अनिल देशमुख ने इस्तीफा अपनी मर्जी से नहीं दिया, भाजपा ने उन्हें जकड़ के रखा था

अनिल देशमुख

PC: TV9 Marathi

हाल ही में महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार को जबरदस्त झटका लगा, जब गृह मंत्री अनिल देशमुख को त्यागपत्र सौंपना पड़ा। अनिल देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखते हुए अपना त्यागपत्र सौंपा। उनकी जगह अब उन्हीं की पार्टी के विधायक दिलीप पाटिल लेंगे।

इसपर कई लोग अनिल देशमुख का महिमामंडन करने में जुट गए। कुछ ने उन्हें आदर्शवाद का प्रतीक सिद्ध करने का प्रयास किया, तो कुछ ने अनिल देशमुख के कंधे पर बंदूक तानकर केंद्र सरकार पर निशाना साधने का प्रयास किया। विश्वास नहीं तो गौरव पान्धी के इस ट्वीट को ही देख लीजिए।

इस ट्वीट में गौरव लिखते हैं, “कुछ उँगलियाँ उठाने पर अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा। पर अमित शाह का क्या? उनके जैसा नाकारा गृह मंत्री आज तक नहीं देखा। 22 जवान मर चुके हैं और वह अन्य राज्यों में पर्यटक की तरह घूम रहे हैं। यह इस्तीफा देंगे?”

इतना ही नहीं, काँग्रेस के अनाधिकारिक प्रवक्ता और कथित सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने तो प्रकाश जावड़ेकर द्वारा महा विकास अघाड़ी की गलतियां गिनाने पर उन्हें न्यायालय की अवमानना के मुकदमे में फँसाने की धमकी भी दी। विश्वास नहीं होता, तो आप खुद ही यह ट्वीट देख लीजिए।

लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है। अनिल देशमुख ने इस्तीफा देकर कोई महान काम नहीं किया। उन्हें इस्तीफा देने के लिए इसलिए बाध्य होना पड़ा है क्योंकि उनके दिन अब लद रहे हैं, और महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी के पास उन्हें रास्ते से हटाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

अनिल देशमुख के त्यागपत्र के पीछे का प्रमुख कारण है बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई को दी गई स्वीकृति। दरअसल, जब मुंबई पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर परमवीर सिंह का ट्रांसफर किया गया, तो उन्होंने अनिल देशमुख की पोल खोलते हुए आरोप लगाया कि सचिन वाझे वसूली कांड के बारे में न केवल सब कुछ जानते थे, बल्कि उसे अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी स्वीकृति भी दी। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की कि अनिल देशमुख के विरुद्ध जांच बिठानी चाहिए।

फलस्वरूप काफी विचार विमर्श के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुखके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की 15 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच शुरू करने के लिए कहा। सीबीआई को मामला सौंपे जाने के बाद ही अनिल देशमुख ने इस्तीफा भी दिया है। ऐसे में अनिल देशमुख का इस्तीफा देना उनकी मजबूरी है, क्योंकि अगर सीबीआई ने अपनी फ़ाइल खोली, तो केवल वसूली कांड ही नहीं बल्कि और मामलों की जांच पड़ताल होगी।

अनिल देशमुख ने बतौर महाराष्ट्र के गृह मंत्री कई ऐसे काम किये हैं जिसके कारण उनका इस्तीफा स्वाभाविक था। सर्वप्रथम तो पालघर मामले पर काँग्रेस को घेरने के लिए अर्नब गोस्वामी के पीछे जिस प्रकार से अनिल देशमुख ने पूरी पुलिस लगा दी, वो उनके प्रशासनिक कला का अच्छा परिचय देता है। इसके अलावा जिस प्रकार से भारत विरोधी दलों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अनिल देशमुख ने सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर जैसे लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच करने का हुक्म दिया, तो पूरा देश आक्रोश में उमड़ पड़ा और अनिल को वह निर्णय एक तरह से वापिस लेना पड़ा।

लेकिन एंटीलिया केस और उसके बाद सचिन वाझे और परमवीर सिंह द्वारा जिस प्रकार से उनकी पोल खोली गई, उससे अनिल देशमुख के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा था। लेकिन ये तो अभी शुरुआत है, क्योंकि अनिल देशमुख ने यदि सीबीआई के सामने अपना मुंह खोला, तो उद्धव ठाकरे की सरकार भी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाएंगे।

 

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