महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार के रवैया को देखते हुए एक सच सामने आया है और वो यह है कि, महाराष्ट्र सरकार मुंबई शहर से टैक्स वसूलती है और वो टैक्स मुंबई की जनता पर इस्तेमाल न करके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वोटरों के गढ़ में इस्तेमाल किया जा रहा है। NCP की मुंबई में सबसे कम हिस्सेदारी है। पार्टी ने पिछले बीएमसी चुनाव में 114 में से केवल 9 सीटें जीती थीं। इसलिए, अगर मुंबई में एनसीपी की छवि एक भ्रष्ट पार्टी की है, तो यह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को बिल्कुल परेशान नहीं करता है।
दरअसल, बात यह है कि भारत के करीबन 6 प्रतिशत से ज्यादा GDP में मुंबई शहर का योगदान है। इसके अलवा देश के 60 प्रतिशत इंकम टैक्स मुंबई शहर से आता है,साथ ही 30 प्रतिशत से ज्यादा एक्साइज़ टैक्स मुंबई अकेले भरता है। लेकिन, क्या आज मुंबई को इसका लाभ मिल रहा है? जवाब है नहीं मुंबई में आज भी आधारिक संरचना अंग्रेज़ो के जमानें का है। हर साल मॉनसून में मुंबई में आज भी जलभराव की खबरे सामने आती है।
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मुंबई के इस हालात को देख कर आप सोच रहे होंगे, देश का सबसे अमीर शहर होने के बावजूद भी आज मुंबई की यह दुर्दशा क्यों है? इसका जवाब है, महराष्ट्र मे ज़्यादातर कांग्रेस की सरकार रही है और कांग्रेस ने राज्य में बहुत कम विकास किया है और जो किया भी है वो अपने वोटरों के क्षेत्र में ही ज्यादा किया है। जैसे की पुणे क्षेत्र, पुणे क्षेत्र एक समय पर कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, तो अपने वोटरों के क्षेत्र तक ही विकास को सीमित रखा।
हाल ही में NCP नेता ओर महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के ऊपर पूर्व मुंबई कमिश्नर द्वारा भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। आरोप के अनुसार देशमुख 100 करोड़ रुपये की वसूली सचिन वाझे के माध्यम से करते थे। देशमुख ने 100 करोड़ रुपये की मांग मुंबई के पब, बार और रेस्तरा से वसूलने के लिए बोला था। इससे आप अनुमान लगा सकते है कि NCP का महाराष्ट्र सरकार में होना किसी जोंक की तरह है जो चुपचाप खून चूसता है और किसी को खबर तक नहीं होती। जब मालूम चलता है तब मामला हाथ से निकाल चुका होता है।
महाविकास आघाडी सरकार के मुख्यमंत्री मुंबई शहर के रहने वाले है पर इसके बावजूद ठाकरे की NCP के नेताओं के सामने एक नहीं चलती है। शिवसेना का मुंबई शहर उनका अपना शहर होने के बाद भी मुंबई में विकास नहीं कर पा रहा है। ऐसा माना जाता है कि, मुंबई की लोकल ट्रेन में ट्रेन की क्षमता से 3 गुना ज्यादा भीड़ सफर करती है, जिसके कारण औसतन रोज़ाना 8 लोगों की जान जाती है। मुंबई की सीवेज सिस्टम की स्थिति से सभी वाकिफ है। हर साल बरसात में पूरे शहर में जलभराव की खबर सामने आती है।
जब साल 2014 में महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनी थी तब राज्य ने विकास की रफ्तार पकड़ा था लेकिन 2019 में सरकार बदलने के बाद से विकास के ऊपर रोक लग गई है। देवेन्द्र फडणवीस की सरकार ने लोकल ट्रेनें से निजात पाने के लिए मुंबई मेट्रो का काम शुरू किया था पर वर्तमान सरकार मेट्रो प्रोजेक्ट में रोड़ा बन कर खड़ी है। मेट्रो प्रोजेक्ट के साथ ही बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर भी महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार ने रोक लगा कर रखा है।
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अब वक़्त आ गया है कि, उद्धव ठाकरे मुंबई शहर के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझें। देश के सबसे धनवान शहर को NCP के चंगुल से बाहर लेकर आए अगर ऐसा नहीं करते है तो मुंबई को और ज्यादा बर्बाद देखनी पड़ सकती है। NCP का गढ़ पुणे, अमरावती और मराठवाड़ा है और तीनों क्षेत्र मुंबई पर पैसों के लिए बहुत ज्यादा निर्भर है साथ ही में NCP को मुंबई में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसीलिए जाहीर है NCP मुंबई के लिए जोंक से ज्यादा कुछ भी नहीं है।