24 मार्च 2020 को अपने भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Covid-19 के संक्रमण को रोकने के लिए नागरिकों से हाथ जोड़कर आग्रह किया था कि निर्देशों का पालन करें। साथ ही 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। उन्होंने इस दौरान एक और बेहद महत्वपूर्ण बात कही थी केंद्र और राज्य सरकारों ने देश भर में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए 15000 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। यानी वह लॉकडाउन देश भर में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, इसे बढ़ाने और आगे किसी भी ऐसी समस्याओं से निपटने में सक्षम होने के लिए कहा था।
परन्तु आज जिस तरह से कोरोना दोबारा फ़ैल रहा है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सिर्फ कुछ ही राज्यों ने पीएम मोदी की बातों पर ध्यान दिया और बाकि राजनीति करने में ही व्यस्त रहे। आज जिस राज्य में देखा जाये कोरोना के कारण हालात पिछले वर्ष की तुलना में कहीं अधिक घातक हैं और अधिक तेजी से फ़ैल रहा है। पिछले वर्ष के रिकॉर्ड को पार करते हुए अब दिन भर में पॉजिटिव मामलों की संख्या 1 लाख को भी पार कर चुका है। देश भर के कई अस्पतालों को अत्यधिक संक्रामक बीमारी के बढ़ते बोझ को संभालने में अपनी क्षमताओं से अधिक बोझ उठाना पड़ रहा है।
महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे राज्यों के साथ-साथ पंजाब और कर्नाटक में महामारी की स्थिति भयंकर है, और ये राज्य पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे और ऑक्सीजन से वेंटिलेटर तक के उपकरणों की कमी झेल रहे हैं। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और पंजाब सहित आठ राज्यों में कोरोना के दैनिक नए मामलों में भयंकर तेजी आई है। अगर देखा जाये तो इन 8 राज्यों से ही 81.90% नए मामले सामने आए हैं। मुंबई की स्थिति भारत में सबसे खराब है। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) को पिछले हफ्ते अधिक गंभीर लक्षणों वाले रोगियों के लिए बेड खाली करने के लिए asymptomatic रोगियों को डिस्चार्ज करना पड़ रहा। महाराष्ट्र की हालत इतनी ख़राब हो गयी है कि अहमद नगर में कई रोगों से पीड़ित एक रोगी की अस्पताल में बेड न मिलने के कारण कार में ही मृत्यु हो गयी।
A severely ill man, suffering from multiple ailments, dies in the car as family ferries him from hospital to hospital in Maharashtra’s Ahmednagar as all beds are full of Covid patients…
What a pitiable condition MVA, led by Uddhav Thackrey, has reduced Maharashtra to. pic.twitter.com/3nTUBKivHa
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) April 14, 2021
Maharashtra: Relatives & families of #COVID19 patients in Pune sit on protest outside Collector's office demanding Remdesivir. A woman says "My father is hospitalised for last 6 days, his medications haven't begun completely. He's in ICU. I've looked for Remdesivir in all cities" pic.twitter.com/t3tkhoQI5y
— ANI (@ANI) April 15, 2021
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव ब्लॉक में 4 मरीजों की ऑक्सीजन ना मिलने के चलते मौत हो हई. स्थिति यह हो चुकी है कि सभी का दाह संस्कार के लिए कचरा वाहन का इस्तेमाल किया गया।
गुजरात में लोगों को शवगृह के आगे भी इंतजार करना पड़ रहा है जिससे वे अपने प्रियजनों का दाहसंस्कार कर सकें।
No Respite After Death!
Video showing people waiting for long to cremate their near & dear ones amid resurgence in Corona pandemic in Surat #Gujarat sends people into a tizzy. pic.twitter.com/wk0nP5pcak
— OTV (@otvnews) April 10, 2021
ऐसी स्थिति में नेताओं के बचकाने बयान घाव पर नमक डालने का काम करते हैं। उदहारण के लिए मध्य प्रदेश के मंत्री प्रेम सिंह पटेल से covid-19 के कारण हुई मौतों के बारे में पूछने पर कहते हैं ‘बूढ़े होने पर लोग मरते ही हैं।’ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एल-3 अस्पतालों में आईसीयू के बेड फुल हो गए हैं। यही नहीं, प्रयागराज में निजी कोविड अस्पतालों में भी बेड खाली नहीं हैं। तेलंगाना में भी हालात काबू से बाहर हैं।
#Breaking | 'People die when they get old also', says Madhya Pradesh minister Prem Singh Patel when asked about deaths due to Covid-19.
Govind with details & news analysis. pic.twitter.com/3OhRitM8bL
— TIMES NOW (@TimesNow) April 15, 2021
जब पिछले वर्ष कोरोना शुरू हुआ था तब से केंद्र ने केवल अस्पताल के उपकरणों पर 300 करोड़ से अधिक खर्च किए वहीं, निजी अस्पतालों ने आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के क्षेत्र में निवेश किया और कोरोना से निपटने के लिए सुविधाएं बनाने के लिए अस्पताल के बुनियादी ढांचे का पुनर्गठन किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड -19 उपचार के लिए 205 से अधिक स्वास्थ्य केन्द्रों को अपने हवाले लिया है जिनमें आयुष, कोयला, रक्षा, मानव संसाधन विकास, गृह मंत्रालय, बिजली, जहाजरानी, रेलवे और इस्पात मंत्रालय के स्वास्थ्य केन्द्र शामिल हैं। सभी अस्पतालों में covid-19 के उपचार की आवश्यकताओं के अनुसार संरचनात्मक परिवर्तन किये गए हैं। इसके अलावा, 17 राज्यों में सभी केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पताल, covid-19 अस्पताल बन गए हैं, जिनमें बड़े स्तर पर बदलाव किये गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश ने covid -19 के प्रबंधन के लिए अस्पताल के बुनियादी ढांचे में व्यापक रूप से वृद्धि की है, जिसमें देश के अन्दर 468,974 covid बेड के साथ 2,084 corona समर्पित अस्पताल (केंद्र: 89 और राज्यों: 1,995) हैं। पिछले ही वर्ष 13 मई को, सरकार ने मेड इन इंडिया वेंटिलेटर के लिए PMCares Fund से 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। हालांकि दशकों से नजरंदाज किये गए इस क्षेत्र को एक वर्ष में ठीक नहीं किया जा सकता है और स्वस्थ्य कर्मचारियों की कमी तथा देश भर में एक व्यवस्थित इंफ्रास्ट्रक्चर को किसी भी कोरोना जैसी आपात स्थिति के लिए तैयार करने में समय लग सकता है। परन्तु इसमें राज्यों की भागीदारी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। कोरोना के लॉकडाउन के बाद कुछ राज्यों ने अपने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को वास्तविक रूप से बढ़ाया है वहीं, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य राजनीति करने में ही व्यस्त रहे जिसका खामियाजा राज्य की जनता को उठाना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की पहले लॉकडाउन के समय स्वास्थ्य ढांचों को बढ़ाने पर कही हुई बातों पर ध्यान न देने के कारण आज देश में दोनों पूर्ण लॉकडाउन की स्थिति आ चुकी है।