कोरोना महामारी के समय में उद्धव सरकार हर मोर्चे पर फेल रही है, पर सोनिया उन्हें शाबाशी दे रही हैं

सोनिया गांधी

PC: The Sentinel Assam

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक विशेष आदत है। वे अपनी, अपने दल अथवा सहयोगियों की गलतियां, अक्षमता और अकर्मण्यता को स्वीकार नहीं करतीं। यह बीमारी नेहरू-गांधी परिवार में अनुवांशिक रूप से रही है।

महाराष्ट्र में दिनों दिन बढ़ते कोरोना मामलों के बीच सोनिया ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र में राजस्व मंत्री बालासाहब थोराट को फोन करके, कोरोना से लड़ने के लिए उद्धव सरकार की बड़ाई की है।

सोनिया ने उद्धव सरकार की बड़ाई ऐसे समय की है जब खुद महाराष्ट्र कांग्रेस सरकार की आलोचना कर रही है। यह हास्यास्पद है कि थोराट ने खुद ही दो दिन पहले अपनी ही सरकार की आलोचना की थी, सोनिया गांधी ने इन्हीं थोराट को फोन पर बधाई दे डाली।

सोनिया के फोन की जानकारी साझा करते हुए बालासाहब थोराट ने बताया “सोनिया गांधी ने मुझसे कोरोना को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की है। उन्होंने (राज्य सरकार द्वारा) संकट से निपटने को लेकर संतुष्टि व्यक्त की है। उन्होंने निर्देश दिया है कि वैक्सीन अभियान तीव्र होना चाहिए और टीकाकरण एक निश्चित समय में पूर्ण हो जाना चाहिए।”

थोराट ने जानकारी दी कि सोनिया गांधी ऑक्सीजन और दवाइयों की उपलब्धता को लेकर काफी चिंतित थीं। थोराट ने इस संदर्भ में मीडिया को बताया कि “मैंने (उनसे) कहा कि राज्य सरकार पूरे प्रदेश में कोरोना मरीजों को सबसे बेहरत इलाज उपलब्ध करवाने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रही है। मैंने कहा कि राज्य में कोरोना और न बढ़े इसे सुनिश्चित करने के लिए पहले ही निवारक कदम उठाए जा रहे हैं।”

महाराष्ट्र की जो हालत है, उसे देखकर बस इतना ही कहा जा सकता है कि राज्य सरकार ने इतनी तैयारीयां की है कि अब भगवान ही महाराष्ट्र के मालिक हैं। राज्य सरकार ने लोगों को भगवान भरोसे छोड़ रखा है। महाराष्ट्र में आए दिन लगभग 63 हजार मामले सामने आ रहे हैं, जबकि रोजाना मृत्यु का आंकड़ा एक हजार के लगभग है। इसके बावजूद सोनिया गांधी का थोराट को यह कहना कि वह सरकार के प्रयास से संतुष्ट हैं, दिखाता है कि श्रीमती गांधी आंख मूंदे बैठी हैं, वे रोजाना अखबार पढ़ना छोड़ चुकी हैं, या फिर उनके दरबारी उन्हें ऐसे खबरों से दूर ही रखते हैं।

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सोनिया गांधी भावुक महिला हैं। इतनी भावुक की बाटला हाउस में मारे गए आतंकियों की फोटो देखकर रो दी थीं, लेकिन कोरोना के कारण प्रतिदिन महाराष्ट्र में हजारों नागरिक मर रहे हैं, किंतु सोनिया को न रुलाई आ रही है, न पश्चाताप हो रहा है। यह सामान्य सत्य हो चुका है कि हर राजनीतिक दल अपनी कमियों को छुपाते हैं, लेकिन गांधी परिवार और उनके दरबारी इस काम में वैश्विक कीर्तिमान स्थापित करते हैं। तभी तो इतने घोटालों के बाद भी, वो मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के मिथ्या आरोप मढ़ लेते हैं, बिना यह सोचे कि आम आदमी इसे सुनकर हँसेगा कि कांग्रेस भ्रष्टाचार को लेकर ज्ञान दे रही है।

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महाराष्ट्र में कोरोना के आंकड़े छुपाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की आलोचना स्वयं कांग्रेसी भी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र की सीमा से सटा है, वहाँ कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बघेल ने महाराष्ट्र को जमकर लताड़ा है। उन्होंने अपने यहाँ बढ़ रहे मामलों के पीछे महाराष्ट्र सरकार की अक्षमता को दोषी बताया है।  दूसरी लहर के लिए उन्होंने महाराष्ट्र को जिम्मेदार बताया है।

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देखा जाए तो बघेल का दावा गलत नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर के फैलने में केरल, पंजाब और महाराष्ट्र, इन तीन राज्यों का सबसे बड़ा हाथ है। दूसरी लहर में कोरोना के मामले जहां उत्तर भारत में पंजाब के रास्ते बढ़े, वहीं पश्चिम एवं मध्य भारत में महाराष्ट्र के रास्ते, कोरोना ने वापसी की है। गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक जैसे महाराष्ट्र के सीमावर्ती राज्यों में मामले मार्च से बढ़ना शुरू हुए थे। इसके पीछे का कारण महाराष्ट्र से इन राज्यों में होने वाली स्वतंत्रता आवाजाही थी। इन राज्यों में कोरोना नियंत्रण में आ चुका था किंतु महाराष्ट्र से आने जाने वाले श्रमिकों ने फिर से स्थितियां खराब कर दीं।

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इन सबके बाद भी सोनिया गांधी महाराष्ट्र के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। सोनिया से उम्मीद भी यही की जा सकती है। जब वह राहुल के प्रदर्शन से संतुष्ट रहती हैं, उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का सपना पाल सकती हैं, तो उनसे और क्या ही उम्मीद की जाए। सोनिया बहुत संतोषी महिला हैं, लेकिन महाराष्ट्र की हकीकत वहाँ के लोग जानते हैं। महाराष्ट्र अपना दुर्भाग्य झेल रहा है, न तो सरकार कुछ कर रही है, न उसपर किसी प्रकार का दबाव बनाया जा रहा है, लोग मर रहे हैं और इको सिस्टम अंधा बना हुआ है।

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