कमलेश तिवारी के बाद अब यति नरसिंहानंद का सिर कलम करने की मांग के साथ उमड़ी लाखों मुसलमानों की भीड़

कमलेश तिवारी 2.0 भी हो सकता है

यति नरसिंहानंद

साल 2019 में कमलेश तिवारी के साथ जो हुआ था, वही फिर से दोहराए जाने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल हाल में ही बरेली में मुस्लिम कट्टरपंथियों का एक विशाल प्रदर्शन देखने को मिला, जिसके पीछे एक ही उद्देश्य था – महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की गिरफ़्तारी और उन्हें मृत्युदंड देना।

बरेली में डासना के धर्मगुरु की ओर से पैगंबर इस्लाम और मजहब इस्लाम पर की गई टिप्पणी के विरोध में गुरुवार को रजा एक्शन कमेटी (आरएसी) ने जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। इस दौरान उग्र प्रदर्शन भी देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन देकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की।

इसके अलावा कानपुर के जाजमऊ चेक पोस्ट पर हजारों की संख्या में कट्टरपंथी मुसलमानों ने प्रदर्शन करते हुए महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की गिरफ्तारी की मांग की। हजारों की संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारियों ने जाजमऊ चेक पोस्ट पर सड़क जाम लगाकर के जमकर हंगामा किया। इस दौरान धर्म के नाम पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने जिला प्रशासन के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई।

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वहीं दूसरी तरफ जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद साहब पर अमर्यादित टिप्पणी करने वाले महंत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मौलाना मदनी का कहना है कि देश में फसाद फैलाने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

आखिर यति नरसिंहानंद सरस्वती ने ऐसा क्या कर दिया है, जिसकी वजह से कट्टरपंथी मुसलमान हाथ धोकर उनके पीछे पड़े हुए हैं ? दरअसल कुछ हफ्तों पहले दिल्ली प्रेस क्लब में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कथिततौर पर कट्टरपंथी इस्लाम के अंतर्गत गैर मुस्लिमों पर होने वाले अत्याचारों पर सवाल उठाया और कथिततौर पर पैगंबर मुहम्मद की निंदा की।

बस फिर क्या था, कट्टरपंथी मुसलमान भड़क गए और यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ FIR दर्ज करा दी। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान का मन इतने से भी नहीं भरा और उसने यति नरसिंहानंद सरस्वती का सिर धड़ से अलग करने की धमकी दी। बता दें कि अमानतुल्लाह खान आए दिन कट्टरपंथी मुसलमानों को भड़काते रहते हैं।

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तो इसका कमलेश तिवारी से क्या संबंध ? दरअसल कमलेश तिवारी यति नरसिंहानंद सरस्वती के सहयोगी थे। कमलेश ने 2015 में कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिन्दू देवी देवताओं के अपमान के जवाब में पैगंबर मुहम्मद की आलोचना की, जिसके कारण उन्हें हिरासत में लिया गया था। इसके कुछ सालों बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था। कानूनी सजा मिलने के बाद भी मुस्लिम कट्टरपंथियों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और नवंबर 2019 में कमलेश तिवारी के ही निवास पर उनकी हत्या कर दी थी।

वर्तमान समय में यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ बरेली में जिस प्रकार से रैलियां की जा रही हैं, वो इसी तरह की घटना को फिर से दोहराए जाने की ओर इशारा कर रही हैं। योगी सरकार को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए और कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा एक और कमलेश तिवारी अपनी बात रखने के लिए कट्टरपंथी मुसलमानों की भेंट चढ़ जाएगा।

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