जब राजनीतिक दुकानें बंद होने लगती हैं, तो राजनीतिक पार्टियां कट्टरता फैलाने से पीछे नहीं हटती हैं। कुछ ऐसा ही अब पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी अकाली दल कर रहा है। जो पार्टी कल तक मोदी सरकार में शामिल थी, लेकिन अति महत्वाकांक्षी होने के चलते कृषि कानूनों के नाम पर सरकार से अलग हो अब अलगाववाद और नफरतों को बढ़ावा देने लगी है। अकाली दल खालिस्तानी कट्टरपंथियों का पर्दे के पीछे से बचाव करने के साथ ही अब RSS पर हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कर अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचारों की बात करने लगा है।
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शिरोमणि अकाली दल अब अपने अंतर्गत आने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जरिए बीजेपी और RSS पर आरोप लगा रही है। दरअसल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसके तहत उसने केंद्र सरकार से अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने की मांग की है। कमेटी ने आरोप लगाया, “आरएसएस हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा को यथार्थ में बदलना चाहता है। इसलिए केन्द्र सरकार को सभी अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए काम करना चाहिए।”
कमेटी द्वारा पारित प्रस्ताव में सिख धर्म के लोगों को महत्वपूर्ण बताते हुए लिखा गया, “भारत बहुसांस्कृतिक, बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक है। सभी धर्मों ने अपनी स्वतंत्रता के लिए एक अच्छा काम किया है। खासकर सिख समुदाय, जिसने 80 प्रतिशत से अधिक समर्पित किया है, लेकिन दुर्भाग्य से, लंबे समय से, हिंदू राष्ट्र आंदोलन के आरएसएस फ़ीड में अन्य धर्मों की स्वतंत्रता के साथ भेदभाव किया गया है। अल्पसंख्यकों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप द्वारा तैयार किया गया था।”
साफ है कि अब अकाली दल अल्पसंख्यकों का पीड़ित कार्ड खेल कर राजनीतिक बिसात बिछाने की तैयारी कर चुका है, क्योंकि एनडीए से हटने के बाद उसके पास राजनीतिक सफलता हासिल करने के लिए कोई बचा नहीं है। इसीलिए वह अब खालिस्तान द्वारा हाईजैक हुए किसान आंदोलन को समर्थन देने के साथ ही पर्दे के पीछे से पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा देने की प्लानिंग कर रहा है, जो उसकी संकुचित राजनीतिक सोच का सटीक प्रमाण है।
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अकाली दल अब इस देश में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बार फिर हिन्दू बनाम सिख के गतिरोध को हवा देने की तैयारी कर रहा है। इसका संकेत अकाली नेता हरसिमरत कौर बादल ने दे दिया था, जब उन्होंने सिखो द्वारा हिंदुओं के जनेऊ की रक्षा करने की बेहद आपत्तिजनक बात कही थी।
पंजाब केसरी की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि कानूनों के विरोध में और 26 जनवरी लाल किला हिंसा मामले पर बोलते हुए हरसिमरत कौर बादल ने लोकसभा में भाषण को दौरान कहा था कि “नौंवे गुरु तेग बहादुर जी ने हिंदुओं का जनेऊ बचाने के लिए शहादत दी थी और अब जब लाल किले पर निशान साहिब चढ़ाया गया तो आप उस पर सवाल खड़े कर रहे हो।“
अकाली दल अब अपनी प्रबंधन कमेटी की शक्तियों का फायदा उठाकर ठीक उसी राह पर चल पड़ा है, जिस पर पहले से ही देश का सबसे अल्पसंख्यक वर्ग चल रहा है। ये दिखाता है कि खालिस्तानियों का समर्थन कर और धार्मिक कट्टरता फैलाकर अकाली पंजाब में अपनी राजनीतिक संभावनाएं तलाश रहे हैं।