2020-21 में 18% निर्यात के नए रिकॉर्ड के साथ भारत कृषि में विश्व का पॉवर हाउस बनने को है तैयार    

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PC: Business Today

पिछले वर्ष कोरोना के फैलने के बाद सभी सेक्टर में से अगर कोई सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहा है तो वह है कृषि। अब एक और नए रिकॉर्ड में भारत ने अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान कृषि और उससे संबंधित वस्तुओं के निर्यात में 18% की वृद्धि दर्ज की है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “भारत ने कुल 2.74 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया।“ बता दें कि पिछले वर्ष इसी अवधि में भारत ने 2.31 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया था”।

जिन वस्तुओं के निर्यात में महत्वपूर्ण सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है, वे गेहूं, चावल (गैर-बासमती), सोया भोजन, मसाले, चीनी, कच्चा कपास, ताजी सब्जी, प्रसंस्कृत सब्जियां और अल्कोहलिक पेय पदार्थ थे।

बता दें कि गेहूं के निर्यात में पिछले साल की तुलना में भारी वृद्धि दर्ज की गई, जो 425 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,283 करोड़ रुपये हो गई – यानी कुल 727 प्रतिशत की वृद्धि।

National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India Ltd यानी नेफेड ने अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं और लेबनान को 40,000 टन गेहूं का निर्यात government to government arrangement व्यवस्था के तहत किया था। कृषि मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, “महामारी के कठिन समय में भी, भारत ने विश्व खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी नहीं की और निर्यात जारी रखा।”

अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान, देश ने पिछले वर्ष की समान अवधि में 1.37 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 1.41 लाख करोड़ रुपये की कृषि वस्तुओं का आयात किया, जिसमें लगभग 3% की वृद्धि देखी गई।

निर्यात-आयात के आंकड़ों का हवाला देते हुए, मंत्रालय ने बताया, “covid-19 के बावजूद, अप्रैल, 2020 – फरवरी, 2020 के दौरान कृषि में व्यापार का संतुलन बढ़ गया है।”

कोरोना के कारण बन्द हुई खेती के चलते ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भोजन की कमी की समस्या सामने आने लगी है। पहले से ही खाद्यान्न संकट से जूझ रहे अफ्रीका में कोरोना के कारण यह समस्या और गंभीर रूप ले रही है। इसकी चपेट में केवल अफ्रीका जैसा गरीब महाद्वीप ही नहीं, बल्कि यूरोप भी आ चुका है। यहाँ तक की चीन में भी खाद्य सामग्री की कमी के कारण जिनपिंग प्रशासन को ‘क्लीन प्लेट’ जैसी योजना लानी पड़ी और वहाँ सरकार खाने की बर्बादी के खिलाफ सख्त कदम उठाने लगी।

ऐसे में जब दुनिया खाद्य पदार्थों की कमी से जूझ रही है तो भारत में कृषि उत्पादन इतना बढ़ गया है कि सरकार को उत्पादन अतिरेक को स्टॉक करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय किसान ने पिछले कई वर्षों बाद 2019-20 में 296.65 बिलियन टन की फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन किया है, जिसने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा अनाज उत्पादक बना दिया है।

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यही कारण है कि खाद्यान्न की कमी से जूझती दुनिया, भारत को आशा भारी नजरों से देख रही है एवं भारत भी उनकी अपेक्षा के अनुरूप, इस आसन्न खाद्य संकट में मुक्तिदाता बनकर सामने आया है। जहाँ एक ओर चीन का चावल निर्यात घटा है वहीं भारत का निर्यात बढ़ा है। यही कारण रहा कि चीन को ही भारत से चावल आयात करने की जरूरत पड़ गई। केवल चीन ही नहीं, सऊदी अरब, ईराक, ईरान, नेपाल आदि देशों में भारतीय चावल की मांग बढ़ी है। अकेले बांग्लादेश, भारत से 5 लाख टन बासमती चावल आयात करने वाला देश है। अब स्पष्ट हो गया है कि इस वर्ष कृषि उद्योग अब नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है। आज भारत के सभी लोगों और अन्य देशों को घर बैठे खाने को मिल रहा है तो वह दूर किसी खेत में पसीना बहाते किसान की मेहनत का ही फल है। कृषि उद्योग ही भारत का पेट पालता आया है और आज कोरोना के संकट में भी कृषि उद्योग ही देश को संभाले खड़ा है। अब वह दिन दूर नहीं जब भारत कृषि में विश्व का पॉवर हाउस बन जायेगा।

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