भारत एक ऐसा देश है जहां अगर कुछ अच्छा होता है तो उसमें कई लोग टांग अड़ाने के लिए सामने आ जाते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब अपने कार्यकाल के दौरान विदेश नीति में कई ब्लंडर करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा और पांच सुझाव दिये।
इस पत्र में कई बातें सही हैं परंतु उन्होंने बड़े ही शाब्दिक चपलता के साथ vaccine इम्पोर्ट को बढ़ाने की बात कही है। स्पष्ट है कि वो भारत को फिर से अन्य देशों पर निर्भर होने का सुझाव दे रहे है। यही नहीं उन्होंने भारत में चल रहे Vaccination की संख्या को भी संख्या में न कर प्रतिशत में दिखाने का सझाव दिया है। ऐसे में इसे वैक्सीन मैत्री की सफल देश की विदेश नीति को गलत ठहराने और Vaccination को प्रतिशत में दिखाकर जनता को हतोत्साहित करने का प्रयास कहना गलत नहीं होगा ।
मनमोहन सिंह ने अपने पत्र के आखिरी सुझाव में कहा है कि, “देश में अभी vaccine सप्लाई सीमित है। ऐसे में विश्व की कोई भी विश्वसनीय अथॉरिटी की ओर से अगर किसी वैक्सीन को हरी झंडी दी जाती है तो हमें भी उसे आयात करना चाहिए। हम ऐसा भारत में बिना उसके ट्रायल के कर सकते हैं।“ उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह समय अनिवार्य लाइसेंस प्रविधानों को लागू करने का है ताकि बड़ी संख्या में कंपनियां लाइसेंस के तहत टीकों का उत्पादन कर सकें। चूंकि घरेलू आपूर्ति सीमित है इसलिए यूरोपीयन मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए जैसी विश्वसनीय एजेंसियों से स्वीकृत टीकों को घरेलू ब्रिज ट्रायल पर जोर दिए बिना आयात की अनुमति दी जानी चाहिए।“
Former PM Dr Manmohan Singh writes PM Narendra Modi, "The key to our fight against COVID19 must be ramping up the vaccination effort. We must resist the temptation to look at the absolute numbers being vaccinated, and focus instead on the percentage of the population vaccinated" pic.twitter.com/OiDXnngIJ8
— ANI (@ANI) April 18, 2021
यह सभी को पता है कि भारत वैक्सीन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर है और भारत की कम्पनियां देश के लिए ही नहीं, बल्कि विदेश के लिए भी vaccine का उत्पादन कर रही हैं। सरकार ने घोषणा की है कि सरकार द्वारा संचालित तीन वैक्सीन निर्माता लगभग पांच महीनों में कोवाक्सिन की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को कम से कम से कम 10 गुना बढ़ाने में भारत बायोटेक इंटरनेशनल की मदद करेंगे। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट हर महीने 60-70 मिलियन कोविशिल्ड के डोज का उत्पादन कर रहा है। मई से बाद के महीने में इसकी क्षमता 100 मिलियन हो जाएगी। इसके बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चाहते हैं किसी भी विदेशी कंपनी की vaccine को भारत में इस्तेमाल की अनुमति दी जाये। यहाँ यह समझना कोई राकेट साइंस है नहीं है कि अन्य देशों में अगर किसी वैक्सीन को अनुमति मिली है तो यह आवश्यक नहीं है कि वह vaccine भारत की भौगोलिक स्थिति के अनुसार ढले शरीर पर असर करे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पत्र से तो ये भी स्पष्ट है कि भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता कम है इसलिए इम्पोर्ट पर अधिक फोकस करना चाहिए। उन्हें भारत की वैक्सीन मैत्री नीति के बारे में स्पष्ट पता है कि भारत कई गरीब देशों और पड़ोसियों को मदद पहुंचा रहा है जिससे भारत की वैश्विक छवि बेहतर हो। इसके साथ ही देश में vaccine का उत्पादन कर रही कंपनियों और सरकार दोनों ने स्पष्ट कहा है कि भारत को पहले महत्व दिया जा रहा है। फिर भी अपने कार्यकाल में अपनी विदेश नीति से सभी पड़ोसियों को भारत के खिलाफ कर देने वाले मनमोहन सिंह चाहते हैं कि भारत एक्सपोर्ट के बजाये वैक्सीन इम्पोर्ट करे।
पूर्व प्रधानमंत्री का ये भी कहना है कि हमें टीकाकरण की कुल संख्या की बजाय कितने फीसद आबादी का टीकाकरण हुआ है, उस पर फोकस करना चाहिए। इसे TFI के फाउंडर अतुल मिश्रा ने बेहद अच्छे से समझाया है।
There are 1000 toys, 71 toys are packed,rest unpacked. What’s the % of packed toys?
Ans:7.1%
But 71 > 7.1
So, should figures be represented in % or numbers(n)?
How does that matter?
But economist Manmohan wants PM Modi to focus on vaccination %, not n because n look too big. pic.twitter.com/DHFuG5kvyA
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) April 18, 2021
उन्होंने लिखा कि मान लीजिये 1000 खिलौने हैं, जिनमें से 71 खिलौने पैक्ड हैं, बाकी अनपैक्ड हैं। ऐसे में पैक्ड खिलौनों का परसेंटेज क्या है?
उत्तर है 7.1 प्रतिशत लेकिन 71, 7.1 काफी बड़ी संख्या है। तो अब प्रश्न उठता है कि क्या यह आंकड़ा प्रतिशत में दर्शाए जाने चाहिए या संख्या में?
दोनों चीजे समान हैं लेकिन यह मनोस्थिति पर असर डालता है। अगर इसकी तुलना vaccine से करें तो वैक्सीन प्राप्त करने वालों का प्रतिशत एक छोटी संख्या में होगा वहीं, vaccine प्राप्त करने वालों की संख्या एक बड़ा आंकड़ा होगा। अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह चाहते हैं कि पीएम मोदी टीकाकरण के परसेंटेज पर ध्यान दें, न कि आंकड़ों की संख्या पर क्योंकि यह बहुत बड़ा दिखाई देता है। भारत में अभी तक लगभग 12 करोड़ 26 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन लग चुका है। पहले भारतीय वैक्सीन के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का प्रोपेगेंडा चला और नेता जनता में वैक्सीन के प्रति डर फैलाते रहे। उसमे असफल रहे तो अब संख्या के माध्यम से लोगों में एक भय पैदा करने की कोशिश हो रही है।