कोरोना के मामले और मौत के बढ़ते आंकड़ों के बीच लिबरल मीडिया रिकवरी रेट को छुपाने में क्यों लगी है?

पिछले कुछ दिनों में भारत में कोरोना के मामले बेहद तेजी से बढ़े हैं। कोरोना के बढ़ते संकट के कारण देश में oxygen संकट भी पैदा हो गया। साथ ही साथ, Remdesivir जैसे महत्वपूर्ण ड्रग्स की भारी कमी हो गयी। अस्पतालों में Beds की कमी होने के कारण असहाय परिवारों को अपने करीबियों को दम तोड़ते देखना पड़ रहा है।

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि देश में स्थिति बेहद चिंताजनक है। हालांकि, यह भी सत्य ही है कि भारत की इस पीड़ा को पश्चिमी मीडिया समेत देश की लिबरल मीडिया ने अपने व्यापार का साधन बना लिया है। Reuters, CNN, Wall Street Journal और New York Times जैसे अखबार भारत की बेहद भयावह तस्वीर पेश करने में लगे हैं। लिबरल मीडिया भी देश की तस्वीर पर लांछन लगाने का काम कर रही है, जिसके कारण देश के लोगों का आत्मविश्वास दम तोड़ता जा रहा है।

आपको बता दें कि आज भी भारत में रिकवरी दर दुनिया के अधिकतर देशों से ज़्यादा ही है। भारत में इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर केवल 1.12 प्रतिशत ही है, जिसका अर्थ है कि इस बीमारी की चपेट में आने वाले करीब 99 प्रतिशत लोग स्वस्थ हो रहे हैं। यह भी सच है कि कुछ मामलों में तो कोरोना के मामलों का पंजीकरण ही नहीं हो रहा है, अगर उन मामलों को भी संज्ञान में लिया जाये तो इस रिकवरी रेट में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

ज़ाहिर है कि लिबरल मीडिया देश में डर का माहौल बनाकर अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाना चाहती है। उदाहरण के लिए Remdesivir को देख लीजिये! डर के माहौल के कारण देशभर में इस ड्रग की कालाबाजारी बढ़ गयी है। यही हाल Oxygen सिलेन्डर का है, जिसकी कालाबाजारी पिछले कुछ दिनों में बढ़ी है। इसके कारण ज़रूरतमंद लोगों को मदद नहीं पहुँच पा रही है और लोग और बड़ी संख्या में मर रहे हैं।

मीडिया की इस असंवेदनशील रिपोर्टिंग पर National Institute of Mental Health and Neuro Sciences के निर्देशक और VC BN गंगाधर इन मीडिया संस्थानों को खुला खत भी लिख चुके हैं। पत्र में डॉक्टर ने लिखा था “न्यूज़ रिपोर्ट्स में कोरोना से मरने वालों की चिताओं को जलते हुए, लोगों को ऑक्सीजन के लिए चीखते-चिल्लाते आदि दिखाया जा रहा है। इन्हें देखने के बाद संकट के इस समय में घरों में बैठे लोगों में दहशत पैदा हो रही है। आइसोलेशन, लाकडाउन व अन्य कारणों से लोग पहले ही अवसाद में हैं।”

इसके साथ ही महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में कोरोना के मामले कम हो रहे हैं। दिल्ली में भी कोरोना के एक्टिव मामले कम होना शुरू हो गए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि 15 मई तक भारत peak से गुजर चुका होगा और उसके बाद देश में हालात सामान्य हो सकेंगे। देशभर में 1 मई से 18 से लेकर 45 वर्ष तक आयु के लोगों के लिए vaccination शुरू हो रही है और ऐसे में जून के अंत तक देश इस समस्या से बाहर आ सकता है। ऐसे में देश को चाहिए कि आने वाले दो महीनों में हम अत्यधिक धैर्य अपनाएं रखें और कोरोना की रोकथाम हेतु सभी नियमों का पालन करें!

 

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