आग लगने पर कुछ लोग बुझाने के लिए उस पर पानी डालते हैं तो कुछ लोग उसे और प्रचंड करने के लिए घी डालते हैं। पश्चिम बंगाल में भी अब यही हो रहा है, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दुर्घटना में चोटिल हो गईं तो पहले ममता दीदी ने बीजेपी पर इस मामले में बिना सोचे समझे आरोप लगाकर एक सियासी आग लगाई, वहीं अब TMC के नेता मदन मित्रा इस घटना के जरिए राज्य में हिंसा की आग को भड़काने के लिए वहां आक्रामक बयानों का हिंसात्मक घी डाल रहे हैं, क्योंकि वो गुजरात के गोधरा से इस घटना की तुलना कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान चोट क्या लगी, उनकी पार्टी TMC के नेता हिंसा फैलाने की प्लानिंग करने लगे, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने साफ कहा है कि ममता के साथ किसी ने हिंसा नहीं की और वो बीजेपी पर गलत आरोप लगा रही हैं। ममता के साथ हुए हादसे को प्रायोजित बताकर ममता और TMC के नेता भावनात्मक कार्ड खेल रहे हैं। वहीं TMC नेता मदन मित्रा तो इस भावनात्मक कार्ड के जरिए राज्य में हिंसा भड़काने की प्लानिंग कर रहे हैं, जो कि असल में शर्मनाक है। हालांकि अब ममता बनर्जी ही अपने बयान से पलटी मार चुकी हैं।
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मदन मित्रा वैसे भी विवादित बयान देने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में अब उन्होंने अपनी नेत्री के साथ हुए हादसे को एक अलग ही रंग दे दिया है। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि यह अच्छी तरह से प्रशिक्षित लोगों द्वारा किया गया था जो कि ‘निक्कर‘ में प्रशिक्षण लेते हैं। अगर इस प्रकार की घटना किसी अन्य राज्य में होती, मान लीजिए गुजरात तो यह एक और गोधरा बन जाता।” इस पूरे मामले के लिए TMC नेता पार्थो चटर्जी ने चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है जो कि बंगाल में कानून व्यवस्था को कायम रखने में नाकाम हो चुकी है।
पार्थो चटर्जी ने इस मामले में चुनाव आयोग को आड़े हाथों लेते हुए ये तक कह दिया कि उनकी सरकार के हाथों में कानून व्यवस्था बेहतरीन थी, जो अब बर्बाद हो चुकी है। उन्होंने कहा, “बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी थी, लेकिन चुनावों की घोषणा के बाद कानून-व्यवस्था निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी बन गई है।” उन्होंने कहा, “वरिष्ठ भाजपा नेताओं के कई बयानों से ये पर्याप्त संकेत मिले थे कि बनर्जी पर हमला हो सकता है और ये जानकारियां होने के बावजूद मुख्यमंत्री को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई।”
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ममता के साथ हुए इस हादसे को लेकर TMC नेताओं का रवैया बेहद ही आश्चर्यजनक है क्योंकि इनमें से किसी के भी बयान का कोई आधार ही नहीं है। वहीं मदन मित्रा का बयान तो दंगे भड़काने वाला है। ममता के साथ हुए हादसे को भाजपा की साजिश बता मदन मित्रा एक तरह से TMC के भावनात्मक रूप से जुड़े आम कार्यकर्ताओं को राजनीतिक हिंसाओं के लिए भड़का रहे हैं।
पश्चिम बंगाल राज्य की हिंसक घटनाओं के लिए पहले ही बदनाम है। ऐसे में विधानसभा चुनाव के पहले TMC नेता का बयान ये दर्शाता है कि कहीं न कहीं ममता के साथ हुए इस हादसे में झोल तो है। इसके जरिए TMC ये दिखाने का प्रयास कर रही है कि राजनीतिक हिंसा के प्रकोप से केवल बीजेपी ही नहीं बल्कि TMC की सर्वोच्च नेता भी पीड़ित हैं, लेकिन अब मदन मित्रा का ये बयान इसके उलट एक खतरनाक संदेश दे रहा है कि बंगाल में आने वाले दिनों में राजनीतिक हिंसा पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी जिसे भड़काने वालों में TMC ही सबसे आगे होगी।