कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जनता को गलत कार्यों के लिए भड़काने के साथ ही उन्हें गुमराह करते रहते हैं, और जब परिस्थितियां बिगड़ जाती हैं तो वही लोग सरकारों पर सवाल खड़े कर देते हैं। सुप्रीम कोर्ट के तथाकथित वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण भी उन्हीं में से हैं, क्योंकि उन्होंने अब एक फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की है कि कोरोनावायरस से बचाव में फेस मास्क पूर्ण रूप से विफल हैं, जो संकेत देता है कि प्रशांत भूषण जनता को मास्क न लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस मुद्दे पर उनका ट्वीट तो ट्विटर ने हटा दिया है लेकिन अब आवश्यकता है कि इस मुद्दे पर भारत सरकार भी कुछ ठोस कदम उठाते हुए प्रशांत भूषण को सटीक सबक सिखाए।
देश में इस समय कोरोनावायरस की दूसरी लहर जोर पकड़ चुकी है। ऐसे में एक बार फिर पाबंदियों का दौर शुरू हुआ गया है। इन परिस्थितियों के बीच सरकारें जनता को जागरूक करके मास्क लगाने के साथ ही सामाजिक दूरी रखने की हिदायतें दे रही हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण अलग ही भ्रम फैलाने में व्यस्त है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा कि मास्क लगाने से शरीर पर मानसिक रूप से काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं, और ये मास्क कोरोना के रोकथाम में प्रभावी नहीं हैं।
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प्रशांत भूषण जो पहले ही विवादों में रह चुके हैं वो अब कुतर्कों के साथ ही फेक न्यूज का सहारा भी लेने लगे हैं। उन्होंने एक अजीबो-गरीब स्टडी का हवाला देते हुए ट्वीट किया, “डाटा बताते हैं कि फेस मास्क कोविड-19 जैसी वायरल और संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोकने में अप्रभावी हैं। मास्क पहनने के काफी प्रतिकूल शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं।” उनका कहना साफ था कि जनता को मास्क नहीं लगाना चाहिए।
प्रशांत भूषण के इस ट्वीट के बाद उनकी सार्वजनिक फजीहत शुरू हो गई। वहीं इस ट्वीट को आपत्तिजनक बताते हुए ट्विटर ने ही इसे हटा दिया है, लेकिन सवाल ये है कि इस भ्रामक ट्वीट के जरिए प्रशांत भूषण करना क्या चाहते थे? उनका ये ट्वीट संदेश दे रहा था कि लोगों को मास्क पहनना छोड़ देना चाहिए, क्योंकि मास्क कोरोना से बचाव कर ही नहीं सकता है। सोचिए अगर इनके जैसे लोगों की बातों में आकर जनता मास्क पहनना छोड़ दे तो देश में कोरोनावायरस की एक बड़ी त्रासदी आ सकती है। हालांकि प्रशांत भूषण जैसे लोग यही चाहते भी हैं।
प्रशांत भूषण चाहते हैं कि देश में मास्क न पहनने पर कोरोनावायरस की रफ्तार तेज हो, और फिर जब परिस्थितियां हाथ से निकल जाएं तो सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए जा सकें, क्योंकि फिलहाल तो इन तथाकथित बुद्धिजीवियों और वकीलों के पास सरकार का विरोध करने के लिए कोई मुद्दा नहीं हैं। ऐसे में ट्विटर ने तो फेक न्यूज फैलाने वाले इस शख्स के ट्वीट को हटाकर एक बेहतरीन कदम उठाया है, लेकिन अब बारी सरकार की है।
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देश में लगातार कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे हैं, साथ ही प्रतिदिन मौतों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार लगातार लोगों से सामाजिक दूर बरतने के साथ ही मास्क लगाने के जागरूकता अभियान चला रही है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधन में मास्क पहनने के महत्व का उल्लेख कर चुके हैं। इसके बावजूद प्रशांत भूषण जैसे लोग मास्क को लेकर भ्रामक खबरें फैला रहे हैं। इसलिए इन पर अब सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
ट्विटर के एक्शन से इतर भारत सरकार को भी इन तथाकथित वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ महामारी के वक्त में भ्रामक खबरें फैलाने के आरोप में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, वरना इनकी हिम्मत को बढ़ावा मिलेगा, जो कि देश के लिए ही घातक होगा।