ताइवान कैबिनेट में हुई फेरबदल, चीन की धमकियों और अमेरिका के बदतले रुख को एक करारा जवाब है

ताइवान ने अपने रक्षा मंत्री और National Security Bureau निदेशक के पदों पर किए हैं बड़े बदलाव

ताइवान आज भी पूर्ण रूप से आजादी के लिए लड़ रहा है और चीन उसे अपने कब्जे मे करने के लिए दिन रात एक किए हुए है। अब ताइवान सरकार ने चीन को बड़ा झटका देते हुए अपने कैबिनेट में एक बड़ा बदलाव किया है।दरअसल, ताइवान ने अपने मंत्रालय में बड़ा उलटफेर करते हुए रक्षा मंत्री और National Security Bureau के निदेशक के पदों पर बड़े बदलाव किए हैं।

Chiu Kuo-cheng, जो की पहले National Security Bureau की निर्देशक थी अब उन्हे ताइवान के रक्षा मंत्री का पद संभालने के लिए मौका दिया गया है। Chiu की चयन से यह बात साफ जाहिर हो रही है की ताइवान सरकार Chiu की दक्षता और विशेषज्ञता का पूरा प्रयोग करना चाहती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार Chiu इस पद पर बेहद सफल होंगी और ताइवान की सुरक्षा को नया मोड़ देंगी।

दूसरे तरफ National Security Bureau की कमान ChenMing-Tong को दी गई है। इससे पहले वो  Mainland Affairs Council की मंत्री थी, Chen के पास मिलिटरी और Intelligence का कोई अनुभव नहीं है, फिर भी उनको NSB का अधीक्षक बनाया गया है क्योंकि आज ताइवान को अपने संप्रभुता के खतरे से लड़ने से पहले उसे पहचानना और स्पष्ट करना ज़रूरी है। ऐसे में ताइवान के लिए ज़रूरी था कि चीन के मुद्दे पर विशेषज्ञों को मौका दिया जाए। Chen को चीन का ‘old china hand’ भी कहते है।

इस चयन से पहले ताइवान के रक्षा मंत्री और National Security Bureau कभी एक साथ काम  नहीं करते थे, क्योंकि ताइवान की  सरकार को डर था की दोनों सुरक्षा से जुड़े पद एकाधिकार के तरफ न खींच लें, पर अब ताइवान ने इस डर से ज्यादा महत्व चीन की विस्तारवादी नीति को दिया हैं , उससे लड़ने के लिए Taiwan ने यह निर्भीक फैसला लिया है।

रिपोर्ट्स की माने तो चीन पहले से भी ज्यादा आक्रामक रवैया अपना रहा है, और अब अमेरिका में नई सरकार बनने के बाद चीन का मनोबल बढ्ने के कयास भी लगाए जा रहे हैं। इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के ऊपर निरंतर अंकुश लगा रखा था। लेकिन, जो बाइडन चीन के प्रति अभी तक नरमी से पेश आ रहे थे, जिसके चलते ताइवान ने अपने हाथ में सुरक्षा के ज़िम्मेदारी ली और अपने कैबिनेट में बड़े बदलाव किए।

Taiwan का यह नया कदम कितना सफल होता है, यह तो वक़्त ही बताएगा। लेकिन यह बात स्पष्ट है की ताइवान का यह कदम उसके आंतरिक सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी था। यह नया बदलाव यह भी बताता है कि Taiwan चीन की मनमानी की वजह से दुनिया से उम्मीद न लगाके, अब आत्मनिर्भर बन रहा है।

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