भारत सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान को अगले चरण में प्रवेश करवाने के लिए नई योजना तैयार की है, जिसके तहत राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को वैक्सीन खरीदने की छूट दे दी गई है। 50 प्रतिशत वैक्सीन केंद्र उपलब्ध करवाएगा, जो राज्यों को फ्री में मिलेगी, शेष की व्यवस्था राज्य को स्वयं करनी है। इसके बाद जहां विपक्षी दलों ने केंद्र से 100 % फ्री में वैक्सीन उपलब्ध करवाने की मांग की है, वहीं दो भाजपा शासित प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम में राज्य सरकार ने स्वयं ही फ्री वैक्सीन देने का निर्णय लिया है।
मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “हमने तय किया है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को फ्री में वैक्सीन लगेगी। सरकार टीकाकरण अभियान को अपने संसाधनों के बल पर आगे बढ़ाएगी।”
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में फ्री वैक्सीनेशन अभियान चलाने का मतलब हुआ कि राज्य सरकार को हजारों करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, क्योंकि प्रदेश की 22 करोड़ की आबादी में 15 करोड़ से अधिक वयस्क लोग रहते हैं, किन्तु योगी सरकार ने राज्य सरकार के अनावश्यक खर्चों में कटौती करके और सरकारी कर्मचारियों का बोनस रोककर काफी धन बचा लिया है। अब इस धन का बेहतर इस्तेमाल किया जाएगा और सभी व्यसकों को फ्री में वैक्सीन लगाई जाएगी। उत्तर प्रदेश का व्यय 5 लाख करोड़ रुपये का है। इतना बड़ा बजट योगी सरकार को फ्री वैक्सीन के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाता है।
इसके साथ ही असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने ट्वीट किया कि “केंद्र सरकार 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को फ्री वैक्सीन दे रही है, असम 18 से 45 वर्ष के लोगों को फ्री वैक्सीन देगा।” उनके अनुसार असम आरोग्य निधि के लिए जुटाए गए फंड का इस्तेमाल इस कार्य में होगा। मुख्यमंत्री ने बताया “आज ही, हमने भारत बॉयोटेक को 1 करोड़ वैक्सीन प्रदान करने का आर्डर दिया है।”
गौरतलब है कि असम में हाल ही में चुनाव हुए हैं ऐसे में असम सरकार का खर्च इस समय अन्य राज्यों की अपेक्षा बढ़ा हुआ है, बावजूद इसके असम सरकार फ्री वैक्सीनेशन के लिए धन खर्च कर रही है। यह बताता है कि असम सरकार अपने धन को किस चतुराई से खर्च कर रही है।
एक ओर भाजपा शासित राज्यों में फ्री वैक्सीन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों की राज्य सरकारें इसके लिए केंद्र का मुंह देख रही हैं। चुनाव में सब कुछ फ्री में देने का वादा करने वाले विपक्षी दल यह नहीं समझ पा रहे कि राज्य के फंड से फ्री वैक्सीनेशन अभियान कैसे चलाया जाए।
महाराष्ट्र, केरल, पंजाब जैसे राज्यों में जहां हालात दिन ब दिन खराब हो रहे हैं, वहीं फ्री वैक्सीन को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई है। वामपंथी उदारवादी मीडिया और विचारकों द्वारा केरल को आदर्श सरकार का मॉडल बताया जाता रहा है, किन्तु फ्री वैक्सीन अभियान के लिए केरल के मुख्यमंत्री केंद्र से मदद मांग रहे हैं। देश के सबसे संवृद्ध राज्य, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास इसे लेकर कोई योजना नहीं है, जबकि कभी पिछड़े राज्यों में गिना जाने वाला उत्तर प्रदेश सबसे पहले फ्री वैक्सीन अभियान की योजना लेकर सामने आया है।
भाजपा शासित राज्यों की सफलता का कारण यह है कि वे अपने राज्य पर कर्ज को GDP के अनुरूप ही रखते हैं। जिन राज्यों में समाजवादी अथवा वामपंथी सरकारे हैं, वहां चुनाव जीतने के लिए लोकलुभावन वादे किए जाते हैं।
फ्री मोबाइल फोन, लैपटॉप, फ्री बिजली जैसे चुनावी वादों को पूरा करने के लिए राज्य के आर्थिक संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डाला जाता है। यही कारण हैं कि जहाँ TMC या TRS जैसे क्षेत्रीय दल सरकार में हैं, अथवा कांग्रेस या उसके द्वारा समर्थित सरकार सत्ता में है, उस राज्य पर GDP की तुलना में कहीं अधिक कर्ज है। इन राज्यों में आर्थिक संसाधनों पर पहले ही इतना दबाव डाला जा चुका है कि अब आपदा के समय इन राज्यों के पास फंड ही नहीं है।
भाजपा के गवर्नेंस में आर्थिक नीतियां एक ऐसा पहलू हैं, जो अक्सर चर्चा में नहीं आती। इसके दो कारण हैं: पहला, पब्लिक फाइनेंस पेचीदा विषय है, जिसकी भाषा क्लिष्ट है। यह आम आदमी की समझ से परे हैं। इसे इस विषय के विद्यार्थियों अथवा विशेषज्ञों द्वारा समझा जाता है, जिनकी संख्या सीमित है। दूसरा कारण है कि भारत में समाजवादी आर्थिक चिंतन का क्रेज है। आम लोग इसके आर्थिक पहलुओं को भले ही न समझें, लेकिन उपन्यासों, सिनेमा आदि ने इसे लोकप्रिय बना दिया है। जब कोई नेता यह कहता है कि गरीब को मुफ्त में 5 स्टार का खाना मिलना चाहिए, तो लोग इस बात को पसंद करते हैं, बिना यह समझे कि राज्य के सीमित आर्थिक संसाधन में यह संभव हैं या नहीं।
सरकार का काम आर्थिक विकास के लिए माहौल तैयार करना है। आर्थिक विकास और फैलता व्यापार अपने आप ही नौकरीयां पैदा करेगा, इसके बाद फ्री बिजली, पानी की जरूरत नहीं रह जाएगी। देखा जाए तो सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के अतिरिक्त, किसी अन्य सेक्टर में फ्री की राजनीति करते समय बहुत सजग रहना चाहिए।
भाजपा द्वारा वित्तीय नीतियों के बेहतर समन्वय का नतीजा है कि भाजपा शासित राज्य आज फ्री वैक्सीनेशन जैसे अभियान चला पा रहे हैं। आज हर भारतीय को भारत की पिछड़ी स्वास्थ सेवा साफ-साफ नज़र आ रही है। इस पिछड़ेपन का कारण समाजवादी आर्थिक मॉडल ही है। अधिकांश दल हॉस्पिटल बनवाने से अधिक ध्यान बेरोजगारी भत्ता बांटने में लगाते हैं। कोरोना के बाद सबक लेते हुए ऐसी राजनीति का अंत होना चाहिए। जनता को ऐसे दलों को नकारना सीखना होगा जो ‘मुफ्त’ की राजनीति करते हैं।