‘राधे – योर मोस्ट वांटेड भाई’ का ट्रेलर देखने के बाद बॉलीवुड के बड़े से बड़े दीवाने तो छोड़िए, खुद सलमान भाई के कई प्रशंसकों का विश्वास उठ जाएगा। लेकिन सलमान खान की फिल्म राधे में ऐसा भी क्या है कि लोग इसके प्रदर्शित होने से पहले ही इतना भरभरके सलमान खान और निर्देशक प्रभुदेवा को कोस रहे हैं?
इसके पीछे कई कारण है, जो न सिर्फ ये जताते हैं कि क्यों सलमान खान बदलते समय के साथ बदलना ही नहीं चाहते, बल्कि यह भी सिद्ध करते हैं कि क्यों बॉलीवुड ने अपने दर्शकों को पल्ले दर्जे का बेवकूफ समझ रखा है।
सर्वप्रथम सलमान खान को ही ले लीजिए। जनाब की उम्र 55 से अधिक है, लेकिन अभी भी उन्हे वही रोल करने है, जिसमें वे 30 से 35 वर्ष से अधिक न लगे। यूं तो 2009 में आई ‘वांटेड’ के बाद से सलमान खान के अधिकतर फिल्मों में उनके अभिनय या उनकी शैली में कोई बदलाव नहीं रहा है, लेकिन ‘बजरंगी भाईजान’ और फिर ‘सुल्तान’ से उन्होंने अभिनय और रचनात्मकता के क्षेत्र में प्रगति की थोड़ी आस जगाई थी। लेकिन 2018 से सलमान खान फिर वही पुराने ढर्रे पर लौट आए, और इस बार भी ‘राधे’ में कोई नयापन नहीं है।
वही मारधाड़, वही अजीबोगरीब स्टंट, अपनी बेटी के उम्र के लड़की के साथ रोमांस करना – सलमान खान जैसे थे, वैसे ही हैं। अब तो अक्षय कुमार, अजय देवगन, रितिक रोशन जैसे सितारे कम से कम अधेड़ उम्र के रोल के लिए कोशिश तो कर रहे हैं, परंतु सलमान खान टस से मस नहीं हुए हैं।
इसके अलावा सलमान खान ये भी भूल रहे हैं कि OTT के दौर में ‘राधे’ जैसी फिल्में ऐसे माध्यमों पर बिल्कुल नहीं चलती। महेश भट्ट ने भी पिछले वर्ष यही भूल की, जब उन्होंने अपनी घटिया फिल्म ‘सड़क 2’ को हॉटस्टार चैनल पर रिलीज किया। सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर लोगों में काफी रोष था, लेकिन महेश भट्ट को लगा कि यह गुस्सा क्षणिक है और जल्द ही ठंडा हो जाएगा। फिर आगे क्या, ये हम और आप बेहतर जानते हैं।
लेकिन इसके बावजूद बॉलीवुड के निर्माताओं ने मानो OTT पर अपने दोयम दर्जे की फिल्में थोपने के लिए एक आसान माध्यम समझ लिया है, और ‘लूडो’ एवं ‘लूटकेस’ को छोड़कर कोई भी फिल्म ऐसी नहीं थी, जिसे देखने के बाद अगले कुछ हफ्तों तक भी लोग याद रख पाएँ। कई लोगों का मानना है कि ‘राधे’ सलमान खान की ‘वांटेड’ का ही सीक्वेल है, तो कुछ लोगों का मानना है कि ये फिल्म सलमान खान के सभी पुराने फिल्मों का मिश्रण है।
लेकिन इस फिल्म के डायलॉग तक ऐसे हैं, कि फिजिक्स तो छोड़िए, बायोलॉजी भी अगर मनुष्य रूप में होता, तो अपना सर दीवार में भिड़ाने लगता। विश्वास नहीं होता तो ये डायलॉग देखिए, “अगर अब कोई आगे बढ़ा, तो फिर ब्लैडर की जगह फेफड़ा होगा और लीवर की जगह किडनी”
https://twitter.com/Okprabhat/status/1385143892987695106
अब ऐसे माहौल में मीम बनाने वाले कैसे पीछे रहते? लोगों ने इस फिल्म के वाहियात ट्रेलर पर जमकर मीम और अन्य प्रकार के चुटकुले पोस्ट किए। इनमें से सलमान खान के डायलॉग पर टिप्पणी करता है, “भाई, ये कौन सा नशा है?”
https://twitter.com/Okprabhat/status/1385143892987695106
एक ट्विटर यूजर ने तो राधे को रेस 3 के डिलीटेड दृश्यों का संगम बताते हुए यह ट्वीट किया
https://twitter.com/prashant_pusp/status/1385129352166187008
कुल मिलाकर ‘राधे’ नया साल वही माल है से अधिक कुछ नहीं है, जो ये भी सिद्ध करता है कि ज़माना चाहे इधर से उधर हो जाए, बॉलीवुड वाले न सुधरे थे और न ही सुधरेंगे। कोरोना तो खत्म हो जाएगा, लेकिन जो नुकसान राधे देश के फिल्म उद्योग और अपने प्रशंसकों के दिमाग का करेगा, उसका इलाज कब होगा?