जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 भले ही हट गया हो, परंतु भारत विरोधी तत्व का समूल नाश अभी पूरा नहीं हुआ है। इसीलिए केंद्र सरकार ने सख्ती बढ़ाते हुए उन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करनी शुरू कर दी है, जो या तो भारत विरोधी तत्वों के साथ फोटो खिंचवाते हैं, या फिर उन्हे बढ़ावा देते हैं। ये सभी अधिनियम इसी माह से लागू होने वाले हैं, यानि अप्रैल से।
हाल ही में केंद्र सरकार के दिशानिर्देश अनुसार जम्मू कश्मीर के वर्तमान प्रशासन ने एक आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार जम्मू कश्मीर के सभी सरकारी कर्मचारियों को चौबीसों घंटे सरकार की निगरानी में रखा जाएगा। इसके साथ साथ यदि ये कर्मचारी किसी भी प्रकार की भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए, तो ऐसे कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार की कार्रवाई से गुजरना पड़ेगा, चाहे वह वेतन पर महीनों तक रोक हो, या फिर कुछ महीनों के लिए नौकरी से निलंबन हो, या फिर जरूरत पड़ने पर नौकरी से स्थायी निष्कासन ही क्यों न हो।
लेकिन ये सरकार सुनिश्चित कैसे करेगी? इसके लिए सरकार के पास काफी सरल उपाय है –जितने भी कर्मचारी इस समय जम्मू कश्मीर प्रशासन में कार्यरत हैं, विशेषकर वो जो जम्मू कश्मीर से हैं, अब अपने अनापत्ति प्रमाण पत्र यानि एनओसी दिखाने को बाध्य होंगे। इसके अलावा इन कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट भी चेक किए जाएंगे, ताकि इनमें से किसी के भी भारत विरोधी होने के लक्षण को देखते हुए उचित कार्रवाई की जा सके। यही नहीं, जब तक नए कर्मचारी जम्मू कश्मीर के सीआईडी विभाग से एनओसी नहीं निकलवाते, तब तक उन्हे आधिकारिक तौर पर वेतन नहीं मिलेगा।
अब इन निर्णयों से टुकड़े टुकड़े गैंग में कितनी खलबली मची हुई है, ये आप स्क्रॉल के इस कुछ हफ्ते पुराने लेख से भली भांति समझ सकते हैं। स्क्रॉल के लेख के एक उदाहरण के अनुसार, “29 वर्षीय हनीफ़ अहमद [नाम परिवर्तित] को जल्द से जल्द सरकारी नौकरी चाहिए। पिछले दो वर्षों में उसने चार बार अप्लाई किया है। परंतु जहां हनीफ़ उम्मीदवारों की अंतिम सूची की प्रतीक्षा कर रहा है, उसे अब एक नई चिंता सताने लगी है – सोशल मीडिया अकाउंट के निगरानी की”
लेकिन ये जम्मू-कश्मीर प्रशासन के लिए कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2020 के मध्य से ही इस प्रस्ताव पर काम चल रहा था, क्योंकि केंद्र सरकार भली भांति जानती थी कि यदि कश्मीर में अमन लाना है तो ऐसे प्रावधान लागू करने होंगे, जिससे पाकिस्तान बनाने वाली सोच का ही जड़ से विनाश हो सके।
इसीलिए केंद्र सरकार ने 2020 से ही इस अधिनियम को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया था। अक्टूबर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में प्रशासन ने कुछ अहम संशोधन करते हुए ये सुनिश्चित किया था कि न केवल सभी कर्मचारियों के 22 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर परफॉरमेंस अप्रेज़ल यानि कार्य निरीक्षण हो, बल्कि यदि कोई कर्मचारी का कार्य ऐसा हो कि प्रशासन उससे संतुष्ट न हो, तो उसे जबरन सेवानिर्वृत्ति भी थमाई जा सकती है।
ऐसे में ये स्पष्ट हो चुका है कि केंद्र सरकार अब जम्मू कश्मीर को पहले की भांति ‘धरती पर स्वर्ग’ के रूप में पुनः देखना चाहती है। इसमें कोई व्यवधान न हो, और फिर से राज्य में अलगाववादी तत्वों को जगह न मिले, इसके लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन अब एड़ी चोटी का जोर लगा रही है।