राम जन्म भूमि के बाद अब सभी की नजरें द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिरपर है। इस क्षेत्र में हिंदुओं को एक बड़ी सफलता मिली है। वाराणसी जिला अदालत ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को दिया है और रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर का रिसर्च कराने का फैसला दिया।
रिपोर्ट के अनुसार यह याचिका स्थानीय वकील वीएस रस्तोगी ने दायर की थी। उन्होंने हिंदुओं के लिए ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश करने वाली भूमि को बहाल करने की मांग की थी, जिसमें दावा किया गया था कि 1664 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने 2000 साल पुरानी काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को ज्ञानवापी मस्जिद बनाने के लिए तोड़ा था।
हालाँकि, ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने याचिका का विरोध किया था, लेकिन अब अदालत ने मस्जिद के ASI सर्वेक्षण के लिए अनुमति दे दी है। बता दें कि ये ASI की ही रिपोर्ट थी जिसने यह साबित किया था कि बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि पर मंदिर तोड़ कर बनायीं गयी थी।
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए ASI 5 सदस्य समिति का गठन करेगा, जो सर्वेक्षण के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करेंगे जिससे किसी प्रकार का नुकसान न हो। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि सर्वेक्षण के कारण मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सिस्टम सहित नवीनतम तकनीक का उपयोग करेगा। इस दौरान यह प्रयत्न किया जायेगा जिससे यह निष्कर्ष निकल सके कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद की संरचना काशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना को तोड़ कर बना है।
अदालत के अनुसार, “मुस्लिम पक्ष को सर्वेक्षण गतिविधि से पूरी तरह अवगत कराया जायेगा। सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद के अंदर नमाज अदा करने में भी बाधा नहीं डाला जायेगा । इसके अलावा, प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए पर्याप्त camouflage किया जायेगा।”
सर्वेक्षणकर्ताओं को अदालत द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी कार्य को सावधानीपूर्वक करें और मीडिया और अन्य व्यक्तियों को सर्वेक्षण के परिणाम या प्रगति का खुलासा न करें। साथ ही, एएसआई के अलावा किसी को भी कार्यवाही की तस्वीर लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार वाराणसी में ASI के सर्वेक्षण से संबंधित सभी लागतों को वहन करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हिन्दुओं का पूरे मंदिर क्षेत्र पर अधिकार की लड़ाई में ASI की रिपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण साबित होगी जैसे रामजन्म भूमि क्षेत्र की क़ानूनी लड़ाई में हुई थी। बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 2003 में जारी रिपोर्ट ने रामजन्म भूमि के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुख्य भूमिका निभाई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि विवादित बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि स्थल पर “हिंदू संरचना” के कुछ अवशेष पाए गए थे।
ASI की रिपोर्ट के आधार पर शीर्ष अदालत के फैसले ने यह निष्कर्ष दिया कि “16 वीं शताब्दी की मस्जिद” की नींव एक बड़ी पूर्व-मौजूदा संरचना की दीवारों पर आधारित थी, जो बारहवीं सदी में मौजूद थी।” यह भी कहा गया था कि सर्वेक्षण के दौरान जो भी अवशेष मिले हैं उससे हिंदू धर्म की किसी बड़ी संरचना का पता चलता है।“
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी कहा गया है कि एएसआई की रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि “पहले से मौजूद अंतर्निहित संरचना (मंदिर) विशाल थी, तथा मंदिर 17 पंक्तियों में पांच स्तंभों के साथ कुल 85 स्तंभ के आधार पर खड़ा था।“
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के निर्देश पर, 2003 में मई और जून के बीच, ASI ने विवादित अयोध्या स्थल की खुदाई और सर्वेक्षण किया था। विस्तृत रूप से सर्वेक्षण के 16 साल बाद ASI ने अदालत को एक 574 पृष्ठ की रिपोर्ट उस वर्ष अगस्त में सौंपी थी। यही रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के इस मामले पर आखिरी फैसले का आधार बना जिसके बाद हिन्दुओं को रामजन्म भूमि का अधिकार मिला। अब ASI को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के अधिकार मिलना हिन्दुओं के लिए एक बड़ी खबर है तथा यही आगे की स्थिति तय करेगा। अपने मंदिरों को वापस पाने के बीच में हिन्दुओं के लिए एक और रोड़ा बीच में है जिसे हटाना अतिअवाश्यक है और वह है Places Of Worship Act 1991। इसके लिए भी प्रतिक्रिया शुरू हो गयी है लेकिन यह देखना है यह कब होता है जिसके बाद न सिर्फ काशी बल्कि मथुरा और अन्य तोड़े गए 40000 हजार से अधिक मंदिरों के लिए क़ानूनी बाधा दूर हो जाएगी।