प्रचार-प्रसार करके सरकार की छवि चमकाना और जनहित के कार्यों में शून्य होना… दिल्ली की आम आदमी पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए ये बेहद ही आम बात हो गई है। हालिया खबरों के मुताबिक दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले तीन महीनों में डेढ़ सौ करोड़ रुपए केवल सरकार के प्रचार पर खर्च किए हैं, और ये जानकारी किसी मीडिया रिपोर्ट की नहीं बल्कि आरटीआई के जरिए प्राप्त हुईं हैं।
इस खर्च में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया के विज्ञापन भी शामिल हैं। ये रिपोर्ट दिखाती है कि केजरीवाल सरकार की नीयत केवल और केवल प्रचार की रही है, जबकि जनहित से इनका कोई सरोकार नहीं है।
आज के डिजिटल दौर में कहा जाता है कि लोगों को अपने कार्यों को बेहतरीन रखने के साथ ही प्रचार-प्रसार का विशेष ध्यान रखना होता है, और लोकतंत्र में तो चुनी हुई सरकारों के लिए तो ये सबसे आवश्यक होता है, लेकिन दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार जमीनी स्तर पर कार्यों के विपरीत केवल प्रचार पर ही ध्यान केंद्रित करती रही है, और उनकी मीडिया मैनेजमेंट की इन्हीं हरकतों के चलते आज दिल्ली की जनता को कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य की प्राथमिक सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है।
आरटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जब दिल्ली की सरकार को पिछले तीन महीनों में कोरोना से लड़ाई के लिए राज्य की प्राथमिक सुविधाओं को दुरुस्त करने पर ध्यान देना था, तो केजरीवाल सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए विज्ञापनों के खर्च में व्यस्त थी।
ट्विटर यूजर्स आलोक भट्ट ने आरटीआई के जरिए बताया है कि पिछले तीन महीनों में दिल्ली सरकार 150 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। डिटेल्स की बात करें तो जनवरी में प्रचार के लिए 32.52 करोड़, फ़रवरी में 25.33 करोड़ और मार्च में सबसे ज्यादा 92.48 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
So money spent by @ArvindKejriwal during first 3 months of 2021 on bribing Indian media via ads
Jan: 32.52 cr
Feb: 25.33 cr
Mar: 92.48 crHe spent 1.67 crores per day just on ads.
Imagine the no of oxygen tankers he could have built witt this money? #DilliKaCancer hai ye! pic.twitter.com/zi5VFEB1OK— Alok Bhatt (Modi Ka Parivar) (@alok_bhatt) April 24, 2021
खबरों के मुताबिक पिछले दो सालों में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने करीब 800 करोड़ रुपए केवल विज्ञापनों में खर्च किए हैं। अजीबो-गरीब बात ये है कि दिल्ली के मीडिया ग्रुप्स में विज्ञापन देने के साथ ही केजरीवाल देश के मुख्य राष्ट्रीय टीवी न्यूज चैनलों के प्राइम टाइम स्लॉट और अखबारों के मुख्य पृष्ठों पर भी नजर आते थे, जबकि उन्हें ऐसा करने की कोई आवश्यकता थी ही नहीं।
9:56 AM pic.twitter.com/LIUrv7ONek
— Hindi (@mithelesh) April 25, 2021
इतना ही नहीं मिथिलेश नामक एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट कर बताया कि India Today पर केवल 1 घंटे में ही 16 बार केजरीवाल का विज्ञापन आया l इस सबसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्यों दिल्ली में बदहाली के ऊपर मीडिया का एक वर्ग चुप है!
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ऐसा नहीं है कि अब दिल्ली सरकार ने अपनी पुरानी गलतियों से सीख ली है। आज जब दिल्ली में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन के लिए भटकना पड़ रहा है, तो दूसरी ओर केजरीवाल सरकार अभी भी कोरोना से जागरूकता के नाम पर फिजूल के विज्ञापन अखबारों से लेकर टीवी चैनलों और यूट्यूब तक पर प्रसारित करवा रही है। दिल्ली सरकार का ये रवैया सीएम केजरीवाल की धूर्तता को प्रदर्शित करता है।
इसके इतर जब दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के कारण दिल्ली में स्थितियां बिगड़ने लगीं, तो केजरीवाल सरकार नौटंकी की पराकाष्ठा पार करते हुए केंद्र की मोदी सरकार और अन्य पड़ोसी राज्यों से ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर टकराव की स्थिति में आ गई है। वहीं केजरीवाल की प्रचार पॉलिसी के पीछे उनकी धूर्त और निकम्मी सोच है।
ऐसा अक्सर देखा जाता है कि जिन संगठनों, राजनीतिक दलों या सरकारों से मीडिया संस्थानों को ज्यादा विज्ञापन मिलते हैं तो उनके प्रति मीडिया संस्थानों का रवैया थोड़ा नर्म पड़ जाता है, और मीडिया संस्थान उस राज्य की खबरों को भी तोड़-मरोड़ कर पेश करने लगते हैं। मीडिया मैनेजमेंट के इस खेल में केजरीवाल ने महारात हासिल कर ली है।
मीडिया मैनेजमेंट की नौटंकी के बावजूद अब उनका निकम्मापन सोशल मीडिया और अस्पताल में तड़पते मरीजों के जरिए सामने आ रहा है। वहीं आरटीआई से हुए इस खुलासे ने तो केजरीवाल का पूरा पर्दाफाश ही कर दिया है।
जनता ये समझ रही है कि एक मुख्यमंत्री जो राजनीति के लिए प्रधानमंत्री की निजी बैठक में अपने हिस्से के वक्तव्य को सार्वजनिक कर जनता का हितैषी होने का ढोंग करते हुए मगरमच्छ के आंसू बहाता है, असल में वो शख्स कितना दोगला है, क्योंकि वो ही सीएम आक्सीजन प्लांट के लिए केंद्र द्वारा एलॉट किया गया पैसा अपने प्रचार में लगा रहा है जिसके परिणामस्वरूप स्वरूप अनेकों मरीजों की जीवन ऑक्सीजन की कृत्रिम सांसों के आभाव में समाप्त हो गया है।
यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कौन तक केजरीवाल सरकार को सार्वजनिक तौर लताड़ते रहते हैं।