जब आप किसी समस्या का समाधान नहीं निकाल सकते, तो कम से कम उसे बढ़ाने और लोगों में भय फैलाने में भी सहयोग न करे। लेकिन कांग्रेस का इस नसीहत से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं। इसीलिए जहां वे सरकारी तौर पर अपने अपने राज्यों में केंद्र सरकार की
सभी प्रकार की सहायताओं का मखौल उड़ा रहे हैं, तो वहीं मनमोहन सिंह जैसे वरिष्ठ नेता स्थिति की गंभीरता को समझते हुए भी केंद्र सरकार को सलाह दे रहे हैं, पर अपनी पार्टी की हरकतों पर वो मौन ही रहे।
ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन से रहा नहीं गया, और उन्होंने मनमोहन सिंह को एक खुला पत्र लिखा। इस पत्र के प्रारंभ में स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन सिंह लिखते हैं, “प्रिय मनमोहन सिंह जी, मैंने नरेंद्र मोदी को लिखा आपका पत्र पढ़ा। आपने जो वैक्सीनेशन को लेकर सलाह दी है, उसपर हम लोग पहले से ही काम कर रहे हैं”।
लेकिन वैक्सीन को लेकर कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे भ्रमों को लेकर डॉ हर्ष वर्धन ने आक्रामक रुख अपनाते हुए लिखा, “यह बेहद दुख की बात है डॉ सिंह, आपकी पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्ति वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का अभिवादन तो छोड़िए, वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित भी नहीं कर सकते। क्या यह गर्व की बात नहीं कि भारत उन चंद देशों में शामिल है, जिसके पास एक से अधिक वैक्सीन है?”।
डॉ हर्ष वर्धन ने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए आगे लिखा, “वैज्ञानिकों को धन्यवाद देना तो छोड़िए, आपकी पार्टी के नेतृत्व वाली कुछ सरकारों ने तो वैक्सीन की प्रतिबद्धता पर ही सवाल उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कुछ काँग्रेस नेताओं ने वैक्सीन की सार्वजनिक निन्दा की, परंतु चुपचाप वैक्सीन ले ली”।
Health Minister Dr. Harsh Vardhan has replied to Manmohan Singh. Don't miss his reply, it is worth a read. pic.twitter.com/MjrJZOvvMo
— Ajit Datta (@ajitdatta) April 19, 2021
इससे पहले भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ हर्ष वर्धन ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों को उनकी लापरवाही के लिए आड़े हाथों लेते हुए उन्हें वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट को बढ़ावा देने के लिए जमकर लताड़ा। डॉ हर्षवर्धन ने अपने पत्र के अंत में ये भी लिखा, “आपकी सलाह हमारे लिए बेहद उपयोगी है। काश इतनी ही तत्परता आप अपनी पार्टी के नेताओं के लिए भी दिखाते”।
बता दें कि कांग्रेस ने पहले वैक्सीन सवाल उठाकर लगाकर आँकड़ों के प्रति आम भारतीय के मन में शंका पैदा करने की कोशिश शुरू हुई। ये बात भी किसी से नहीं छुपी कैसे भारत में बन रही वैक्सीन को लेकर शंका पैदा करने के साथ ही वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों के प्रयास और ट्रायल के आँकड़ों को झुठलाने की कोशिश कांग्रेस पार्टी ने की थी। विपक्षी नेता सार्वजनिक तौर पर वैक्सीन के ख़िलाफ़ जनता को भड़काते रहे परंतु व्यक्तिगत तौर पर वैक्सीन लगवा रहे थे। इस पार्टी को देश की कितनी फिक्र है ये तो आप समझ गये होंगे। अब इस पार्ट के हाईकमान ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को आगे रखकर राजनीति शुरू कर दी है।
पत्र का जवाब देने से वो कोरोना पॉजिटिव हो गए?
वाह! क्या लॉजिक है!
पत्र का ऐसा प्रभाव आज देखा!! #ManmohanSingh#CoronavirusIndia https://t.co/zKZNrLqGNI— Mahima Pandey (@Mahimapandey90) April 20, 2021
Dr. Manmohan Singh Ji wrote to PM Modi. We hoped it would be taken in a positive manner and some positive outcomes would be seen. The PM was expected to respond to the letter but instead an undignified response was given by Minister Harshvardhan ji: Shri @AshokChavanINC
— Congress (@INCIndia) April 19, 2021
लेकिन मनमोहन सिंह के सुझावों को डॉ हर्ष वर्धन ने आड़े हाथों क्या ले लिया, सारे कांग्रेसी चाटुकार उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गए। इसे संयोग कहिए या फिर कुछ और, सोमवार को ही मनमोहन सिंह वुहान वायरस से संक्रमित पाए गए, जिसके पीछे भी वामपंथी अब डॉ हर्ष वर्धन को दोषी बनाने पर तुले हुए हैं।
परंतु जिस प्रकार से मनमोहन सिंह ने अपने पत्र में बिना किसी जांच पड़ताल के वैक्सीन को इम्पोर्ट करने को बढ़ावा देने की सलाह दी थी, क्या वो उचित थी? पीएम मोदी को लिखे पत्र को सार्वजनिक करना भलमनसाहत नहीं, संकुचित राजनीति का परिचायक है, और वो भी पूर्व प्रधानमंत्री होते हुए ऐसी बातें करना उनकी ओछी मानसिकता का परिचय देता है।
ऐसे में डॉ हर्षवर्धन ने मनमोहन सिंह को देश में घबराहट फैलाने और ऊटपटाँग सुझाव देने के लिए आड़े हाथों लेकर कोई गलत काम नहीं किया है। जिस प्रकार से उन्होंने काँग्रेस पार्टी को भी देश में अराजकता को बढ़ावा देने के लिए आड़े हाथों लिया है, वो न सिर्फ सराहनीय है, बल्कि वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक भी।