अनिल देशमुख का इस्तीफा उद्धव सरकार को नहीं बचा सकता, ये इस्तीफा तो केवल एक शुरुआत है

अब इस्तीफों की लंबी लाइन लगने वाली है!

अनिल देशमुख

महाराष्ट्र की सियासत में हाईकोर्ट के फैसले से भूचाल-सा आ गया है। सचिन वाझे केस को लेकर मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह पर जब ढुलमुल नीतियां अपनाने के कारण ट्रांसफर और डिमोशन की गाज गिरी तो ये गाज महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को भी लपेटे में ले गई। इस मुद्दे पर परमवीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद आए हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के फरमान के कारण गृहमंत्री अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा है। ऐसे में एक शख्स के फंसने के बाद दूसरे का खुलासा होना दर्शाता है कि अभी महाराष्ट्र में अभी इस्तीफे का लंबा दौर चलेगा।

सचिन वाझे केस के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह पर कार्रवाई होना, महाराष्ट्र सरकार के लिए मुसीबत बन गया है, क्योंकि परमवीर सिंह ने हाइकोर्ट में 100 करोड़ की वसूली के मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। हाईकोर्ट ने उनकी मांग को स्वीकृति देते हुए 15 दिन के अंदर प्राथमिक रिपोर्ट दाखिल करने की बात कह दी। ऐसे में गृह मंत्री अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा है, लेकिन क्या ये मामला अब इस्तीफे पर आकर खत्म हो जाएगा ? यकीनन नहीं।

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इस पूरे केस में शुरुआत से ही मजबूरन बर्खास्तगियों का खेल चल रहा था, लेकिन इस्तीफे तो अब शुरू हुए हैं। मुंबई में देश के प्रसिद्ध बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के घर के बाहर एक विस्फोटक से भरी कार मिली। इसके बाद कार मालिक का शव एक नाले में मिला। इसके साथ ही इस मामले में मुबंई क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारी सचिन वाझे की एंट्री हुई। पहले इस मामले में महाराष्ट्र सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना ने उसका बचाव किया और बाद में मजबूरन उसकी बर्खास्तगी हुई।

सचिन वाझे के साथ हुई यही क्रोनोलॉजी परमवीर सिंह के साथ भी हुई, पहले उन पर सचिन वाझे को संरक्षण देने के आरोप लगे। फिर महाराष्ट्र सरकार ने उनका ट्रांसफर कर उन्हें होमागार्ड का डीजी बना दिया, जो कि एक सांकेतिक बर्खास्तगी ही है। ऐसे में अपने ऊपर सारा भांडा फूटता देख परमवीर सिंह ने इस केस में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख की एंट्री करा दी और उन पर सचिन वाझे के जरिए राज्य में प्रतिमाह 100 करोड़ रुपए की उगाही के गंभीर आरोप लगा दिए। पहले राजनीतिक संरक्षण के चलते वो बचते रहे, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के बाद अनिल देशमुख को भी इस्तीफा देना पड़ा।

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इस पूरी क्रोनोलॉजी को समझने पर साफ दिखाई देता है कि राज्य में एक छोटी मछली के पकड़ में आने के बाद धीरे-धीरे बड़ी मछलियां लपेटे में आ रही हैं। ऐसे में सीबीआई जांच के आदेश को देखते हुए कहा जा सकता है कि इसी क्रोनालॉजी के तहत राज्य में अन्य कई बड़ी मछलियां सामने आ सकती हैं, जिनकी इस केस में संलिप्त होने की संभावनाएं हैं।

ये दिखाता है कि महाराष्ट्र में अभी अनेक सियासी भूचाल देखने को मिल सकते हैं। वहीं इस पूरे मामले में केन्द्र में महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी हैं, क्योंकि उन्होंने सचिन वाझे से लेकर परमवीर सिंह और अपने गृहमंत्री  अनिल देशमुख तक का बचाव किया और अब ये तीनों कानून के कठघरे में खड़े हैं।

इस केस में अब विपक्ष उद्धव पर भी आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण देने का आरोप लगा रहा है, जो कि उद्धव के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। इसीलिए संभावनाएं हैं कि सीबीआई जांच के दौरान महाराष्ट्र में इस्तीफों का लंबा दौर चल सकता है और एक-एक इस्तीफा उद्धव की सीएम पद की कुर्सी को कमजोर करेगा।

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