असम विधानसभा चुनाव के नतीजे अभी घोषित भी नहीं हुए हैं और कांग्रेस और AIUDF गठबंधन के अंदर हलचल शुरू हो गई है। दरअसल, बात यह है कि, कांग्रेस पार्टी ने अपने 22 उम्मीदवारों को राजस्थान के फेयरमोंट होटल में शिफ्ट कर दिया है और कई उम्मीदवारों को शिफ्ट करने की तैयारी में लगी हुई है। बता दें कि, ऐसे अपने नेताओं को असम से राजस्थान के रिसोर्ट में शिफ्ट करने का एकमात्र कारण है, कि कांग्रेस पार्टी को फिर से डर सता रहा है की उसके उम्मीदवार पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल न हो जाए।
कांग्रेस के नेता रनदीप सिंह सुरजेवाला ने इस खबर की पुष्टि की है और कहा, “अब यह एक प्रवृत्ति है क्योंकि भाजपा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश करती है। इसलिए वे (सहयोगी) गार्ड लेना चाहते हैं।”
कांग्रेस पार्टी ने न सिर्फ अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को रिसोर्ट में शिफ्ट किया है, बल्कि AIUDF के कुछ उम्मीदवार और कुछ गैर कांग्रेसी उम्मीदवारों को भी रिसोर्ट में शिफ्ट किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कदम नतीजे आने के बाद संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। अगर हम पिछली गतिविधियों को देखे तो यह संकेत मिल रहा है कि कांग्रेस और AIUDF गठबंधन को अपने उम्मीदवारों पर कोई भरोसा नहीं रहा। साथ ही गठबंधन के उम्मीदवारों को समझ में आने लगा है कि गठबंधन की यह नाव फिर से डूबने वाली है, इसलिए अपनी जान बचाने के लिए लाइफ जैकेट (भाजपा) का इस्तेमाल कर सकते है।
अगर हम बात करे राजस्थान के जयपुर में स्थित फेयरमोंट होटल की तो, यह होटल उस वक़्त सुर्खियों में आया था जब साल 2020 में सचिन पायलट अपने 30 विधायकों की मदद से राजस्थान की सरकार गिराने की पूरी तैयारी कर चुके थे। उस समय कांग्रेस ने अपने विधायकों को भाजपा में पलायन के डर से उन्हे फेयरमोंट होटल में शिफ्ट कर दिया था। ठीक वैसे ही परस्थिति अभी बनी हुई है।
चुनाव नतीजे आने के पहले ही कांग्रेस का यह डर जायज भी है क्योंकि इससे पहले वाले विधानसभा चुनाव के समय असम कांग्रेस के गदद्वार देता हेमंता बिसवा शर्मा ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। शर्मा असम कांग्रेस को बेहद करीब और अंदर से जानते है जिसके चलते भाजपा ने देखते ही देखते असम में अपनी सरकार बना ली थी।
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कांग्रेस पार्टी की यह बौखलाहट बता रही है कि कांग्रेस असम चुनाव में बहुमत नहीं ला सकती है जिसके वजह से वो अपने बचे हुए ऊमीद्वारों को एकठा करने में लगी हुई है। साथ ही में यह घटना यह भी संकेत देता है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर भरोसा और आत्म-विश्वास की भारी कमी है।