स्तरलाइट के रूप में तमिलनाडु ने सिर्फ एक तांबा संयंत्र नहीं खोया, अपितु देश को तांबा उत्पादन के क्षेत्र में निर्विरोध बादशाह बनाने का एक सुनहरा अवसर भी अपने हाथ से गंवा दिया। चंद बुद्धिजीवियों और वामपंथियों के दबाव में तमिलनाडु की सरकार और न्यायपालिका ने भारत को कॉपर का नेट एक्स्पोर्टर से नेट इंपोर्टर में परिवर्तित कर दिया, लेकिन अब ये और नहीं चलेगा। दरअसल स्टरलाइट की मूल कंपनी वेदांता ने स्टरलाइट के कॉपर संयंत्र को दोबारा खोलने का निर्णय लिया है। इस बार ये प्लांट एक तटीय राज्य में खोला जाएगा, जिसमें ओड़िशा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य प्रबल दावेदार दिख रहे हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, “वेदांता रिसोर्सेज़ की सहायक कंपनी वेदान्त लिमिटेड ने हाल ही में तटीय क्षेत्र में अपना नया कॉपर प्लांट खोलने हेतु एक टेंडर निकाला है, जिसमें इच्छुक कंपनियों को अप्लाई करने को कहा है। वेदांता से जुड़े एक प्रवक्ता का मानना है कि भारत की कॉपर की मांग आने वाले वर्षों में बहुत बढ़ने वाली है, और ऐसे में उचित कॉपर की आपूर्ति बनाए रखना वेदांता की प्राथमिकता है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि कॉपर आने वाले समय में वैकल्पिक ऊर्जा के उत्पादन में बहुत अहम भूमिका भी निभाएगा।”
बता दें कि तमिलनाडु के थूथुकुड़ी जिले में वेदांता का स्टरलाइट कॉपर प्लांट हुआ करता था, जो देश के कॉपर की आवश्यकताओं को 35 से 40 प्रतिशत तक पूरा करता था। यह प्लांट प्रतिवर्ष 4 लाख टन कॉपर का योगदान देता था और इसी कारण से भारत विश्व के सबसे बड़े कॉपर एक्स्पोर्टर्स में से भी एक थी। लेकिन वामपंथियों के हिंसक प्रदर्शन के दबाव में आकर 2018 में तमिलनाडु प्रशासन ने इस प्लांट पर ताला लगा दिया, जिसके कारण अब भारत कॉपर का इंपोर्टर बनने पर विवश हो चुका है।
वेदांता से जुड़े इसी प्रवक्ता ने आगे कहा, “हम इसीलिए एक ऐसे राज्य की तलाश में है, जो हमारी आकांक्षाओं को पूरा भी करे और देश की आवश्यकताओं का सम्मान करते हुए आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करे। हम चाहते हैं कि भारत को एक आधुनिक कॉपर प्लांट के जरिए देश की समस्त कॉपर से जुड़ी आवश्यकताओं को सुनिश्चित किया जाए”
इतना ही नहीं, इस प्रोजेक्ट से राज्य में 10000 करोड़ रुपये का निवेश भी होगा और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 10000 से अधिक लोगों को इस प्लांट से रोजगार मिलेगा। लेकिन इसके लिए ओड़िशा ही क्यों? ऐसा क्या है ओड़िशा में जो वेदांता यहीं पर डेरा जमाना पसंद करेगी?
ऐसा इसलिए है क्योंकि इस समय यदि कोई ऐसा राज्य हैं, जहां भाजपा की सरकार न होते हुए भी निवेशक निवेश करने में रुचि लेंगे, तो वह ओड़िशा है। खेलों की दृष्टि से मुख्यमंत्री ने पहले ही इस राज्य में कई देशों को आकर्षित किया है, और हर प्रकार के निवेशकों को यहाँ पर आने की पूरी स्वतंत्रता है। इसके अलावा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अन्य नेताओं की भांति उतने दकियानूसी भी नहीं है, और निस्संदेह ऐसा अवसर वो अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहेंगे, जो ओड़िशा के भाग्य का कायाकल्प कर सके।
लेकिन ये होगा कैसे? दरअसल वेदांता के प्रस्ताव के अनुसार जो भी राज्य उनके नए प्रोजेक्ट को स्वीकार करेगा, उसके यहाँ निर्मित इस प्लांट को ऐसे तैयार किया जाएगा कि वह प्रतिवर्ष देश को 5 लाख टन कॉपर का योगदान देगा। इसके लिए बस उक्त राज्य को एक पोर्ट के निकट 1000 एकड़ की जमीन सुनिश्चित करानी होगी और 5 लाख टन कॉपर के आवाजाही के लिए आवश्यक लॉजिस्टिक्स प्रदान कराने होंगे।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि नवीन पटनायक के पास भारत को कॉपर उत्पादन का निर्विरोध बादशाह बनाने का और ओड़िशा को एक औद्योगिक हब में परिवर्तित करने का एक सुनहरा अवसर है, जिसे उन्हे अपने हाथ से बिल्कुल भी फिसलने नहीं देना चाहिए।