एक शिक्षक ने कुछ तस्वीरें दिखाई, जिस पर एक लड़की भड़क गई। उसने अपने पिता से बात कही, जिसके चलते उस शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई करने का प्रयास किया गया। लेकिन जब वे असफल रहे, तो उस शिक्षक पर घातक हमला हुआ, और उसका सर धड़ से अलग कर दिया। ये कहानी है सैमुएल पैटी, जिनकी हत्या ने फ्रांस में कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध एक भीषण विद्रोह भड़का दिया था। लेकिन अब सामने आ रहा है कि इस जघन्य हत्या का प्रमुख कारण था एक सफेद झूठ।
जी हाँ, एक सफेद झूठ के कारण न सिर्फ कट्टरपंथी इस्लाम का वीभत्स रूप दुनिया के सामने बाहर आया, बल्कि फ्रांस को भी कट्टरपंथी मुसलमानों के अत्याचारों के विरुद्ध कड़े कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ा। दरअसल जिस लड़की की शिकायत पर सैमुएल पैटी के विरुद्ध घातक हमला हुआ, उस लड़की ने नाम न छापने की शर्त पर एक फ्रेंच अखबार को बताया कि उसने यह बात सिर्फ अपने पिता से मार खाने से बचने के लिए गढ़ी थी।
फ्रेंच अखबार Le Parisien के अनुसार, उस 13 वर्षीय लड़की ने यह बात इसलिए बोली थी क्योंकि खराब व्यवहार के कारण उसे स्कूल से सैमुएल पैटी ने निलंबित कर दिया था। अब वह लड़की यह बात अपने पिता को नहीं बताना चाहती थी, जिसके कारण उसने पैगंबर मुहम्मद के चित्र शेयर किये जाने की बात गढ़ी।
बता दें कि अक्टूबर में फ्रेंच शिक्षक सैमुएल पैटी पर एक 13 वर्षीय लड़की ने आरोप लगाया था कि उन्होंने पैगंबर मुहम्मद की तस्वीरें बच्चों के साथ साझा की। इसके पीछे सैमुएल को काफी खरी-खोटी सुनाई गई, और उनके विरुद्ध एक ऑनलाइन अभियान चलाया गया। इस घटना के 10 दिन बाद सैमुएल पर एक 18 वर्षीय युवक ने हमला कर दिया और उनका सर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन सैमुएल की हत्या से पूरा फ्रांस उबल पड़ा, और आम तौर पर उदारवादी माने जाने वाले फ्रेंच राष्ट्रपति एम्मानुएल मैक्रोन ने सैमुएल को मरणोपरांत फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने के साथ ही कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।
अब ये सामने आना कि उस लड़की ने केवल अपने आप को बचाने के लिए एक सफेद झूठ बोला, जिसके कारण एक निर्दोष फ्रेंच नागरिक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, इस बात का परिचायक है कि अपनी सनक में कट्टरपंथी अनुयाई किस हद तक गिर सकते हैं। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि ऐसे ही एक सफेद झूठ के बल पर महीनों तक दिल्ली के नागरिकों को CAA के विरोध के नाम पर न केवल परेशान किया गया, बल्कि पूर्वोत्तर दिल्ली को दंगों की आग में झोंक दिया गया, जिसमें हेड कॉन्स्टेबल रत्न लाल से लेके आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा एवं दिलबर नेगी जैसे युवक कट्टरपंथी मुसलमानों की भेंट चढ़ गए साथ ही कमलेश तिवारी और चन्दन गुप्ता को कैसे भुला जा सकता हैं।
ऐसे में अब फ्रांस कट्टरपंथी इस्लाम का नाश करने के लिए जो भी कदम उठाएगा, वो न सिर्फ उचित होगा, बल्कि आवश्यक भी, क्योंकि किसी के विश्वास के नाम पर किसी निर्दोष के प्राण लेना किसी भी स्थिति में उचित नहीं कहा जा सकता।