BJP की असम जीतने की संभावना है और यह CAA-NRC की सफलता का Test होगा

असम में CAA- NRC सफलता या नहीं?

जल जीवन मिशन का उद्घाटन करते मोदी जी

भीषण चुनावी मौसम के बाद, देशभर के राजनीतिक दल परिणामों के लिए कमर कस चुके है, जिसकी घोषणा 2 मई को की जाएगी। कल जारी किए गए कई एग्जिट पोल ने यह साफ कर दिया है कि उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भाजपा सत्ता में वापस आना लगभग तय है। असम में भाजपा की जीत का सिलसिला CAA- NRC की सफलता पर मोहर लगा देगा।

असम के नेताओं का भाग्य 6 अप्रैल को ईवीएम में अंतिम चरण के मतदान की समाप्ति के साथ ही सील कर दिया गया। असम विधान सभा की 126 सीटों में से, बहुमत के लिए 64 सीटों की आवश्यकता है। एग्जिट पोल के मुताबिक, हेमन्त बिस्वा शर्मा के नेतृत्व में भाजपा को आराम से बहुमत मिल रही है।

इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल ने असम विधानसभा चुनाव में भाजपा को 75-85 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की है। कांग्रेस 40-50 सीटें जीत सकती थी। एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को असम विधानसभा चुनाव में 48 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है, जबकि कांग्रेस को 40 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद की जा रही है।

पूर्वोत्तर राज्य असम बहुत वर्षों से अवैध अप्रवासियों की समस्या का सामना कर रहा है। दशकों पुरानी समस्या को खत्म करने के लिए CAA-NRC को एकमात्र रास्ते के रूप में देखा जा रहा है।

आपको बता दें कि, असम में ऐसे भी मुस्लिम हैं जो अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के साथ पहचाना नहीं जाना चाहते हैं। ऐसे में वो बीजेपी के मुरीद हो गए है। भाजपा असम में वहां के क्षेत्रीय जनजाति के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में बंगाली मूल के अवैध मुसलमानों को बताते आ रही है। भाजपा का यह संदेश अवश्य असम में पहुंच चुका है।

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एग्जिट पोल के अनुसार, कांग्रेस को फिर से कुछ भी हाथ नहीं लग रहा है। कांग्रेस ने असम में अपनी किस्मत को फिर से संवारने के लिए मेहनत की थी साथ ही नई रणनीति के साथ पार्टी इस बार चुनाव के मैदान में उतरी थी। इत्र-बैरन बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF के साथ कांग्रेस ने गठबंधन किया है। बता दें कि, बदरुद्दीन अजमल बांग्लादेशी घुसपैठियों की संरक्षण के लिए जाने जाते है।

AIUDF के साथ कांग्रेस का गठबंधन एकमात्र कारण के लिए था – चुनावों में जीत का खाता खोलना। बता दें कि असम में मुस्लिमों की जनसंख्या 35 प्रतिशत के आसपास है। फिर भी, कांग्रेस एक बार फिर से एक और विधानसभा चुनाव हारती हुई नजर आ रही है।

असम में कांग्रेस और उसके साथी AIUDF का फार्मूला सरल था – मुस्लिम वोटों को मजबूत करना। मुसलमान राज्य के लगभग 35 प्रतिशत मतदाता हैं। यद्यपि मुस्लिम वोटों के एक ओर होने से दोनों दलों के लिए काम आसान हो गया था। लेकिन उनकी एक और योजना भी थी जिसमें CAA- NRC का मुद्दा उठाकर क्षेत्रीय जनजाति को भाजपा से दूर किया जाये। कांग्रेस गठबंधन का यह पैंतरा पूरी तरह से नाकाम रहा और बीजेपी असम में आसानी से जीतती हुई नजर आ रही है।

हालांकि, CAA- NRC पर बहस और AIUDF के साथ गठबंधन ने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस मुस्लिम वोटों पर अकेले प्रभाव नहीं डाल सकती है। इसको देखते हुए भाजपा ने असम के मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस की रणनीति का इस्तेमाल किया और मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।

तीसरे चरण के चुनाव में, भाजपा ने 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका दिया। इसमें दक्षिण सलमारा से अश्शुल इस्लाम, बिलासपुर पश्चिम से अबू बक्कर सिद्दीकी, जलेश्वर से उस्मान गोनी, जनिया से शहीदुल इस्लाम और पश्चिमी असम में बागबोर से हसीनारा खातून शामिल है।

असम विधानसभा चुनाव और बाकी राज्यों के चुनाव के नतीजों को देखकर कह सकते है कि, राहुल गांधी एक बार फिर स्क्वायर वन पर आ गए है। अर्थात जीरो से शुरू किया था, और जीरो पर अंत। कांग्रेस पार्टी के पतन के साथ उनका CAA – NRC का मुद्दा भी किसी कचरे का डिब्बा में फेंक दिया जाएगा।

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