पश्चिम बंगाल की मौजूदा तृणमूल कांग्रेस की सरकार भ्रष्टाचार से लिपटी हुई है। ममता बनर्जी अपने घोटालों के जरिए जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात करती आ रहीं हैं। तृणमूल कांग्रेस के घोटालों ने हमेशा पश्चिम बंगाल की जनता को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार ममता की सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा अम्फान चक्रवात से राहत के लिए आए पैसों में घपला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस के नेता चक्रवात से हुई तबाही से ग्रसित लोगों के लिए आई मदद राशि में से ‘cut-money’ यानी कमीशन लेते थे।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब तृणमूल कांग्रेस पर जनता के साथ विश्वासघात करने के आरोप लगे हों, इससे पहले भी टीएमसी पर लोगों के मेहनत से कमाए गए पैसों को चिट-फ़ंड स्कीम में बहला-फुसलाकर निवेश कराने के बाद उन पैसों का गबन करने के आरोप लगते रहे हैं। इतना ही नहीं कोरोना महामारी के लिए आए राशन में घपला करने के आरोप करने के आरोप लग चुके हैं, जिसकी वजह से पश्चिम बंगाल के लोगों को लॉकडाउन के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ा। पश्चिम बंगाल की जनता कोरोना की मार सह ही रही थी, कि अम्फान चक्रवात आ गया, जिसने लोगों के हौंसले का इम्तिहान लिया। जब बंगाल की जनता के सामने ममता सरकार के कथित तौर पर घपलेबाज़ी करने की खबर आई तो उनके हौंसले टूट गए।
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ममता बनर्जी और उनकी पार्टी द्वारा राहत के लिए आई धनराशि में कथित तौर पर घोटाले के मुद्दे को देश के गृहमंत्री मंगलवार को अपने रैली में उठाते हुए कहा कि, ‘‘केन्द्र सरकार ने अंफान प्रभावित लोगों के लिए राहत राशि भेजी थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के नेता उसे हड़प गए और उसे जनता तक नहीं पहुंचने दिया।’’ शाह ने आगे कहा, ‘‘अगर हम सत्ता में आए तो भाजपा अम्फान राहत राशि के वितरण को लेकर हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक समिति का गठन करेगी और भ्रष्टाचार में शामिल सभी लोगों को जेल भेजा जाएगा।’’
गृह मंत्री ने इस मामले पर ज़ोर देते हुए कहा, “केन्द्र ने ‘अम्फान’ से निपटने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राहत राशि दी थी, क्या आपको एक रुपया भी मिला ? सारा पैसा कहां गया ? ‘भतीजा एंड कम्पनी’ ने चक्रवात ‘अम्फान’ से निपटने के लिए केन्द्र द्वारा भेजा सारा पैसा हड़प लिया। हम हर चीज की जांच करेंगे और सभी गुनहगार सलाखों के पीछे होंगे’’
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के सचिव नाबन्ना को अम्फान राहत मदद के खिलाफ 2000 से ज्यादा शिकायत दर्ज कराई गईं, जिनमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल के ग्रामीण नेताओं ने राहत सूची में अपने परिवार वालों का नाम जोड़ लिया था, ताकि वो भी घपला कर सके। हद तो तब हो गई जब मनोज सिंह जो हुगली जिले के गरल्गाचा ग्राम पंचायत के प्रधान थे, उन्होंने राहत सूची में 100 से ज़्यादा लोगों के नाम से पहले अपना नंबर दे रखा था।
इतना ही नहीं, तृणमूल कांग्रेस ने कथित अम्फान राहत घोटाले के साथ कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा भेजे गये राशन में भी घपलेबाजी करने के आरोप लग चुके हैं, जिसपर पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि, “cut-money के साथ ही तृणमूल कांग्रेस अब गरीबों के लिए आए राशन में भी घोटालेबाज़ी कर रही है।” घोष ने आगे कहा, “पश्चिम बंगाल के भाजपा कार्यकर्ताओं ने पश्चिम मेदिनीपुर में दांतन ब्लॉक के 1500 लोगों की सूची बनाई थी, जिनके घर तबाह हो गए थे। सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि, इन 1500 लोगों में से केवल 1 व्यक्ति का नाम वहाँ के ब्लॉक के सूची में था।
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पश्चिम बंगाल को ममता बनर्जी ने दशकों से चले आ रहे वामपंथियों के शासन से आज़ाद किया था और वहाँ की जनता को उम्मीद की नई किरण दिखाई थी, लेकिन 10 साल के शासन के बाद ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल को और ज़्यादा बर्बाद कर दिया है। पश्चिम बंगाल की जनता ने जब महामारी और आपदा के दौरान अपनी सरकार से उम्मीद लगाई है, तो तृणमूल कांग्रेस ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा है।