जब एक बार किसी मुद्दे पर विजय हो जाती है, तो उससे संबंधित अन्य मुद्दों पर लोगों का हौसला असमान छूने लगता है, कुछ ऐसा ही राम जन्मभूमि केस के साथ भी हुआ है जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिली विजय के बाद अब बहुसंख्यक समाज का जोश असमान छू रहा है। ऐसे में अब मथुरा की शाही मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे पर भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी गई है। साथ ही ये आरोप लगाया गया है कि ये जमीन धोखा-धड़ी करके मुस्लिम पक्ष को दी गई थी। इस केस के अलावा काशी मामले में भी जिला अदालत एएसआई से खुदाई की बात कर चुका है, जो दिखाता है बहुसंख्यक पक्ष अब कब्जाई जमीनों को वापस पाने को पूर्णतः आतुर है।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि केस को लेकर एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया, जिसके बाद अब जन्मभूमि से जुड़े सभी केस अदालतों में चले गए हैं, जिसमें ताजा मामला कृष्ण जन्मभूमि केस का भी है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। इस याचिका में धोखा-धड़ी से जमीन कब्जाने और लेन-देन में हेराफेरी का आरोप लगाया गया है, जो कि याचिका को विशेष बल दे रहा है, और ये मुस्लिम पक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गई इस याचिका में कहा गया, “हिंदुओं के साथ धोखा करके कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की संपत्ति बिना किसी कानूनी अधिकार के अनधिकृत रूप से समझौता करके शाही ईदगाह को दे दी गई जो कि गलत है।” इस याचिका में मांग की गई है कि, “कोर्ट घोषित करे कि श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान की ओर से 12 अगस्त, 1968 को शाही ईदगाह के साथ किया गया समझौता बिना क्षेत्राधिकार के किया गया था, इसलिए वह किसी पर भी बाध्यकारी नहीं है।”
श्रीकृष्ण जन्म भूमि को लेकर लगाई गई इस याचिका में कहा गया है कि धोखा-धड़ी से कब्जाई गई इस जमीन के मामले की एसआईटी द्वारा जांच कराई जाए और इस मामले में हिंदुओं के साथ ही धोखा करने के आरोप में सेवा संस्थान के सदस्यों के खिलाफ भी आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा चलाया जाए।
गौरतलब है कि 8 फरवरी 1944 को 13,400 रुपये में जुगल किशोर बिड़ला ने राय किशन दास और राय आनंद दास से ईदगाह, कटरा केशव देव और कारागार समेत सारी संपत्ति खरीदी थी। इस जमीन की रजिस्ट्री गोस्वामी गणेश दत्त, मदन मोहन मालवीय और भीकनलाल अत्री के नाम है।1951 में जुगल किशोर बिड़ला ने कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट का गठन किया था और तब से लेकर अब तक उनका परिवार कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट का आजीवन ट्रस्टी बना हुआ है।
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ऐसे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस का चर्चा में आना एक बार फिर संवेदनशील हो गया है। पहले राम जन्मभूमि विजय, फिर काशी की ज्ञानवापी मस्जिद, और आगरा की जामा मस्जिद को लेकर अदालतों में चल रहे मामलों के बाद अब कृष्ण जन्मभूमि केस का भी सुप्रीम कोर्ट में जाना दिखाता है, कि गलत तरीके से कब्जाई गई जमीन को पुनः हासिल करने के लिए बहुसंख्यक समाज कमर कर चुका है।