जिसे इमरान और आर्मी ने अपने हाथों से खाना खिला के TLP बनाया था, वही TLP इनके गले की फांस बन चुकी है

पाकिस्तान में सिविल वॉर जैसे हालात!

इमरान

पिछले वर्ष फ्रांस में मुस्लिम कट्टरपंथी द्वारा प्रगतिशील अध्यापक सैमुएल पेटी की हत्या के बाद पूरी दुनिया में Islamism के खिलाफ रोष देखने को मिला था। कक्षा में प्रॉफ़ेट मुहम्मद के कार्टून दिखाने के “अपराध” के लिए जब एक आतंकवादी ने फ्रेंच अध्यापक की हत्या की तो फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanuel Macron खुलकर उनके समर्थन में आ गए और उन्होंने देश से इस्लामिस्टों को जड़ से उखाड़ने का प्रण लिया। हालांकि, फ्रांस सरकार के इस रुख से तब पाकिस्तानी कट्टरपंथियों को बड़ी मिर्ची लगी थी और अब वे इतना बौखला गए हैं कि इमरान के पाकिस्तान में सिविल वॉर तक की नौबत आ गयी है।

दरअसल, पाकिस्तानी कट्टरपंथी फ्रांस सरकार पर “इशनिन्दा” को समर्थन देने का आरोप लगा रहे हैं। इसलिए पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने पिछले दिनों पाकिस्तान सरकार के सामने फ्रांस के राजदूत को निष्काषित करने की deadline रखी थी। इसके साथ ही इन कट्टरपंथियों ने देश में फ्रांस के सामान को प्रतिबंधित करने की भी मांग की थी। फ्रांस के खिलाफ इस अभियान का नेतृत्व कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक कर रहा है, जिसने उनकी मांग पूरी करने के लिए इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक मोहलत दी थी। हालांकि, इससे पहले ही पाकिस्तानी सरकार ने ना सिर्फ तहरीक-ए-लब्बैक पर प्रतिबंध लगा दिया बल्कि उसके नेता साद रिजवी को भी गिरफ्तार कर लिया।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कट्टर इस्लामी पार्टी के समर्थकों की गुंडई को देखते हुए पाकिस्तान ने बुधवार को आतंकवाद अधिनियम के तहत तहरीक-ए-लब्बैक पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया। इस दौरान हुई झड़पों में सात लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने देशभर में टीएलपी के 2 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का दावा किया है। इनमें से अधिकतर को पंजाब से गिरफ्तार किया गया है। बढ़ी हिंसा के बीच फ्रांस ने अपने नागरिकों से जल्द से जल्द पाकिस्तान छोड़ने को कहा है।

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बता दें कि TLP पाकिस्तान में प्रभावशाली संगठन है और यह शुरू से ही पाकिस्तान में सरकार पर इशनिन्दा से जुड़े क़ानूनों को रद्द न करने के दबाव बनाता आया है। पिछले वर्ष नवंबर में जब राष्ट्रपति Macron ने सैमुएल पेटी को अपना समर्थन ज़ाहिर किया था तो TLP ने पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। राजधानी इस्लामाबाद में TLP ने एक बड़े हाइवे को ब्लॉक कर दिया था जिसके बाद दबाव में आकर इमरान खान सरकार ने TLP के साथ एक समझौता कर TLP की सभी मांग मानने की बात कही थी।

अब जब इमरान सरकार ने TLP को प्रतिबंधित कर दिया है तो TLP अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है। ऐसे में अब TLP ने इमरान सरकार और पाक सेना के खिलाफ अभियान छेड दिया है। पाकिस्तानी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने हेतु पाकिस्तान तालिबान ने भी TLP को अपना समर्थन दे दिया है।

उधर पाक सरकार ने TLP को बैन कर दिया है, जिसके बाद पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होना शुरू हो गए हैं। स्पष्ट है कि पाकिस्तानी सेना और सरकार का यह कदम baclfire कर गया है। पाक सेना और पाक सरकार द्वारा TLP पर दिखाये गए नर्म रुख का ही प्रभाव है कि आज TLP पाक सरकार की गले की फांस बन चुकी है।

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