TMC को बर्बाद करने के बाद प्रशांत किशोर ने पंजाब कांग्रेस के लिए गड्ढा खोदने का काम शुरू कर दिया है

प्रशांत किशोर

PC: India TV

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर को लेकर अब ये चर्चाएं शुरू हो गईं‌ हैं, कि उन्होंने ममता दीदी के राजनीतिक भविष्य की धज्जियां उड़ा दी हैं। ऐसे में ये संभावनाएं प्रबल है कि ममता बनर्जी चुनाव में पराजित हो सकती हैं, लेकिन प्रशांत किशोर बंगाल के बाद अगले चुनाव के लिए पंजाब कांग्रेस को चुनावी सलाह देने निकल पड़ें हैं। उन्होंने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से कहा है कि पंजाब के तीस से अधिक कांग्रेस विधायकों के टिकट काटने के साथ ही उनकी सीट को बदला जाए। इस सलाह के सामने आने के बाद से ही कांग्रेस में आंतरिक रूप से सिर-फुटौअल शुरू हो गई है, जो दिखाता है कि पीके अब कैप्टन अमरिंदर की लोकप्रियता और पंजाब कांग्रेस का सत्यानाश करने निकल पड़े हैं। 

अभी कुछ दिनों पहले ही ख़बर आई थी कि कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रशांत किशोर को अपना प्रधान सलाहकार नियुक्त किया है और उन्हें कैबिनेट रैंक का दर्जा भी दिया गया है, और उस खबर के आने के बाद ही ये तय हो गया था कि प्रशांत किशोर अब कांग्रेस को पंजाब में भी बर्बाद कर देंगे। अब वो संभावनाएं सच होती दिख रही हैैं क्योंकि खबरें हैं कि प्रशांत किशोर ने पंजाब में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को सलाह दी है कि 30 से अधिक विधायकों को या तो बदला जाए, या उनका निर्वाचन क्षेत्र बदला जाए।

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प्रशांत किशोर की सलाह पंजाब कांग्रेस में आंतरिक रूप से एक बवंडर लेकर आई है, क्योंकि इस मुद्दे पर पार्टी में आंतरिक रूप से असंतोष है। कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह और प्रशांत किशोर के खिलाफ कई विधायक कांग्रेस हाईकमान में शिकायत कर चुके हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस की 2022 विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद काफी प्रबल है, लेकिन इन दोनों को यह अधिकार देने से पंजाब में कांग्रेस पिछड़ जाएगी और उसकी हार भी हो सकती है। इसलिए इस मामले में हाईकमान को दखल देना चाहिए। 

वहीं, इस मसले पर लगातार हो रहे विरोध के बीच कांग्रेस की फजीहत शुरू हो गई, जिसके बाद मजबूरन सीएम अमरिंदर सिंह को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा, “टिकट बंटवारे का काम प्रशांत किशोर का नहीं। कांग्रेस का है। पीके का रोल मेरे प्रमुख सलाहकार तक सीमित है। यह पद केवल सलाहकारी के लिए है, जिसमें फ़ैसला लेने का अधिकार नहीं होता।” साफ है कि कैप्टन इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल करने की स्थिति में आ चुके हैं, क्योंकि प्रशांत किशोर के सुझावों से पार्टी में बगावत हो सकती है। 

ऐसा नहीं कि कांग्रेस विधायकों में ये असंतोष इस बार ही सामने आया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे। इस मसले पर कांग्रेस नेता कृष्ण कुमार बावा ने अपनी किताब ‘संघर्ष के 45 साल’ में उल्लेख किया है, कि कैसे प्रशांत किशोर की टीम के प्रिय लोगों को ही पिछले चुनावों में टिकट मिला था। ऐसे में चुनावों से ठीक पहले अब कांग्रेस में एक बार फिर पीके की इंट्री होना विधायकों को खटकने लगा है, और इसी कारण कांग्रेस विधायक एकजुट होकर पीके का विरोध कर रहे हैं।

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इसमें गलती कांग्रेस विधायकों या कैप्टन अमरिंदर सिंह की नहीं है, सारा दोष पीके के व्यक्तित्व का है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की ही बात करें तो दो साल पहले पीके वहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पुनः चुनाव जिताने की नीति लेकर गए थे और उनके चुनावी रणनीतिकार बन गए, लेकिन ममता की पार्टी टीएमसी के नेता ही प्रशांत किशोर के काम करने के तरीके से परेशान हो गए, और अनेकों दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। इतना ही नहीं आज टीएमसी की स्थिति इतनी बुरी हो चुकी है कि पीके के ही वायरल ऑडियो में बीजेपी की जीत की बात सामने आ रही है।

ऐसे में बंगाल चुनाव के दौरान अब कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने पंजाब गए प्रशांत किशोर अपने एक सुझाव से ही कांग्रेस विधायकों को नाराज कर चुके हैं, जो दिखाता है कि पीके अब पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बर्बाद करने की नीति बनाने लगे हैं। 

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