जब माओ ने लगभग 72 साल पहले चीन पर कब्जा किया, तो उन्होंने जनता के बीच समानता का वादा किया था। इस समानता को प्राप्त करने के लिए, अमीर या तो मारे गए या लूट लिए गए। इसके बाद 72 साल तक कम्युनिज्म और CCP के चीन पर कब्जा जमाए रखा और जिनपिंग के शासन में आज 72 साल बाद भी पहले की तुलना में समानता और कम है।
हालांकि एक तरफ दुनिया के सबसे अधिक अरबपति चीन में ही हैं, वही दूसरी तरफ चीन के कई नागरिक एक दिन में दस डॉलर से भी कम में भी गुजारा करते हैं। लेकिन चीन में धन की गंभीर असमानता एकमात्र मुद्दा नहीं है। इस देश को एक और असमानता का भी सामना करना पड़ता है, जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के गंभीर अंतर को दर्शाता है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बारे में प्रचार अभियान चला रहे हैं कि कैसे उन्होंने चीन में गरीबी को खत्म किया है, लेकिन उनके दावे सपाट हैं क्योंकि चीनी मीडिया ने ही ग्रामीण चीन की दयनीय स्थिति को एक्सपोज किया हैं। इस साल की शुरुआत में, शी ने खुद दावा किया था कि “अत्यधिक गरीबी उन्मूलन का कठिन काम पूरा हो गया है।” उन्होंने कहा कि यह इतिहास में एक “पूर्ण जीत” के रूप में लिखा जायेगा।
हालांकि, हांगकांग के एक समाचार पत्र, Apple Daily ने अपनी हालिया रिपोर्ट में जिनपिंग के दावों पर एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है। Apple Daily ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था, “Shaanxi के अधिकारियों द्वारा प्रोग्रेस रिपोर्ट में जालसाजी के बाद जिनपिंग का गरीबी पर जीत का दावा खतरे में है।”
रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पश्चिमी Shaanxi प्रांत के दूरदराज के गांवों के अधिकारियों ने गरीबी राहत कार्यों पर प्रगति रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की। चीनी स्टेट मीडिया के अनुसार, स्थानीय अधिकारियों ने राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति दिखाने के लिए fake रिपोर्ट बनाई। एक और चीनी सरकार संचालित मीडिया हाउस, चाइना सेंट्रल टेलीविज़न (CCTV) ने बताया कि Luonan county के पहाड़ी क्षेत्र में गरीब परिवारों को सब्सिडी वाला घर नहीं मिल पाया।
सीसीटीवी ने आगे बताया कि इन क्षेत्रों में पानी भी नहीं है और लोगों को एक भंडारण सुविधा से सप्लाई प्राप्त करने के लिए दो घंटे तक यात्रा करनी पड़ती है। गरीबी उन्मूलन के अपने अभियान के तहत, शी जिनपिंग प्रशासन ने गरीब घरों के लिए आवास, भोजन, कपड़े, और स्वास्थ्य सेवा देने का वादा किया है।
लेकिन Luonan county से आती रिपोर्ट से पता चलता है कि जिनपिंग का गरीबी उन्मूलन अभियान सिर्फ हवाहवाई है। CCTV की रिपोर्ट से पता चला कि Luonan county में जब वरिष्ठ अधिकारी निरीक्षण पर आए तो स्थानीय अधिकारियों ने कुछ ग्रामीणों को दिखावे के लिए आवास यूनिट में स्थानांतरित कर दिया, परंतु उनके जाने के बाद यह पूरा काम ही ठप पड़ गया। जब पानी की आपूर्ति की बात आई, तो स्थानीय अधिकारियों ने आंखें मूंद लीं।
यहां तक कि अपने घरों में रहने वाले ग्रामीणों को भी पानी की आपूर्ति नहीं हुई। इसलिए, उनके पास केवल दो विकल्प बचे थे – पास के छोटे तालाबों का गंदा पानी इस्तेमाल करे या छतों पर बारिश का पानी। अब यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि Luonan county को पिछले साल फरवरी से गरीब क्षेत्रों की सूची से हटा दिया गया है।
इसलिए, Luonan county, जहां लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं है, उन्हें जिनपिंग की शब्दावली में ‘impoverished’ के रूप में गिना जाता है। वास्तव में, पिछले साल, शी जिनपिंग प्रशासन ने अपने बाकी गरीब क्षेत्रों की सूची से अंतिम शेष काउंटियों को भी हटा दिया था।
चीन के स्थानीय अधिकारियों और केंद्रीय प्रशासन द्वारा जिस तरह गोपनीयता बना कर रखी जाती, उसे देखते हुए, कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता है कि कितने क्षेत्र Luonan की तरह सिर्फ नाम के लिए गरीबी से उबरे है।
वास्तव में, TFI ने पहले बताया था कि चीन में ऐसे गाँव हैं, जहाँ के निवासियों के पास न कोई उचित सड़क है, और न ही खाने की स्थिति अच्छी है। कई क्षेत्र ऐसे है जहाँ बच्चों को जीवित रहने के लिए चूहे खाते हुए देखा जाता है। फिर भी ऐसे में शी जिनपिंग प्रशासन का कहना है कि सभी शहरों और गांवों को गरीबी से बाहर निकाला जा चुका है।
शी के गरीबी उन्मूलन प्रचार Luonan में इसलिए एक्सपोज हुआ क्योंकि सीसीटीवी के संवाददाताओं का स्थानीय अधिकारियों के साथ एक विवाद हो गया था। इसके बाद मीडिया हाउस ने बदले में रिपोर्ट तैयार कर उन्हें एक्सपोज किया। हालांकि, पूरे प्रकरण में, शी के गरीबी उन्मूलन अभियान की वास्तविकता का पता चलता है।चीनी गाँव लगातार गरीबी की मार झेल रहे हैं लेकिन दिखावे के लिए यह कम्युनिस्ट देश दावा करता है कि उसके देश में किसी प्रकार की गरीबी नहीं है।