भारत के वामपंथी, हिंदू धर्म को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। वह अपने इस प्रयास को सफल बनाने के लिए झूठ और फरेब का भी साथ लेने से कभी पीछे नहीं हटे है। इस बात का एक और उदाहरण सामने आया है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा लिखा गया एक फर्जी पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पत्र में अजीत डोभाल उत्तराखंड सरकार को कुंभ को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए बधाई दे रहे है।
हमारे देश की woke जनता बिना तथ्यों को जाने अजित डोभाल को ट्रोल करने लगी। यह फर्जी पत्र सामने आने के बाद सरकारी अधिकारियों ने बताया, “चिट्ठी फर्जी है। NSA ने ऐसी कोई चिट्ठी नहीं लिखी है।” बता दें कि, यह फर्जी पत्र उत्तराखंड के मुख्य सचिव को लिखा गया है। पत्र में अजीत डोभाल कुंभ मेले में स्थिति को संभालने के लिए उनकी तारीफ कर रहे हैं।
A letter is doing rounds suggesting that National Security Advisor Ajit Doval has appreciated Uttarakhand government officials for successfully organising the Kumbh Mela in Haridwar. The letter is fake and the NSA has not written any such letter: Government officials
— Oxomiya Jiyori 🇮🇳(Modi’s Family) (@SouleFacts) April 20, 2021
An administrative head of state government, Chief Secretary Om Prakash, IAS is in charge of promoting Rashtriya Swayamsevak Sangh ideology in Uttarakhand. Even if you somehow get rid of Modi, how will you flush out these terrorists hidden in Indian bureaucracy & judiciary? https://t.co/dMwntt1jii
— Nikhil (@Nikhilreturns) April 21, 2021
इस फर्जी चिट्ठी के अंत में यह लिखा गया है, ‘सभी एजेंसियों और सरकारी विभागों के साझा प्रयास से कुंभ मेले का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ और इससे देश में एक धार्मिक माहौल बनेगा, एक अनुशासन पैदा होगा और भविष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को बढ़ावा देने का मौका मिलेगा।’
अब जरा सोचिए, देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को कुंभ मेले और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से क्या लेना देना है। यह पत्र के पीछे अजीत डोभाल को बदनाम करने की साजिश है।
कुछ दिनों पहले देश के लिबरल मीडिया और वामपंथियों ने तबलीगी जमात और कुंभ स्नान की तुलना कर रहे थे। इस बीच कोरोना संक्रमण को फैलते देख, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ में स्नान कर रहे साधु संतों से आग्रह किया कि, कुंभ को प्रतीकात्मक ही रखा जाए।
इस अपील के बाद महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने परिपक्वता दिखाई और ट्वीट करके संदेश दिया कि, “भारत की जनता और उसकी जीवन रक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए हमने विधिवत कुम्भ के आवाहित समस्त देवताओं का विसर्जन कर दिया है। जूना अखाड़ा की ओर से यह कुंभ का विधिवत विसर्जन-समापन है।”
कुंभ स्नान का मामला ठंडा पड़ रहा था तभी यह फर्जी पत्र वायरल होना शुरू हो गया। इसके पीछे का कारण यह माना जा रहा है कि, साल 2020 में जमातीयों को मरकज से बाहर निकालने के लिए अजीत डोभाल रात्रि 2 बजे जाकर आग्रह करने के बाद वो बाहर आए थे। इसी कड़ी में यह दिखाने की कोशिश की गई कि, डोभाल मुसलमानों के धार्मिक आयोजन के खिलाफ है, जबकि हिंदू धार्मिक आयोजन का समर्थन कर रहे है।