‘युवा नेताओं पर भरोसा करना गलत साबित हुआ’, राहुल गांधी अब वरिष्ठ नेताओं को महत्व देंगे

बुजुर्ग नेताओं को मनाने में जुटे राहुल!

राहुल गांधी

वायनाड के सांसद और कांग्रेस के अगले संभावित राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रवृत्ति गिरगिट से भी ज्यादा तेजी से बदलती है, वो कब क्या बालें, किसी को अंदाजा नहीं हो सकता है। पिछले काफी दिनों से उनके बयानों से उनकी ही पार्टी के नेता और बुजुर्ग कार्यकर्ता लोग नाराज हैं। ऐसे में पार्टी में एक बड़ी फूट की आशंका है। इन परिस्थितियों को देखकर अब राहुल गांधी ने डैमेज कंट्रोल का संकेत देते हुए युवाओं को महत्व देने से आए बुरे अंजामों का उल्लेख किया है। उनका ये बयान इस बात का संकेत है कि अब वो पार्टी में बुजुर्ग नेताओं की नाराजगी को कम करने की भूमिका में आ चुके हैं, क्योंकि कांग्रेस इन बुजुर्ग नेताओं की नाराजगी के कारण ताश के पत्तों की तरह बिखर रही है।

कांग्रेस के बगावती 23 नेता पार्टी में एक मजबूत पकड़ रखते हैं। पिछले लगभग 10 महीनों से पार्टी में कार्यशैली को लेकर गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी जैसे नेता कांग्रेस के नए गैर-गांधी अध्यक्ष की मांग कर रहे हैं। गैर गांधी अध्यक्ष की मांग की एक बड़ी वजह ये भी है कि राहुल की असफलताएं 2015 से लेंकर 2019 के सभी चुनावों में लोगों ने देख ली हैं। कांग्रेस ने पहले इन नेताओं की आलोचना करने की नीति पर चलने की कोशिश की, लेकिन पार्टी असफल रही क्योंकि उन सभी के कद काफी बड़े हैं। ऐसे में राहुल अब उन्हें मनाने के नए संकेत दे रहे हैं।

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राहुल गांधी जिन्हें कभी कोई ज्यादा महत्व नहीं देता था, उनके हालिया बयान को लेकर चर्चाएं जोरों पर हे। उन्होंने यूथ कांग्रेस के एक कार्यक्रम में कहा, युवा चेहरों पर बहुत ज्यादा फोकस करना गलतीथी, अब हमें उन लोगों को ज्यादा महत्व देने की जरूरत है, जिनके दिल में कांग्रेस है। राहुल अब पार्टी में युवा नेताओं से काफी हद तक नाराज हो चुके हैं। राहुल के इस हालिया बयान के बाद ये संभावनाएं हैं कि पार्टी में एक बार फिर से बुजुर्ग नेताओं को ज्यादा महत्व मिले, और पार्टी में एक बार फिर उनकी सुनवाई पहले से ज्यादा हो जाए।

राहुल ने कुछ दिनों पहले एक बयान दिया था जिसमें दक्षिण भारत के वायनाड के लोगों की राजनीतिक समझ को उत्तर भारत के अमेठी के लोगों से बेहतर बताया था। राहुल के इस बयान से देश में उत्तर बनाम दक्षिण भारत की विभाजनकारी राजनीति शुरु हो गई है, जिसमें कांग्रेस का ही नुकसान हो रहा है। कांग्रेस के उन सभी बागी नेताओं ने राहुल के इस बयान की आलोचना की थी। केवल इतना ही नहीं, देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का प्रचार चल रहा है तो ऐसे वक्त में कांग्रेस के ये बागी नेता पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाकर उसकी आलोचना कर रहे हैं।

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जम्मू-कश्मीर में एक रैली का आयोजन कर इन सभी बागी नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान पर सवाल खड़े किए थे। इन सवालों का विपरीत असर पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पर भी पड़ सकता है। राहुल गांधी भी इस बात को बहुत अच्छे से समझते हैं। राहुल खुद दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। ऐसे में वो नहीं चाहते कि उनके इस चुनाव प्रचार के प्रयासों को बागी नेता नुकसान पहुचाएं।

राहुल ने बागी नेताओं के बयानों से पार्टी को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए अब युवाओं पर कम भरोसा होने का बयान दिया है जिससे जनता में ये संकेत जाए कि पार्टी में एक बार फिर बुजुर्ग नेताओं को वरीयता मिल सकती है। राहुल इसके जरिए कांग्रेस के उन सभी बागी नेताओं को मनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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