कोविड प्रबंधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। एमिकस क्यूरी का अर्थ होता है किसी एक मामले में कोर्ट का आधिकारिक सलाहकार! परन्तु अब हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले से हटने का अनुरोध किया है। यह फैसला साल्वे ने स्वयं नहीं लिया बल्कि जिस प्रकार उन्हें लेफ्टलिबरल ब्रिगेड द्वारा विदेशी बता उन्हें CJI बोबडे का दोस्त बता कर उनके ऊपर एक व्यवस्थित ढंग से हमला किया गया , उसके बाद उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। साल्वे ने बेंच के सामने स्पष्ट कहा कि मैं नहीं चाहता कि मामले में फैसले के पीछे यहा कहा जाए कि मैं चीफ जस्टिस को जानता हूं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से एमिकस क्यूरी से हटने का अनुरोध करते हुए हरीश साल्वे ने बताया कि कुछ वकील उनके एमिकस क्यूरी नियुक्त किए जाने की आलोचना कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जानकर बेहद तकलीफ हो रही है कि कोविड संबंधित मामले में साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त करने पर कुछ वकील उनकी आलोचना कर रहे हैं।
The Court has appointed Senior Advocate Harish Salve as an amicus curiae to assist the Court in the matter#COVIDEmergency2021 #suomotu Case on #COVID19
— Live Law (@LiveLawIndia) April 23, 2021
बता दें कि कोविड प्रबंधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था जिसके बाद लेफ्ट ब्रिगेड के फ्रंटलाइन अधिक्वक्ता दुष्यंत दवे ने उच्चतम न्यायलय के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि, “इस बात का कोई कारण नहीं है कि हरीश साल्वे को बार-बार मुख्य न्यायाधीश बोबडे द्वारा एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, जब साल्वे भारत में नहीं हैं। वे लंबे समय से एक अनिवासी हैं और लंदन में रह रहे हैं। वह भारत की वास्तविकताओं को नहीं जानते हैं।”
दुष्यंत दवे को यह पता है कि अगर हरीश साल्वे ने मोर्चा संभाल लिया तो उन जैसों की झूठ के दम पर सरकार को घेरने की नीति धराशायी हो जाएगी। इसी कारण से दवे ने उन्हें लन्दन का बता कर पहले तो विदेशी घोषित किया और फिर CJI पर यह भी लांछन लगाया कि बार बार हरीश साल्वे को वे क्यों नियुक्त करते हैं? उनका स्पष्ट इशारा साल्वे और CJI बोवडे की स्कूल के समय की दोस्ती की तरफ था।
"There is no reason why Mr Harish Salve should again and again be appointed by Chief Justice Bobde as amicus curiae. Particularly because, Mr.Salve is not in India. He has been a non-resident and living in London for a long time. He does not know the realities of India"; Dave
— Live Law (@LiveLawIndia) April 22, 2021
वहीं दिलीप मंडल ने इसी तरह का ट्वीट किया और लिखा, “CJI शरद बोबडे और हरीश साल्वे ने एक ही St. Francis De’Sales High School, नागपुर में पढ़ाई की। 1972 के एक ही बैच में। साल्वे न्यायालय का कोई ‘एमिकस’ या मित्र नहीं है। वह बोबडे के मित्र हैं। वह वही करेंगे जो संघ की सरकार और बोबडे चाहते हैं और हम जानते हैं कि सरकार क्या चाहती है! आशाहीन।“
CJI Sharad Bobde and Harish Salve studied in the same St. Francis De'Sales High School, Nagpur. Same batch of 1972. Salve is no #amicus or Friend of the Court. He is Friend of Bobde. He will do what the Union Govt & Bobde want and we know what they want! Hopeless. pic.twitter.com/frYfOBBIHb
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 22, 2021
वहीँ एक और कांग्रेसी और अपने फेक न्यूज़ फैलाने के लिए कुख्यात साकेत गोखले ने ट्वीट किया, “CJI कल रिटायर हो रहे हैं। फिर भी मामला आज उठाया गया है और कल के लिए सूचीबद्ध किया गया है। यही नहीं इतने लोगों में से, हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है।“
सुप्रीम कोर्ट द्वरा covid मामले पर स्वयं संज्ञान लेने के फैसले पर कटाक्ष करते हुए गोखले ने लिखा, “हाई कोर्ट ने सरकार की जवाबदेही के लिए एक शानदार काम किया है। लेकिन आज हम यहां हैं। आप chronology समझो।“
इनके कहने का मतलब स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के इशारे पर काम कर रही है।
The CJI retires tomorrow. Yet matter has been taken up today & listed for tomorrow.
Of all the people, Harish Salve has been appointed amicus curiae.
The High Courts have done a fantastic job at holding the govt accountable.
But here we are today.
Aap chronology samjho. https://t.co/KW3rEhGP57
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) April 22, 2021
इसी तरह राणा अयूब और NDTV की गार्गी रावत समेत पूरा लेफ्ट ब्रिगेड एक साथ मिल कर हरीश साल्वे के खिलाफ जहर उगलने लगा और उनके Character Assasination में जुट गया। मामला गर्माते हुए देख साल्वे को सुप्रीम कोर्ट से स्वयं को हटाने का अनुरोध करना पड़ा।
Of all the advocates, the Supreme Court decides to appoint Harish Salve as the amicus who is now advocating to re-open the Vedanta plant. Please read this thread https://t.co/vLgOb4RwFr
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) April 22, 2021
Nice of Harish Salve to do this from London isn't it? #COVID19 #COVIDEmergency https://t.co/VOKXlUnyIy
— Gargi Rawat (@GargiRawat) April 22, 2021
यह विडम्बना ही है कि हरीश साल्वे जैसे बड़े अधिवक्ता को भी इन आस्तीन के साँपों ने नहीं छोड़ा और उनके दबाव के कारण उन्हें हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस पर देश के सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, “मैंने सचमुच डिजिटल मीडिया पर लोगों को गाली देते हुए देखा। इस पर गौर करने की जरूरत है।“
Solicitor General : I saw on digital media people literally abusing. This needs to be looked into. One counsel should not succumb to such tactics. Mr Salve should reconsider. Its a question of principle. #SuoMoto #COVID19
— Live Law (@LiveLawIndia) April 23, 2021
इस ब्रिगेड को पता है कि हरीश साल्वे एक ऐसे अधिवक्ता है जो उनके बुने हुए जाल से प्रभावित हुए बिना अपना काम कर सकते हैं और वे उन सभी क़ानूनी दांव पेंच को समझते हैं, जिसका इस्तेमाल लेफ्ट ब्रिगेड किसी भी मामले को अपने पक्ष में करने के लिए करता है। यही कारण है कि एमिकस क्यूरी के तौर पर नियुक्ति के बाद ही उन पर व्यक्तिगत हमला शुरू हो गया था।