कल शाम सामने आए Exit Polls के मुताबिक केरल में फिर एक बार Left Democratic Front यानि LDF की सरकार बनती दिखाई दे रही है। अगर Exit Polls सच साबित होते हैं तो LDF की यह जीत ऐतिहासिक होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि 5 दशकों में ऐसा पहली बार होगा जब कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी करेगी। पिछले 5 दशकों में CPM के नेतृत्व वाले LDF और कांग्रेस के नेतृत्व वाले UDF ने बारी-बारी से राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाया है।
पिनाराई विजयन की सरकार में वापसी यह भी स्पष्ट करती है कि कांग्रेस पार्टी का राज्य में कोई वर्चस्व नहीं रह गया है, और वह जल्द ही राज्य में Union Muslim League के जूनियर पार्टनर की भूमिका में आ सकती है।
कांग्रेस के पतन के साथ ही अब राज्य में एक प्रमुख विपक्ष की जगह खाली हो गयी है, जहां पर BJP आसानी से कब्जा कर सकती है। मुख्य विपक्ष की भूमिका में आने के बाद BJP केरल से भी सत्तारूढ़ दल को शासन से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। BJP इस बार पश्चिम बंगाल में भी सरकार बनाती दिखाई दे रही है, यानि जब-जब BJP किसी राज्य में मुख्य विपक्ष की भूमिका में आ जाती है तो उसके सरकार बनाने के अनुमान भी बढ़ जाते हैं।
BJP ने पिछले कुछ सालों में उन जगहों को अपने कब्जे में किया है, जहां पर कभी कांग्रेस का राज हुआ करता था। असम, पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, तेलंगाना ऐसे सब राज्य है, जहां BJP कांग्रेस को पछाड़कर या तो सरकार बनाने में सफल हुई है, या फिर वह मुख्य विपक्षी की भूमिका में आई है। ठीक यही अब केरल में होता दिखाई दे रहा है।
वर्ष 2020 के Local body चुनावों के दौरान भाजपा ने कांग्रेस की वोट काटने का काम किया था। नगरपालिका के चुनाव से लेकर पंचायत के चुनावों के दौरान BJP ने भर-भर के कांग्रेस की वोट काटी जिसके कारण कांग्रेस का प्रदर्शन इन चुनावों में पिछले कई चुनावों के मुक़ाबले बेहद निराशाजनक रहा। इस दौरान BJP के वोट शेयर में बढ़ोतरी दर्ज की गयी।
केरल में BJP का उदय पश्चिम बंगाल की तर्ज पर देखा जा सकता है। पश्चिम बंगाल में कभी लेफ्ट की भांति BJP की मौजूदगी बहुत कम हुआ करती थी। राज्य में BJP का कोई जनाधार नहीं था। वहाँ पहले TMC ने लेफ्ट की सरकार को खदेड़ा और अब भाजपा अब की बार TMC को खदेड़ने की स्थिति में दिखाई दे रही है।
इसी प्रकार केरल में वर्ष 2016 से पहले BJP की स्थिति बेहद कमजोर थी। हालांकि, उस साल केरल में BJP को करीब 15 प्रतिशत वोट्स मिले थे, जबकि पार्टी 1 सीट पर जीत हासिल करने में सफल भी हुई थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में BJP यहाँ कोई सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन उसे करीब 13 प्रतिशत वोट्स मिले थे। वर्ष 2020 के local body चुनावों में BJP ने अपनी स्थिति और मजबूत की।
कांग्रेस को तो अब केरल के इसाइयों ने भी नकार दिया है। कांग्रेस मे बढ़ते इस्लामिस्टों के वर्चस्व के कारण केरल के ईसाई BJP और LDF की ओर झुक रहे हैं। अब BJP भी राज्य में ऊंची जाति के हिन्दू वोटर्स पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहती है। ऐसे में भविष्य में BJP यहाँ आसानी से अपना जनाधार मजबूत कर सकती है।