रहा है, वह चीन द्वारा अमेरिका को दिये ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने के समान है।

वर्ष 2020 के अंत तक Goldman Sachs ने चीनी व्यापारियों और चीनी कंपनियों को 17.5 बिलियन डॉलर का निवेश प्रदान किया था, जो कि पिछले दो सालों के मुक़ाबले तकरीबन दोगुना है। बैंक आने वाले पाँच सालों में अपनी लोकल वर्कफोर्स को 600 तक ले जाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। Goldman Sachs चीन में अपने व्यवसाय को शुरू से ही विस्तृत करने की योजना पर काम करता आया है, लेकिन अब तक उसे बड़ी सफलता नहीं मिली थी। हाल ही में चीन में हुए तियानमेन नरसंहार के सिर्फ चार वर्षों बाद Goldman Sachs ने बीजिंग और शंघाई में चीनी शाखाओं को खोलने का फैसला लिया था। वर्ष 2004 में बैंक ने चीनी कंपनी Gao Hua Securities के साथ मिलकर अपनी शाखा में एक तिहाई हिस्सेदारी रखकर Joint Venture की स्थापना की थी।

अब Goldman Sachs ने साफ़ संदेश दे दिया है कि चीन को लेकर चाहे अमेरिकी प्रशासन कैसी भी नीति अपनाए, लेकिन वह अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए चीन में अपने operations को बढ़ाने के लिए तैयार बैठा है। इसी कड़ी में अब उसने अपनी चीनी शाखा में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का फैसला लिया है। यह घटना दिखाती है कि कैसे अब चीन को लेकर White House और अमेरिकी कॉर्पोरेट का रुख विपरीत दिशाओं में जाता दिखाई दे रहा है। एक तरफ जहां चीनी सरकार अमेरिका को नीचा दिखाने पर तुली हुई है, तो वहीं दूसरी ओर अमेरिकी कंपनियाँ अपनी जेबों में निवेश हेतु अरबों रुपये लेकर चीन की ओर कूच कर रही हैं।

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