बाइडन प्रशासन ने अपने पहले महीने में यह साबित कर दिया है कि विदेश नीति तय करने के मामले में अब तक वे फिसड्डी साबित हुए हैं। वे पहले दिन से अमेरिकी विदेश नीति पर से ट्रम्प के साये को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका के साथी बाइडन को ऐसा करने नहीं दे रहे हैं। उदाहरण के लिए अब दक्षिण कोरिया ने बाइडन के हाथ-पैर बांधने के लिए एक शानदार कदम चला है।
दरअसल, दक्षिण कोरिया अब Quad समूह में शामिल होना चाहता है, जो अनाधिकारिक तौर पर एक चीन-विरोधी गुट है जिसके भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया सदस्य हैं। अब दक्षिण कोरिया इस समूह में शामिल होकर बाइडन प्रशासन पर दबाव बनाना चाहता है ताकि बाइडन उत्तर कोरिया को लेकर ट्रम्प की नीति में कोई बदलाव ना कर सकें।
The Hill के एक लेख से यह स्पष्ट हुआ है कि दक्षिण कोरिया की राजधानी में वाकई Quad को लेकर उत्साह देखने को मिला है। हालांकि, यहाँ पर बड़ा सवाल यह है कि Quad में शामिल होकर दक्षिण कोरिया चाहता क्या है? यह बात किसी से छुपी नहीं है कि दक्षिण कोरिया अब उत्तर कोरिया के साथ शांति स्थापित करने का इच्छुक है और जिस प्रकार ट्रम्प ने सीधे तौर पर उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन के साथ वार्ता को आगे बढ़ाया था, दक्षिण कोरिया अब वही उम्मीद बाइडन से भी लगाए बैठा है। The Hill के लेख के मुताबिक “दक्षिण कोरिया Quad plus में शामिल होकर अमेरिका-दक्षिण कोरिया के सम्बन्धों के प्रति प्रतिबद्धता ज़ाहिर करना चाहता है, और इस प्रकार वह बाइडन की उत्तर कोरिया नीति को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।”
लेख में आगे लिखा है “दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति का मानना है कि अंतर-कोरियाई सुलह प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए जमीनी कार्य करना उनका कर्तव्य है। ऐसा करने के लिए उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को कम करना आवश्यक है। नहीं तो उत्तर कोरिया का आर्थगिक विकास नहीं हो सकेगा, जिसकी अभी उसे सबसे अधिक आवश्यकता है।” अब दक्षिण कोरिया के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाइडन प्रशासन उत्तर कोरिया के Denuclearization को सबसे अधिक प्राथमिकता देता है, और ऐसे में अमेरिका उत्तर कोरिया पर से प्रतिबंध हटाने के रास्ते में रोड़े अटका सकता है। राष्ट्रपति ओबामा की तरह अगर बाइडन भी उत्तर कोरिया को लेकर “रणनीतिक धैर्य” की नीति को अपनाते हैं, तो यह दक्षिण कोरिया के हितों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
यही कारण है कि दक्षिण कोरिया Quad में शामिल होकर बाइडन पर दबाव बनाना चाहता है, क्योंकि Quad में पहले से ही भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे ट्रम्प प्रशासन के करीबी साथी देश मौजूद हैं और ऐसे में ये सभी देश मिलकर उत्तर कोरिया को लेकर भी बाइडन पर ट्रम्प की नीति का ही पालन करने के दबाव बना सकते हैं और बाइडन के लिए चाहकर भी इन देशों के खिलाफ जाना संभव नहीं होगा।
उत्तर कोरिया को Quad में शामिल होने के बाद चीनी समस्या से निपटने में भी सहायता मिलेगी। उत्तर कोरिया पर चीन का बेहद ज़्यादा प्रभाव है, जिसके कारण अंतर-कोरियाई सुलह प्रक्रिया में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। चीन उत्तर कोरिया पर अपना प्रभाव बरकरार रख इस न्यूक्लियर देश को अपने हितों के मुताबिक इस्तेमाल करना चाहता है। हालांकि, चूंकि Quad एक चीन-विरोधी गुट है, ऐसे में दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया पर से चीनी प्रभाव कम करने में भी सहता मिल सकती है।
आखिर में Quad के जरिये दक्षिण कोरिया जापान के साथ अपने तनावपूर्ण रिश्तों को शांत करने का प्रयास कर सकता है। दक्षिण कोरिया और जापान के बीच ऐतिहासिक तौर पर रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। हालांकि, Quad plus फ्रेमवर्क के तहत दक्षिण कोरिया और जापान एक साथ आकर चीन और उत्तर कोरिया जैसे ज़्यादा महत्वपूर्ण मुद्दों पर फोकस कर सकते हैं।