भारत देश में पश्चिमीकरण का असर बहुत तेज़ी से हो रहा है, जिसकी वजह से भारतीय अपने संस्कृति को भुला कर पश्चीमी सभ्यता के प्रति ज्यादा आकर्षित हो रहे है। वैसे ही एक सभ्यता है जिसमें पश्चिम के लोग अपने बुजुर्ग माँ- बाप को अकेले रहने के लिए छोड़ देते है, तो कई अपने माँ- बाप को वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर कर देते है। खैर, अब यह रवैया उत्तर प्रदेश में ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार एक कानून पारित करने वाली है जिसमें जो लोग अपने माँ- बाप को अपने घर से बाहर निकाल देते हैं और अगर उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं उसको अपनी संपति से हाथ धोना पड़ सकता है।
बता दें कि, उत्तर प्रदेश में कई लोगों द्वारा अपने माता-पिता के प्रति दुर्व्यवहार के मामलें काफी बढ़ गये हैं, जिसके बाद यूपी राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव पेश किया है। विधि आयोग ने वरिष्ठ नागरिक रखरखाव कल्याण अधिनियम-2017 में संशोधन के लिए योगी सरकार के समक्ष प्रस्ताव पेश किया है अगर प्रस्ताव पास हो जाता है तो योगी सरकार कानून बना देगी। आजतक को मिली हुई जानकारी के हिसाब से ‘अगर कोई बेटा अपने माता-पिता का देखभाल अच्छी तरह से नहीं करता है तो वो उनकी संपति के उत्तराधिकारी नहीं बन सकेंगे।’
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योगी सरकार प्रदेश हमेशा से भारतीय संस्कृति को बचाए रखने के लिए प्रयास करती रहती है और ऐसा ही एक प्रयास यह भी है। आजकल के नौजवान अपने माँ-बाप से संपति के लिए रिश्ता रखते हैं, संपति मिलते ही उनके साथ दुर्व्यवहार करने लगते है, साथ ही अगर कोई बीमार है तो उसकी देख -भाल में कमी करने लगते हैं ऐसे में अगर कोई माता – पिता शिकायत दर्ज कराते हैं तो बेटे के ऊपर कानूनी करवाई की जाएगी। साथ ही उनको दी गई संपति वापस ले ली जाएगी।
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अगर यह कानून लागू हो जाता है तो स्वार्थी बच्चों पर अंकुश लगाया जा सकता है, वो अब अपने माँ- बाप के साथ दुर्व्यवहार करने से पहले दस बार सोचेंगे और उत्तर प्रदेश के सख्त प्रशासन को देखते हुए वो ऐसा कदम नहीं उठा पाएंगे। इस कानून से बुजुर्ग माता पिता के अंदर भी एक आत्मविश्वास जगेगा जिससे वो अपने ऊपर हो रहे है अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठा सकते हैं। सबसे अहम बात यह है कि इस कानून से आजकल के नौजवानों के अंदर शिष्टाचार की भावना आएगी साथ ही उन्हें अपने बुजुर्ग माता पिता के प्रति जिम्मेदारियों का एहसास होगा।