दुष्यंत चौटाला के दबाव में हरियाणा सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरी में आरक्षण को दी मंजूरी, ये Gurugram को बर्बाद कर देगा

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PC: TV9 Bharatvarsh

गठबंधन की राजनीति के कारण अधिकतर ऐसा देखा गया है कि ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जो राज्य के हित में नहीं होते हैं। कुछ ऐसा ही खट्टर सरकार के एक फैसले के कारण अब हरियाणा के साथ भी हो सकता है, जिससे हरियाणा को बड़ा आर्थिक नुकसान देखने को मिल सकता है। इस फैसले के तहत राज्य के लोगों को निजी कंपनियों में नौकरी के लिए 75 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा। ये फैसला सरकार ने उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के दबाव के कारण लिया है लेकिन इससे सबसे बुरी स्थिति देश की आईटी सिटी माने जाने वाले गुरुग्राम की हो सकती है क्योंकि ये फैसला राज्य को नौकरियों के अवसरों के खात्मे की ओर ले जाएगा।

हरियाणा में इस वक्त बीजेपी शासित एनडीए की सरकार है। राज्य की विधानसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में गठबंधन की सहयोगी पार्टी जेजेपी के नेता और राज्य के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के एजेंडे के दबाव में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसकी आलोचना उनका ही एक बड़ा समर्थक वर्ग कर रहा है। विधानसभा में खट्टर सरकार ने एक विधेयक पारित किया है जो कि राज्य की सभी निजी कंपनियों के लिए भर्तियों को लेकर मुसीबत का सबब बन सकता है।

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हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक, 2020 में निजी क्षेत्र की ऐसी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है, जिनमें वेतन प्रति माह 50,000 रुपये से कम है। इस विधेयक के प्रावधान निजी कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों और साझेदारी वाली कंपनियों सहित अन्य पर लागू होंगे। दिलचस्प बात ये है कि ये वादा जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला ने ही चुनाव में नौकरियों के मुद्दे पर किया था, और बीजेपी को गठबंधन के चलते इस विधेयक को पारित करना पड़ा है।

अपने एजेंडे को पूरा होता देख अब दुष्यंत चौटाला ने काफी खुशी जाहिर की है। उन्होंने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री को बधाई भी दी है। साथ ही युवाओं के लिए सकारात्मक माहौल होने का भी जिक्र भी किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “हरियाणा के लाखों युवाओं से किया हमारा वादा आज पूरा हुआ है।अब प्रदेश की सभी प्राइवेट नौकरियों में 75% हरियाणा के युवा होंगे। सरकार का हिस्सा बनने के ठीक एक साल बाद आया ये पल मेरे लिए भावुक करने वाला है। जननायक की प्रेरणा और आपके सहयोग से सदैव आपकी सेवा करता रहूं,यही मेरी कामना है।

दुष्यंत चौटाला तो इस मुद्दे पर खुशी जाहिर कर रहे हैं, लेकिन क्या इस फैसले से जनता पर कोई असर पड़ेगा? गौर करने पर ये कहा जा सकता है कि असर तो पड़ेगा लेकिन सकारात्मक नहीं… नकारात्मक। इस मुद्दे पर मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने बताया, “जब यह मसौदा प्रस्ताव प्रकाशित हुआ था, तब सीआईआई (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) और मारुति दोनों ने कहा था कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है, जो उद्योग के हित में हो। परिणामस्वरूप हरियाणा निवेश खो सकता है। हम अपने पिछले रुख पर कायम हैं। हमें लगता है कि यह उद्योग की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करेगा।

हरियाणा में आइटी और बिजनेस का यदि कोई गढ़ है तो वो गुरुग्राम ही है, जिसका रुतबा अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का भी है। गुरुग्राम में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, इन्फोसिस, टीसीएस जैसी विश्वस्तरीय कंपनिया निवेश कर चुकी हैं और इनके दम पर न केवल गुरुग्राम बल्कि पूरा हरियाणा आर्थिक रूप से फलता- फूलता है। ऐसे में खट्टर सरकार के इस फैसले के बाद गुरुग्राम स्थित निजी कंपनियों की प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ सकता है, क्योंकि कंपनियां न चाहते हुए भी कम क्षमता वाले स्थानीय लोगों को भर्ती करने पर मजबूर होंगी।

आईटी कंपनियों की ये मजबूरी हरियाणा के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है, क्योंकि इस फैसले के बाद मजबूरी में ही सही लेकिन कार्यशैली और प्रोडक्टिविटी के कारण कंपनियां अपना बिजनेस गुरुग्राम से इतर किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित कर सकती हैं जो कि हरियाणा के लिए एक आर्थिक झटका साबित होगा क्योंकि वहां से निवेश कम होने लगेंगे।

भविष्य के इन अनुमानों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि हरियाणा में बीजेपी ने गठबंधन की राजनीति और दुष्यंत चौटाला के दबाव में एक ऐसा फैसला किया है जो कि हरियाणा के लिए ही आर्थिक तौर पर मुसीबत खड़ी कर सकता है, और इस दुष्परिणाम की जिम्मेदारी सीधी बीजेपी के ही हिस्से आएगी क्योंकि वो इस गठबंधन का मुख्य तौर पर नेतृत्व कर रही है।

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