कोरोना के बढ़ते कोहराम से पूरा देश परेशान है। कहीं ICU बेड की कमी है तो कही ऑक्सीजन की। अब इसी ऑक्सीजन की कमी को कम करने के लिए DRDO सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा स्थापित किए जाने वाले अस्पतालों में हल्के लड़ाकू विमान तेजस में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक की मदद से ऑक्सीजन के प्लांट्स भी लगाए जाएंगे, जिससे ऑक्सीज़न के मामले में अस्पताल आत्मनिर्भर बन सकेंगे। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हस्तक्षेप के बाद लखनऊ में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के दो अस्पताल अगले सप्ताह तक चालू हो जाएंगे। इस अस्पताल में ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए अपनी खुद का एक मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगा है जो उसी टेक्नोलॉजी पर काम करता है जिसे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस के लिए विकसित किया गया है।
लखनऊ में कोरोना के बढ़ते मामले के कारण जनता में खौफ का मंजर देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी में लगभग 45,000 सक्रिय मामले हैं, और पिछले 24 घंटों में लगभग 36 मौतों के साथ 6,000 कोरोना के पॉजिटिव मामले दर्ज किये गए। इसी कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जो लखनऊ के संसद सदस्य भी हैं, ने लखनऊ की गंभीर स्थिति के बीच हस्तक्षेप किया है, वे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ लगातार संपर्क में हैं। अधिकारियों ने News18 को बताया कि रक्षा मंत्री इस बात को सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जरूरतमंद मरीजों को अस्पताल में बिस्तर मिलें और राज्य की राजधानी में महामारी फैलने से रोकने के लिए Covid hotspots में micro-containment उपाय किये जाएँ।
इसी के मद्देनजर राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को DRDO को निर्देश दिया था कि शहर में बिस्तर की क्षमता बढ़ाने के लिए मिशन-मोड में लखनऊ में कुल 600 बिस्तरों वाले दो अस्पताल स्थापित किए जाएं और प्रगति की लगातार निगरानी की जाती रहे। यूपी सरकार ने राजनाथ सिंह की पहल पर लखनऊ-कानपुर रोड पर हज हाउस और गोल्डन ब्लॉसम रिजॉर्ट दोनों जगहों पर अस्पताल के लिए तेजी से काम किया।
न्यूज़ 18 की माने तो यहां की क्षमता का विस्तार जल्द ही 1000 बेड तक किया जाएगा और दोनों सुविधाएं अगले सप्ताह के अंत तक चालू हो जाएंगी। DRDO इन दोनों अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करेगा, जिससे स्वयं ही ऑक्सीजन का उत्पादन हो और जिसके बाद उसे मरीजों को सप्लाई किया जाए। इससे न सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर लाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी बल्कि अन्य अस्पतालों, जिन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता है, उनकी सप्लाई में कमी नहीं आएगी। यह एक बड़ी राहत होगी क्योंकि पूरे देश भर से अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी होने की रिपोर्ट मिली है।
बता दें कि बेंगलूरु स्थित रक्षा बायो-इंजीनियरिंग एवं इलेक्ट्रोमेडिकल प्रयोगशाला ( DEBEL) ने ऑनबोर्ड ऑक्सीजन (OBOX) उत्पादन प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली तेजस युद्धक में लंबी अवधि के मिशन पर उड़ान भरने वाले वायुसेना के पायलटों को कॉकपिट में निरंतर ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है। DRDO की इस प्रयोगशाला से अब यह तकनीक मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट ( MOP) के रूप में विकसित होकर कोविड-19 अस्पतालों तक पहुंचेगी। यह तकनीक हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए विकसित Onboard Oxygen (OBOX) generation system के आधार पर तैयार की गयी है जो वातावरण की हवा से सीधे ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इस प्रणाली का मेंटेनेंस भी काफी सरल है। यह प्लांट 60 कोरोना रोगियों को 5 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) की दर से ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकता है और हर रोज 60 ऑक्सीजन सिलेंडर को चार्ज भी कर सकता है। इसकी क्षमता अस्पतालों की जरूरत के मुताबिक घटाई-बढ़ाई जा सकती है।
DRDO अस्पतालों में स्थापित होने के बाद, यह तंत्र बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भरता को कम करेगा। यही नही, अब डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन दिल्ली एयरपोर्ट के पास कोविड सुविधा वाली 500 बेड के अस्पताल की व्यवस्था करने जा रहा है। डीआरडीओ के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने कहा कि रविवार को हम इस अस्पताल को डॉक्टरों के हवाले कर देंगे और इसके बाद यहां पर मरीजों की भर्ती शुरू कर दी जाएगी। अपनी सुस्ती और सफलता से अधिक असफलता के लिए मशहूर DRDO कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अब जाग चुका है और उसमें अब एक नई ऊर्जा दिखाई दे रही है।