विधायकी बचाने के लिए TMC को आग में जलता छोड़ भागीं ममता, सारा ध्यान सिर्फ नंदीग्राम पर केन्द्रित

बाकी बंगाल गया तेल लेने, ममता का Focus सिर्फ अपनी सीट पर है!

TMC गोवा

ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल के चुनाव में अब और तेज़ी आती दिखाई दे रही है। नंदीग्राम में दूसरे चरण के चुनाव के तहत एक अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, इसलिए आज मंगलवार शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा, लेकिन उससे पहले ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जब से पहले चरण में लोगों का हुजूम वोटिंग बूथ पर उतरा है, उससे ममता बनर्जी डरी हुई हैं।

अब उनका और TMC का एक मात्र मकसद नंदीग्राम का युद्ध जीतना है। यही कारण है कि वे अपनी पूरी ताकत राज्य के अन्य क्षेत्र को छोड़ नंदीग्राम में लगा रही हैं, जिससे बीजेपी के लिए अन्य क्षेत्रों में चुनाव जीतना आसान हो चुका है।

आज नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पदयात्रा कर रही हैं। वहीं शुभेंदु अधिकारी के समर्थन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का रोड शो है। आज जब ममता बनर्जी के रोड शो का काफिला अमित शाह के रोड शो की जगह के पास से गुजरा तो लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाए।

एक ओर दीदी वहां डेरा डाले हुए हैं, वहीं दूसरी ओर उनके प्रतिद्वंद्वी शुवेंदु अधिकारी एक के बाद एक बयान देकर उनकी पोल खोल रहे हैं। सोमवार को ही नंदीग्राम में चुनावी रैली के दौरान शुवेंदु ने कहा, “ममता बनर्जी को ‘ईद मुबारक’ कहने की आदत है, इसीलिए उन्होंने आज होली की बधाई की जगह आप सभी को ‘होली मुबारक’ कहा।

बेगम को वोट मत दीजिए। अगर आप बेगम को वोट देंगे तो यह (बंगाल) मिनी पाकिस्तान बन जाएगा। बेगम, सूफियान के अलावा किसी को नहीं जानतीं। बेगम अचानक बदल गईं और मंदिरों में जाने लगीं, क्योंकि उन्हें हार जाने का डर है।”

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रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को तो ममता बनर्जी को भीड़ की कमी से जूझना पड़ा और सभा को विलंब से शुरू करने पर बाध्य होना पड़ा। इसी का तो डर था, जिससे ममता बनर्जी डर रही थी और 3 दिनों से नंदीग्राम में ही डेरा डाल अपने चुनाव सहित राजनीतिक कैरियर के अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रही हैं।

दूसरे चरण के चुनाव में लगभग 30 सीटों पर चुनाव होने हैं, बावजूद इसके ममता बनर्जी का नंदीग्राम से बाहर नहीं निकलना, उनकी हार का ही डर दिखाता है। साथ ही उऩके किसी और सीट पर प्रचार के लिए न जाना बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होने जा रहा है और ऐसा लगता है कि एक सीट के कारण ममता अन्य 29 सीटों से भी हाथ धो बैठेंगी।

ममता ने नंदीग्राम से‌ चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया था, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि नंदीग्राम टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी का गढ़ है। साथ ही बीजेपी के लिए फायदे वाली बात ये भी है कि शुवेंदु की सीट पर जो हवा देखने को मिलेगी, वो हवा ही उस सीट के आस पास पूरे जंगल महल की 70 सीटों पर भी होगी।

ऐसे में ममता के सामने इतनी बड़ी चुनौती है कि ममता को अपनी हार का डर सता रहा है, जिसके चलते उन्होंने शुवेंदु के सहयोगी और टीएमसी से बीजेपी में गए प्रलय पाल से मदद भी मांगी थी।

इस पूरे प्रकरण का विश्लेषण कर ये कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी अब अपनी चुनावी हार के डर से हड़बड़ा गईं हैं। ये सब यूं ही नहीं हुआ है बल्कि चुनाव शुरू होने से पहले से ही तय हो चुका था। जिस तरह से बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में तैयारी की और जिस तरह से ग्राउंड वर्क हुआ था, वह ममता को भी पता था।

बीजेपी के उदय ने ममता और TMC के कैम्प में खलबली मचा दी थी। ममता बनर्जी ने राज्य की हर मशीनरी का इस्तेमाल किया, जिससे बीजेपी के उदय को रोका जा सके चाहे वो बीजेपी नेताओं के खिलाफ हिंसा हो या अपने टूटे हुए पैर का ढोंग हो।

हालाँकि जनता भी कई वर्षों से उनके नाटक को देख अब तंग आ चुकी है और अब उन्हें सत्ता से हटाने के लिए बेचैन है। शायद यही कारण है कि वे अब सिर्फ अपना ध्यान नंदीग्राम पर लगाना चाहती हैं, जिससे TMC की नहीं कम से कम उनकी सीट बच जाए। इसी चक्कर में अब पूरा का पूरा पश्चिम बंगाल उनके हाथ से निकल चुका है।

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