खेलते हुए छोटे बच्चों पर नजर डालें तो एक दिलचस्प बात निकल कर आती है कि जब दो में से कोई एक हारने लगता है तो हार से पहले अपने लिए कुछ बहाने ढूंढ लेता है, और खेल खराब करने की कोशिश करने लगता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी भी आजकल कुछ ऐसा ही कर रही है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रति बढ़ते लोगों के समर्थन को लेकर अब टीएमसी बेतुके बयान देने लगी है। पार्टी ने राज्य के चुनाव आयोग के अधिकारी पर ही आरोप लगा दिया है कि वो निष्पक्ष चुनाव को लेकर बाधा बन रहे हैं। इसलिए उन्हें हटाया जाए।
पश्चिम बंगाल समेत देश के पांच राज्यों के चुनावों का ऐलान जिस दिन हुआ था, उसके बाद से ही टीएमसी के नेता कुतर्क सामने आने लगे थे, इन कुतर्कों की वजह केवल एक ही थी, क्योंकि बीजेपी का जनाधार राज्य में तेजी से बढ़ रहा है। बीजेपी के इसी जनसमर्थन के कारण टीएमसी को डर है कि वो सत्ता खो सकती है। ऐसे में अब वो बचपना दिखाकर चुनावी प्रकियाओं पर ही सवाल खड़े करने लगी है। पार्टी की मांग है कि राज्य के डिप्टी चुनाव अधिकारी को अपने पद से हटा दिया जाए।
और पढ़ें- ममता बनर्जी की जिंदगी का सबसे Bold फैसला ही सबसे खराब फैसला है
हमेशा की तरह ही टीएमसी एक कुतर्क करते हुए राज्य के चुनाव आयोग के डिप्टी कमिश्नर सुदीप जैन को हटाने की मांग कर रही है। टीएमसी का कहना है कि जब तक राज्य में सुदीप जैन अपने पद पर रहेंगे, तब तक बंगाल में निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते हैं। इसलिए इन्हें हटाया जाए। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, “पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर जैन को हटाने की मांग की है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनका उसके (तृणमूल कांग्रेस के) प्रति पूर्वाग्रह रखने का ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ रहा है।”
रॉय ने उन पर आरोप लगाया कि राज्य में पिछले लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पक्षपात किया था। उन्होंने कहा, “पिछले संसदीय चुनावों के दौरान सुदीप जैन ने कई कदम उठाए थे, जो न केवल चुनाव आयोग के मानकों के खिलाफ थे, बल्कि संघीय ढांचे के भी खिलाफ थे। हमें उनपर भरोसा नहीं है।” टीएमसी का सांकेतिक रूप से कहना है कि सुदीप जैन बीजेपी के समर्थक बन चुके हैं और वो राज्य में चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।
ये कोई पहली बार नहीं है कि ममता की पार्टी ने इस तरह का कोई बेतुका तर्क रखे हैं। इससे पहले भी जब चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था तब भी टीएमसी की खींझ सामने आई थी। पार्टी की तरफ से इस बात तक पर आपत्ति जाहिर की गई थी कि राज्य में 8 चरणों में चुनाव क्यों हो रहे हैं, जबकि टीएमसी के इस विरोध के पीछे एक डर है।
और पढ़ें- बंगाल जीतने के लिए ममता बनर्जी का नया दांव : मुसलमानों में फूट डालो और राज करो
बंगाल चुनाव में राजनीतिक हिंसा के मामले में बहुत आगे निकल चुका है। ऐसे में चुनाव में जितने ज्यादा चरण होंगे, सुरक्षा के इंतजामों को करने में उतनी ही ज्यादा सहूलियत होगी, और हिंसा का खेल खत्म होगा, जिससे टीएमसी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। इसीलिए अब टीएमसी इस 8 चरणों के चुनाव की प्रक्रिया का विरोध कर रही है। हालांकि, उस मामले में टीएमसी की मांगों को सिरे से नकार दिया गया है।
चुनाव के चरणों की मांग के नकारे जाने के बाद अब टीएमसी राज्य के डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर सुदीप जैन को हटाने की मांग कर रही है, जो दिखाता है कि हार के डर से टीएमसी प्रतिदिन किसी नए बहाने के साथ सामने आ रही है, हालांकि इससे उसे और परेशानियां ही होंगी क्योंकि ये उसके हार के डर के कारण उसके बचपने वाले रवैए को प्रदर्शित कर रहा है।