“मौका देखो और कमजोर भारत को बर्बाद कर दो”, दुनिया और एजेंडावादी भारतीयों का यही संदेश है

जब भारत कोरोना से जूझ रहा है, वैश्विक ताकतों ने PM मोदी के खिलाफ भीषण एजेंडा छेड़ दिया है

मोदी

(PC: The New Yorker)

जैसे ही कोरोना की दूसरी लहर ने उफान मारना शुरू किया, भारत में एक ट्रेंड दिखाई दिया है। यह ट्रेंड है एक व्यक्ति को कोसने या आरोप लगाने का और वह व्यक्ति हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। चाहे वो ऑक्सीजन की कमी हो या ऑक्सीजन का लीक होना, सोशल मीडिया और अंतराष्ट्रीय मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एक ऐसा प्रचार शुरू हुआ है कि सोशल मीडिया पर हर जगह ICU Beds की कमी से लेकर वैक्सीन की कमी तक के Posts देखने को मिल रहे हैं। इन सभी Posts में निशाना भी पीएम मोदी को ही बनाया जा रहा है। लोगों के मन में भय पैदा करने के लिए और एजेंडा फैलाने के लिए कुछ posts को तो कॉपी-पेस्ट भी खूब किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रोपोगेन्डा तो 2002 से ही फैलाया जा रहा है लेकिन इस बार कोरोना के चलते उनके विरोधियों को एक और मौका मिल गया है। इन विरोधियों में ना सिर्फ पश्चिमी देश हैं बल्कि देश के कुछ जाने-माने पत्रकार भी हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को गाली देना अपनी शान समझते हैं। इनका एक ही मकसद है कि कैसे भी करके भारत को तोड़ा जाये, वह भी तब जब कोरोना के कारण भारत बैकफुट पर है। जब-जब भारत कमजोर होता है, तो ये गैंग भारत को नीचा दिखाने पहुँच जाती है। उनके इस मकसद के बीच एक ही व्यक्ति दृढ़ता से खड़ा है और वह हैं पीएम मोदी।

पिछले कुछ वर्षों में देखा जाये तो भारत पर बहरी तत्वों का हमला तेज़ हुआ है। चाहे वो दिल्ली दंगों के दौरान तुर्की और पाकिस्तान से आई फंडिंग के जरिये हो या फिर किसान आन्दोलन के नाम पर खालिस्तानियों का हमला हो। देश की शान लाल किले की प्राचीर से खालिस्तानी झंडे को फहराने की कोशिश को अभी तक देश भुला नहीं सका है। इन प्रयासों में देश को तोड़ने में असफल रहने के बाद ये ब्रिगेड भारत में स्थिति और बिगड़ने का इंतजार कर रही थी। जैसे ही कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई, इन्हें PM मोदी को निशाने पर लेने का अच्छा मौका मिल गया। हालांकि, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राज्यों की जवाबदेही पर कोई ध्यान केन्द्रित नहीं कर रहा है। वह भी तब जब भारत में स्वास्थ्य का मुद्दा राज्य सरकार के अधीन आता है।

उदहारण के लिए महाराष्ट्र को ही देख लीजिये। महाराष्ट्र में शिवसेना-NCP और कांग्रेस की सरकार है। जब देश में कोरोना कम हो चुका था, तब भी यह राज्य कोरोना की भयंकर चपेट में था। बावजूद इसके यहाँ के मुख्यमंत्री दूसरे राज्यों और केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे। स्थिति ख़राब होने के बावजूद लेफ्ट ब्रिगेड के किसी मिडिया हाउस ने महाराष्ट्र की वास्तविकता को न तो दिखाया और न ही उद्धव सरकार से प्रश्न किया। इसके उलट ये सब मोदी सरकार पर ही आरोप लगाते रहे। पिछले तीन महीनों में यहाँ अस्पतालों में आग लगने की तीन घटनाएं  घट चुकी हैं परन्तु फिर भी आरोप तो प्रधानमंत्री मोदी पर ही लगाया जा रहा है।

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अब बात दिल्ली की करते हैं, अरविन्द केजरीवाल कई दिनों से ऑक्सीजन न मिलने के लिए कभी हरियाणा पर तो कभी उत्तर प्रदेश पर आरोप लगाते रहे, हद तो तब हो गयी जब कल पीएम के साथ मीटिंग में उन्होंने आरोप लगा दिया कि उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। अब यह बात सामने आई है कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष ही दिल्ली में PM Cares से 8 ऑक्सीजन प्लांट बनाने के लिए रुपये दिए थे परंती केजरीवाल सरकार ने सिर्फ एक ही ऑक्सीजन प्लांट बनवाया।

अब अगर दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी हो रही है तो उसके लिए भी प्रधानमंत्री को ही निशाना बनाया जा रहा था।

यह कई बार कहा जा चुका है कि हेल्थ यानी “स्वास्थ्य” राज्यों के जिम्मे आता है, स्वास्थ्य के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर हो या फिर मेडिकल सप्लाई, राज्यों की भूमिका केंद्र से अधिक है। ऐसे में फिर भी PM मोदी को निशाना बनाना सिर्फ एक ही मकसद को स्पष्ट करता है, किसी भी तरह मोदी को सत्ता से हटा भारत को तोड़ना।

अगर अभी हम विदेशी मीडिया को देखे तो उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ उसी तरह का मोर्चा खोला हुआ है जैसे ट्रंप के खिलाफ खोला था।

लंदन का The Times हो या वाशिंगटन पोस्ट; The Financial Times हो या फिर The Guardian ही क्यों न हो, सब का निशाना पीएम मोदी ही हैं। The Guardian ने तो यहाँ तक लिख दिया कि “सिस्टम ध्वस्त हो गया है: covid के नरक में भारत” साथ में उसने श्मशान में ऊंची लपटों की तस्वीर भी लगायी है। यह भी लिखा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन कमी हैं और शव मुर्दाघर में जमा हो रहे हैं।”

इन सभी लेखों में भारत, हिन्दू धर्म और सनातन सभ्यता पर हमला किया गया है और हर प्रकार से कोरोना के लिए पीएम मोदी को दोषी ठहराया गया है। चुनावी रैलियों के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी को ही कठघरे में खड़ा किया गया है। जबकि यह साबित भी हो चुका है कि जिन राज्यों में चुनाव नहीं थे, जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में कोरोना अधिक फैला। पश्चिमी देशों के मिडिया हाउस ऐसे ही मौके के तलाश में ही रहते हैं।

सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि भारत में ही कुछ अंग्रेजी मानसिकता के ऐसे लोग है जो कभी भी अपने देश को कुछ अच्छा करते नहीं देख सकते! पीएम मोदी के खिलाफ ऐसे लोगों का द्वेष किसी से छुपा नहीं है। भारत में ऐसी मानसिकता के लोग भरे पड़े हैं जो प्रधानमंत्री मोदी से नफरत करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इन tweets को देख आप स्वयं समझ जायेंगे।

 

अब यहाँ सवाल यह है जब पश्चिमी डीप स्टेट और भारत विरोधी तत्वों ने भारत पर अपना हमला केन्द्रित कर दिया है तो देश की जनता कब एकजुट होगी। अब जनता को यह समझना होगा कि यह हमला प्रधानमंत्री मोदी पर नहीं बल्कि उनके भारत को मजबूत करने के सपनों पर है। ये देश विरोधी कभी नहीं चाहते की भारत आत्मनिर्भर बने और इसीलिए कोरोना के दौरान भारत को कमजोर करने का एजेंडा ज़ोर शोर से आगे बढ़ाया जा रहा है।

 

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