इस्लामिस्टों को अगर किसी बात या फैसले से असहमति होती है, तो वह अपनी असहमति जाहिर करने के लिए कानून का सहारा नहीं लेते है, बल्कि जिससे असहमति होती है उससे जान से मारने की धमकी देने लगते हैं। कभी- कभी तो जान से मार भी देते हैं। ऐसे ही एक खबर सामने आई है, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Kashi Vishwanath Gyanvapi Mosque Case) में याचिकाकर्ता हरिहर पांडेय को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली दी गई है। पांडेय को धमकी मिलने के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है।
बता दें कि, 75 वर्षीय हरिहर पांडेय औरंगाबाद शहर के रहने वाले हैं। पांडेय काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले के मुख्य याचिकाकर्ता हैं। हरिहर पांडेय जब 9 अप्रैल को फास्ट-ट्रैक कोर्ट से घर जा रहे थे, तो किसी यासिन ने फोन पर धमकी दी और कहा कि, “पांडेय जी आप मुकदमा तो जीत गए हैं, लेकिन आप और आपके सहयोगी मारे जाएंगे।” यासिन ने आगे कहा कि,“पांडेय जी आप केस तो जीत गए हैं, लेकिन आप और आपके साथ सर्वेक्षण किए हुए मंदिर में नहीं घुस पाएंगे। तुम्हारी और तुम्हारे साथियों की हत्या कर दी जाएगी।”
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दरअसल वाराणसी जिला कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को दिया है और रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर की रिसर्च कराने का फैसला दिया है। बता दें कि, राम जन्मभूमि पर फैसला भी पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सर्वेक्षण के बाद ही आया था। इसके बाद से इस्लामिस्टों को डर सता रहा है कि, कहीं फिर से सुप्रीम कोर्ट हिंदुओं के पक्ष में फैसला न सुना दे।
हाल में ही ज्ञानवापी परिसर पर वाराणसी कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से कहा है। कोर्ट के फैसले के बाद, सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता मुहम्मद तारिफ खान ने शुक्रवार को कहा कि वह अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। खान ने आगे यह भी कहा कि अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर फैसला दिया है। हम अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।
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वाराणसी कोर्ट का फैसला आने के बाद हिन्दू विरोधी पक्ष Places Of Worship Act 1991 का हवाला देते हुए विरोध करने लगे है। गौरतलब है कि इस मामले पर 1993 में इलाहाबाद कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साल 2019 में वाराणसी कोर्ट में एक बार फिर से मामले की सुनवाई शुरू कर दी गई है।
अभी वाराणसी कोर्ट ने सिर्फ ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का फैसला सुनाया है और याचिकाकर्ता को जान से मारने की धमकियां मिलने लगी हैं। अगर आगे हिन्दू के पक्ष में फैसला आया, तो न जाने क्या होगा। हम बस यही उम्मीद कर सकते हैं कि, जल्द से जल्द शांतिपूर्वक तरीके से काशी विश्वनाथ मंदिर का पूर्ण रूप से निर्माण हो।