ठाकरे & Co. को हिमन्ता पर हमला बोलने से पहले खुद के प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए

असम और महाराष्ट्र में तुलना ....हो ही नहीं सकती

हम सभी ने बचपन में कछुए और खरगोश की कहानी सुनी ही थी, कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए आगे निकल गया और खरगोश अपनी सक्षमता के घमंड में हार गया,  लेकिन महराष्ट्र और असम के बीच भी आज कुछ ऐसी ही स्थितियां आ गई हैं क्योंकि शिवसेना नेत्री और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा को कोविड के दौरान मास्क न लगाने से लेकर नियमों का पालन न करने पर उनकी आलोचना की है।

इस आलोचना को पहली नजर में देखने पर तो लगता है कि साधारण सी बात है लेकिन नहीं,  शिवसेना सांसद के इरादे राजनीति के हैं। इसीलिए ये जरूरी हो जाता है कि ये बताया जाए कि महाराष्ट्र और असम में कोरोना को लेकर क्या भिन्नताएं हैं, क्योंकि महाराष्ट्र की कोरोना को लेकर जो स्थिति है, उसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार से जुड़ा कोई नेता दूसरे राज्य को कुछ न ही बोले तो बेहतर होगा।

दरअसल एक वीडियो को ट्वीट करते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने असम के स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता हेमंता बिस्वा सरमा पर हमला बोला कि हेमंता कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ये बिल्कुल ही आपत्तिजनक बात है कि एक तरफ देश में कोरोना वायरस  के मामले बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर असम के स्वास्थ्य मंत्री बिना मास्क लगाए हैं, क्या असम कोरोना मुक्त हो गया है?”

साफ है कि उनकी मंशाएं राजनीति की है क्योंकि असम में चुनाव चल रहे हैं और शिवसेना चुनाव भले नहीं लड़ रही, लेकिन कांग्रेस का समर्थन जरूर कर रही है। इसीलिए असम की राजनीति के सबसे महत्वपूर्ण बीजेपी नेता पर उन्होंने कोरोना नियमों को लेकर हमला बोल दिया।

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प्रियंका चतुर्वेदी तो बोलकर निकल गईं लेकिन क्या ये हिमंता बिस्वा सरमा को लेकर उनका ये बयान जाएज  है? क्योंकि असम और महाराष्ट्र के बीच कोरोना की तुलना नहीं की जा सकती है। असम और महाराष्ट्र में सुविधाओं की बात करें तो असम प्रत्येक मुद्दे पर महाराष्ट्र से पिछड़ ही जाएगा। इसके बावजूद अगर कोरोना वायरस की बात करें तो असम में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के कुल 68 मामले सामने आए हैं। वहीं महाराष्ट्र में पिछले एक दिन में ही 57,074 मामले सामने आए हैं।  महाराष्ट्र में इस समय कोरोना वायरस को लेकर सबसे बदतर स्थिति में जा चुका है।

 

इस मसले पर हेमंता ने भी ट्वीट कर हमला बोलने वालों को सटीक जवाब दिया है। उन्होंने लिखा, “जो लोग मेरे मास्क वाले बयान को लेकर बयान दे रहे हैं। उन्हें ये सीखना चाहिए कि कैसे असम में हमने कोरोना को कैसे काबू किया। दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल जैसे राज्यों तुलना में आगे निकल कर हमने देश की अर्थव्यवस्था में अपना सक्रिय योगदान दिया है और हम इसी हर्षोल्लास के साथ बिहू का जश्न भी मानएंगे।” बिहू के जश्न का उल्लेख करके उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के मुंह पर तमाचा मारा है क्योकिं महाराष्ट्र एक पुनः पाबंदियों की जद मे जा चुका है।

एक तरफ असम है जहां कोरोना के मामले दिन-ब-दिन कम होते चले जा रहे हैं और जहां वैक्सीनेशन का काम धड़ल्ले से चल रहा है तो दूसरी ओर महाराष्ट्र में कोरोनावायरस को लेकर स्थितियां ऐसी हैं कि महाराष्ट्र सरकार नाइट कर्फ्यू से लेकर वीकेंड में लॉकडाउन लगाने की घोषणा कर चुकी है। दूसरी ओर असम में कोरोना को लेकर अभी भी सभी तरह के नियमों का पालन किया जा रहा है. जबकि महाराष्ट्र की स्थिति ये है कि देश के 11 राज्यों  ने महाराष्ट्र से आने वाले लोगों के लिए कोरोना निगेटिव रिपोर्ट साथ लाने की बाध्यता जारी कर दी है जो दिखाता है कि महाराष्ट्र एक बार फिर कोरोना को लेकर प्रसारक की भूमिका में आ सकता है।

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इन परिस्थितियों के बीच जब देश में चीजें सामान्य होने लगी थीं, तो महाराष्ट्र सरकार की गलतियों के कारण बढ़े कोरोना के मामले अब फिर देश के लिए मुसीबत बनने लगे हैं, क्योंकि अन्य राज्यों में भी कोरोना के प्रसार से केस फिर बढ़ने लगे हैं। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के घटक दल एनसीपी और कांग्रेस लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं हैं जिसके चलते नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन का फैसला लिया गया है। अघाड़ी सरकार ये दिखाना किसी भी कीमत पर दोबारा संपूर्ण लॉकडाउन लगाने का दंश अपने ऊपर नहीं लेना चाहती है। यही कारण है कि अनेकों प्रतिबंधों के साथ शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अंतर्गत राज्य में अघोषित लॉकडाउन लगा दिया है।

ऐसे में अपने राज्य की स्थिति को देखने के बावजूद शिवसेना असम के स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता हेमंता बिस्वा सरमा को निशाने पर लेने की राजनीतिक कोशिश कर रही हैं, जबकि हेमंता ने असम में कोरोना का काबू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही कारण है कि एक तरफ जहां कोरोना के मामले महाराष्ट्र जैसे संसाधनों वाले राज्य में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर कम संसाधनों वाले कछुए की तरह चल रहे असम में कोरोना सुस्त पड़ता जा रहा है, जो कि हेमंता की सफलता का पर्याय है।

ऐसे में शिवसेना के ऊपर ये कहावत बिल्कुल फिट बैठती है कि जिनके खुद के घर शीशे के हो वो दूसरों पर पत्थर कतई नहीं फेंका करते, और ये बात शिवसेना के अन्य नेताओं को भी समझनी चाहिए।

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