Facebook से लड़ाई में भारत को घसीटने के पीछे Wall Street Journal की एक खास वजह थी, जिसका भारत से लेना देना ही नहीं

Wall Street Journal

कुछ दिनों पहले अमेरिकी मीडिया हाउस Wall Street Journal में एक खबर प्रकाशित हुई थी कि दिग्गज टेक कंपनी फेसबुक का बीजेपी के साथ संबंध हैं और वह बीजेपी नेताओं के हेट स्पीच वाले पोस्ट को डिलीट नहीं करता। अब इस खबर के प्रकाशित करने का कारण समझ आ रहा है। यह खबर भारत को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि फेसबुक पर दबाव बनाने के लिए किया गया था। यह दबाव था उसके साथ बिजनेस में आने का।

रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक और ‘न्यूज कॉर्प’ ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया में खबर के दिखाने के लिए भुगतान करने के लिए नया समझौता करने की घोषणा की है। बता दें कि The Wall Street Journal (वाल स्ट्रीट जर्नल) की मालिकाना कंपनी Dow Jones & Company को ‘न्यूज कॉर्प’ खरीद चुकी है। यानी वाल स्ट्रीट जर्नल न्यूज़ कोर्प का ही है। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे न्यूज़ कोर्प ने वाल स्ट्रीट जर्नल का इस्तेमाल करते हुए भारत को बीच में घसीट कर फेसबुक पर दबाव बनाया।

लगभग तीन सप्ताह पहले ऑस्ट्रेलियाई संसद ने कानून पारित करते हुए कहा था कि डिजिटल कंपनियों को खबर दिखाने के लिए आवश्यक रूप से चार्जेज देने पड़ेंगे तब से कई बड़ी इन्टरनेट कंपनियों के अन्दर खलबली मची हुई है। अब इसी के मद्देनजर फेसबुक और ‘न्यूज कॉर्प’ ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया में खबर के दिखाने के लिए भुगतान करने के लिए नया समझौता करने की घोषणा की है।

शुरुआत में Google और Facebook दोनों ने एक संयुक्त मोर्चा यह कहते हुए रखा कि वे देश के बाहर छोड़ने और पूर्व में अस्थायी रूप से अवरुद्ध समाचार लिंक को रोकने की धमकी के साथ ऑस्ट्रेलियाई सरकार की माँगों पर नहीं उतरेंगे। हालांकि, स्कॉट मॉरिसन सरकार ने एक इंच भी उछाल नहीं दिया, दोनों टेक दिग्गजों को अपनी मूल योजनाओं के आसपास चक्कर लगाना पड़ा और शासन के तहत मांगों को पूरा करना पड़ा।

पहले Google समाचार सामग्री के लिए Rupert Murdoch (रुपर्ट मर्डोक) के न्यूज़ कॉर्प को भुगतान करने के लिए सहमत हुआ और उसके बाद फेसबुक भी उसी रास्ते पर चला। फेसबुक के साथ अपनी लड़ाई में भारत को शामिल करना Wall Street Journal एक साधन था जिससे वह ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक के साथ रूपर्ट मर्डोक की डील को सफलता मिले।

यदि फेसबुक वास्तव में बीजेपी के साथ या भारत सरकार के इशारों पर नाच रहा होता  तो वह मर्डोक को एक रूपया भी देने के लिए सहमत नहीं होता। मंगलवार को घोषित इस डील के तहत मर्डोक ऑस्ट्रेलिया में अपने मीडिया आउटलेट्स जैसे द ऑस्ट्रेलियन, एक राष्ट्रीय समाचार पत्र और समाचार साइट news.com.au के साथ-साथ अन्य महानगरीय, क्षेत्रीय और सामुदायिक प्रकाशनों से समाचार सामग्री शामिल है। मर्डोक के स्वामित्व वाली स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया ने भी फेसबुक के साथ एक मौजूदा समझौते को आगे बढ़ाया है।

मर्डोक दुनिया भर के कई अखबार और टेलीविजन चैनलों के मालिक हैं, जिससे उन्हें इस सौदे के लिए लॉबी करने में मदद मिली जो पिछले साल अगस्त में शुरू हुआ था। उस समय फेसबुक पर बीजेपी से नियंत्रित होने का आरोप लगा कर उसके खिलाफ एक चाल चलोई जिससे फेसबुक का PR औंधे मुहं गिरे। उस समय तो इस सोशल मीडिया दिग्गज ने Wall Street Journal के अनुसार खेल खेला लेकिन आज वह उसी के बिछाये जाल में फंस चुका है और न्यूज़ कॉर्प से समझौता करने के लिए मजबूर हुआ।

मोदी सरकार अभी भी अपने पूरे गौरव के साथ बरकरार है और शायद हो सकता है कि वह फेसबुक की हालत ऑस्ट्रेलिया जैसी कर डे और उसे यहाँ भी ‘News bargaining code’ को मानने के लिए मजबूर कर दे।

Exit mobile version