जब केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपना असम दौरा बीच में ही रद्द कर दिल्ली की ओर रवाना हुए थे, तभी लोगों को समझ जाना चाहिए था कि स्थिति कितनी गंभीर है। सुकमा बीजापुर में जिस तरह से घात लगाकर 22 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को मारा गया था, उससे स्पष्ट था कि केंद्र सरकार इसे हल्के में नहीं लेने वाली, और हुआ भी वही। नक्सलियों के विरुद्ध निर्णायक अभियान की शुरुआत हो चुकी है, और शुरुआत दंतेवाड़ा से हुई है।
हाल ही में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों की एक टुकड़ी पकड़ी गई, जिसके चलते सुरक्षाबलों और नक्सलियों में भीषण गोलाबारी हुई। इसमें कई नक्सलियों के मारे जाने की खबर सामने आई है, जबकि एक नक्सली का शव बरामद हुआ है। ये मुठभेड़ सुरक्षाबल के जवानों और कटेकल्याण एरिया कमेटी के नक्सलियों से हुई, जो दंतेवाड़ा गादम और जंगमपाल के जंगलों में अब भी जारी है।
इतना ही नहीं, पुलिस ने जिस नक्सली के शव को बरामद किया है, उसका नाम है वेट्टी हूंगा, जिसपर एक लाख रुपए का इनाम था। घटनास्थल से सुरक्षाबलों ने 2 किलो का IEED विस्फोटक, एक 8 mm की पिस्टल, एक भरमार बंदूक सहित तमाम नक्सली साहित्य और अन्य सामग्री बरामद किया है।
बता दें कि पिछले हफ्ते छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले के दौरान जवाबी कार्रवाई में शहीदों ने 12 नक्सलियों को ढेर कर दिया था, जिसमें कई गंभीर रूप से घायल भी बताए जा रहे हैं। नक्सलियों के साथ हुई इस मुठभेड़ में 22 जवान शहीद और 32 घायल हुए थे। वहीं, एक जवान को नक्सली पकड़ ले गए थे, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया था।
यह ऑपरेशन इसलिए भी बहुत अहम है क्योंकि दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ का सबसे कुख्यात जिला, जहां माओवाद का सबसे वीभत्स रूप देखने को मिला है। यहाँ पर कई सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान गंवाई है, और इस क्षेत्र में ही सुरक्षाकर्मियों पर सबसे घातक हमले भी हुए हैं।
लेकिन ये लड़ाई केवल छत्तीसगढ़ तक ही सीमित नहीं रही। महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली क्षेत्र में भी सुरक्षाकर्मियों को एक के बाद एक दो बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। एक तो दो हफ्ते पहले एक अहम ऑपरेशन में 5 नक्सलियों को सफलतापूर्वक मार गिराया गया, और अभी हाल ही में इसी क्षेत्र से एक अहम नक्सली सरगना को भी धर दबोचा गया है।
एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “गढ़चिरौली पुलिस ने एक ऐसे नक्सल को गिरफ्तार किया है जिसकी तलाश महाराष्ट्र पुलिस को कई दिनों से थी। इसके ऊपर 16 लाख का इनाम भी रखा गया था। गिरफ्तार किए गए नक्सल का नाम टिपागड डिव्हीसी किशोर उर्फ गोंगलु उर्फ सोबू घीसू कवड़ो है। गढ़चिरौली के एसपी अंकित गोयल ने एबीपी न्यूज को बताया कि 29 मार्च के दिन पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी जिसमे 5 नक्सलियों की मौत हो गयी थी। बाद में पता चला कि किशोर कवड़ो नाम का नक्सली उसी दिन की मुठभेड़ में जख्मी हो गया था, उस दिन उसके पैर पर पुलिस की एक गोली लग गयी थी। फिर उसके साथी नक्सल कवड़ो को अकेले तड़पते हुए छोड़ वहां से अपनी जान बचाकर भाग निकला था”।
रिपोर्ट में ही आगे लिखा था, “पुलिस को अपने लोकल इंटेलिजेंस से जानकारी मिली कि कवड़े किसी नक्सली विचारधारा से प्रभावित व्यक्ति के घर पर छुपकर बैठा हुआ है। इसके बाद नक्सल पुलिस की एक स्पेशल टीम ने सर्च ऑपरेशन किया और कवडे को धरदबोचा। पुलिस ने इस मामले में कट्टर नक्सल समर्थ गणपत कोल्हे को भी गिरफ्तार किया था। कोल्हे ने ही कवड़े को अपने घर मे छुपने के लिए पनाह दी थी”।
ऐसे में केंद्र सरकार ने अपनी कार्रवाई से स्पष्ट संदेश भेजा है – अब नक्सलियों पर कोई रहम नहीं। दंतेवाड़ा से जो शुरुआत हुई है, वह अब तब तक खत्म नहीं होगी, जब तक नक्सलवाद का खात्मा न हो जाए।