हरीश साल्वे को कोर्ट ने अपना सलाहकार बनाया तो दहाड़े मार-मार के रोयी लेफ्ट लिबरल गैंग

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को कोविड मामले पर कोर्ट का सलाहकार बनाए जाने पर लिबरल ब्रिगेड हुई धुआँ-धुआँ

हरीश साल्वे

कोविड प्रबंधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। एमिकस क्यूरी का अर्थ होता है किसी एक मामले में कोर्ट का आधिकारिक सलाहकार! परन्तु अब हरीश साल्‍वे ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले से हटने का अनुरोध किया है। यह फैसला साल्वे ने स्वयं नहीं लिया बल्कि जिस प्रकार उन्हें लेफ्टलिबरल ब्रिगेड द्वारा विदेशी बता उन्हें CJI बोबडे का दोस्त बता कर उनके ऊपर एक व्यवस्थित ढंग से हमला किया गया , उसके बाद उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। साल्वे ने बेंच के सामने स्पष्ट कहा कि मैं नहीं चाहता कि मामले में फैसले के पीछे यहा कहा जाए कि मैं चीफ जस्टिस को जानता हूं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से एमिकस क्यूरी से हटने का अनुरोध करते हुए हरीश साल्‍वे ने बताया कि कुछ वकील उनके एमिकस क्यूरी नियुक्त किए जाने की आलोचना कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जानकर बेहद तकलीफ हो रही है कि कोविड संबंधित मामले में साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त करने पर कुछ वकील उनकी आलोचना कर रहे हैं।

बता दें कि कोविड प्रबंधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था जिसके बाद लेफ्ट ब्रिगेड के फ्रंटलाइन अधिक्वक्ता दुष्यंत दवे ने उच्चतम न्यायलय के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि, “इस बात का कोई कारण नहीं है कि हरीश साल्वे को बार-बार मुख्य न्यायाधीश बोबडे द्वारा एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, जब साल्वे भारत में नहीं हैं। वे लंबे समय से एक अनिवासी हैं और लंदन में रह रहे हैं। वह भारत की वास्तविकताओं को नहीं जानते हैं।”

और पढ़े: अयोध्या में Oxygen Plants स्थापित करने के लिए अन्य मंदिरों की भांति श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट देगा funds

दुष्यंत दवे को यह पता है कि अगर हरीश साल्वे ने मोर्चा संभाल लिया तो उन जैसों की झूठ के दम पर सरकार को घेरने की नीति धराशायी हो जाएगी। इसी कारण से दवे ने उन्हें लन्दन का बता कर पहले तो विदेशी घोषित किया और फिर CJI पर यह भी लांछन लगाया कि बार बार हरीश साल्वे को वे क्यों नियुक्त करते हैं? उनका स्पष्ट इशारा साल्वे और CJI बोवडे की स्कूल के समय की दोस्ती की तरफ था।

वहीं दिलीप मंडल ने इसी तरह का ट्वीट किया और लिखा, “CJI शरद बोबडे और हरीश साल्वे ने एक ही St. Francis De’Sales High School, नागपुर में पढ़ाई की। 1972 के एक ही बैच में। साल्वे न्यायालय का कोई ‘एमिकस’ या मित्र नहीं है। वह बोबडे के मित्र हैं। वह वही करेंगे जो संघ की सरकार और बोबडे चाहते हैं और हम जानते हैं कि सरकार क्या चाहती है! आशाहीन।“

वहीँ एक और कांग्रेसी और अपने फेक न्यूज़ फैलाने के लिए कुख्यात साकेत गोखले ने ट्वीट किया, “CJI कल रिटायर हो रहे हैं। फिर भी मामला आज उठाया गया है और कल के लिए सूचीबद्ध किया गया है। यही नहीं इतने लोगों में से, हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है।“

सुप्रीम कोर्ट द्वरा covid मामले पर स्वयं संज्ञान लेने के फैसले पर कटाक्ष करते हुए गोखले ने लिखा, “हाई कोर्ट ने सरकार की जवाबदेही के लिए एक शानदार काम किया है। लेकिन आज हम यहां हैं। आप chronology समझो।“

इनके कहने का मतलब स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के इशारे पर काम कर रही है।

इसी तरह राणा अयूब और NDTV की गार्गी रावत समेत पूरा लेफ्ट ब्रिगेड एक साथ मिल कर हरीश साल्वे के खिलाफ जहर उगलने लगा और उनके Character Assasination में जुट गया। मामला गर्माते हुए देख साल्वे को सुप्रीम कोर्ट से स्वयं को हटाने का अनुरोध करना पड़ा।

 

यह विडम्बना ही है कि हरीश  साल्वे जैसे बड़े अधिवक्ता को भी इन आस्तीन के साँपों ने नहीं छोड़ा और उनके दबाव के कारण उन्हें हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस पर देश के सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, “मैंने सचमुच डिजिटल मीडिया पर लोगों को गाली देते हुए देखा। इस पर गौर करने की जरूरत है।“

इस ब्रिगेड को पता है कि हरीश साल्वे एक ऐसे अधिवक्ता है जो उनके बुने हुए जाल से प्रभावित हुए बिना अपना काम कर सकते हैं और वे उन सभी क़ानूनी दांव पेंच को समझते हैं, जिसका इस्तेमाल लेफ्ट ब्रिगेड किसी भी मामले को अपने पक्ष में करने के लिए करता है। यही कारण है कि एमिकस क्यूरी के तौर पर नियुक्ति के बाद ही उन पर व्यक्तिगत हमला शुरू हो गया था।

Exit mobile version