नारायणसामी ने राहुल का मज़ाक बनवाया, क्या अब राहुल के कारण नारायणसामी की कुर्सी छीन गयी?

कुछ तो कीमत चुकानी ही थी!

नारायणसामी

सरकार गिरने के साथ ही केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस में एक बड़ी उठा-पटक की स्थिति आ गई है, जिसमें कांग्रेस आलाकमान का मुख्य निशाना राज्य के पूर्व सीएम वी नारायणसामी बने हैं। कांग्रेस ने चुनावों को लेकर हाल में जो उम्मीदवारों की सूची जारी की है, उसमें पूर्व सीएम नारायणसामी का नाम तक नहीं है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि नारायणसामी अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस उन पर हुई इस कार्रवाई के पीछे की वजह राज्य में कांग्रेस सरकार का गिरना बता रही है। गौर करें तो शायद ऐसा नहीं है क्योंकि नारायणसामी ने राहुल गांधी की हाल में हुई एक जनसभा में जो गलत अनुवाद किया था, उससे राहुल की राष्ट्रीय स्तर पर तगड़ी फजीहत हुई थी, और यही कारण है कि अब कांग्रेस राहुल की उस फजीहत का बदला नारायणसामी को किनारे कर ले रही है।

नारायणसामी के साथ कांग्रेस ने जो बड़ी कार्रवाई की है उसकी मुख्य वजह शायद राहुल गांधी की राष्ट्रीय फजीहत है। दरअसल, फरवरी में राहुल पुडुचेरी के दौरे पर थे, इस दौरान एक महिला ने तमिल भाषा में राहुल से नारायणसामी सरकार की शिकायत की थी, लेकिन जब राहुल ने उस बात को समझना चाहा तो नारायणसामी ने चालाकी दिखाते हुए उस शिकायत का अनुवाद ही तारीफ के तौर पर किया। उन्होंने अपनी आलोचना को तारीफ में बदलते हुए राहुल को अनुवाद में बताया, महिला का कहना है कि निवार चक्रवात के दौरान मैं (नारायणसामी) आया और इलाके में राहत कार्य में मदद की।” इस हास्यास्पद वाकये के बाद राहुल पर बीजेपी के नेताओं ने हमला किया और राहुल की वही फजीहत अब नारायणसामी को भारी पड़ती हुई नजर आ रही है क्योंकि उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला है, जिसके आधार पर अब ये भी कहा जा सकता है कि वो अगले सीएम के उम्मीदवार भी नहीं होंगे।

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विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने अपने 14 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। खास बात ये है कि प्रदेश के पूर्व सीएम वी नारायणसामी की सीट गठबंधन के साथी डीएमके के खाते में डाल दी गई है। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए नारायणसामी के चुनाव न लड़ने के सवालों पर पुडुचेरी कांग्रेस के चुनाव प्रभारी दिनेश गुंडु राव ने बड़ा बयान देते हुए कहा, पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ेंगे. वे चुनाव प्रचार और चुनाव प्रबंधन देखेंगे।”

कांग्रेस इस फैसले के पीछे ये संदेश देना चाहती है कि पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार गिरने के कारण ही नारायणसामी को सजा के तौर पर राजनीति से किनारे किया गया है, लेकिन ये कितना सही है? पुडुचेरी के कई नेताओं का कहना है कि जिस तरह से भाजपा के कारण नारायणसामी की सरकार गिरी है उससे जनता में उनके लिए सॉफ्ट कार्नर बन गया है जिससे उन्हें आगामी चुनाव में फायदा मिल सकता था । फिर भी नारायणसामी को किनारे कर दिया जाना सवाल तो उठाता ही है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी आलाकमान के कारण पार्टी छोड़ी थी और ये सिलसिला देश के कई राज्यों में देखने को मिल भी रहा है। ऐसे में सारा इल्जाम नारायणसामी पर डालकर उन्हें ही निशाना बनाना आश्चर्यजनक प्रतीत होता है। अगर नारायणसामी के  कार्यकाल के दौरान सरकार के कामकाज और रवैए की बात करें तो कांग्रेस शासित कई राज्यों की सरकारों से नारायणसामी का ट्रैक रिकॉर्ड थोड़ा बेहतर ही है। कांग्रेस के ही कई नेताओं के पुराने बयान बताते हैं कि बीजेपी से लड़ने में नारायणसामी पुडुचेरी में बेहतरीन काम कर रहे हैं, तो फिर अचानक उन्हें हटाने का बड़ा कारण क्या केवल सरकार का गिरना ही है?

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नारायणसामी के टिकट कटने की एकमात्र वजह राहुल की रैली में उनके द्वारा किया गया गलत अनुवाद ही प्रतीत होती है, क्योंकि इस मुद्दे पर राहुल की राष्ट्रीय बेइज्जती हुई थी। कांग्रेस का ये कदम जाहिर करता है कि कोई नेता चाहे कितना भी वफादार या कर्मठ क्यों न हो, लेकिन  अगर उस नेता की वजह से गांधी परिवार के अपरिपक्व राजनेता राहुल गांधी की फजीहत होती है तो उसे मेरिट में होने के बावजूद नकार दिया जाएगा।

 

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