नए Jack Ma के उदय को रोकने के लिए जिनपिंग ने अमेरिकी पूंजीवाद को बढ़ावा देने वाले कंटेन्ट पर लगाया बैन

पूंजीवाद

एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है, तो वहीं दूसरी तरफ चीन अपने देश में यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि चीन का साम्यवाद जीवित रहे और चीन की अगली पीढ़ी पूंजीवाद के बारे में पढ़ कर दूसरा जैक मा पैदा न कर सके, इसके लिए CCP अब चीन में पढ़ाए जाने वाले स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स जैसे पूंजीवादियों पर आधारित पुस्तकों को पूरी तरह बैन कर शी जिनपिंग के भाषणों को जोड़ रहा है।

Nikkei Asia की रिपोर्ट के, अनुसार चीन अब अपने देश से पश्चिमी और पूंजीवादी मानसिकता को समाप्त करने के लिए उन सभी पुस्तकों को पाठ्यक्रम से हटा रहा है जो पूंजीवाद को बढ़ावा देता है।

हालांकि चीनी अधिकारियों के अनुसार प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के पुस्तकालयों से उन पुस्तकों को हटाने का आदेश दिया गया है, जो देशभक्ति की कीमत पर पश्चिमी मूल्यों को बढ़ावा देते हैं, परंतु सच तो यह है कि CCP यह नहीं चाहती कि चीन की अगली पीढ़ी पूंजीवाद से प्रेरणा ले और आगे जा कर जैक मा की तरह ही CCP को चुनौती दें।

चीन में शिक्षा मंत्रालय का यह निर्णय 1 अप्रैल के आसपास लागू  हुआ। बीजिंग में एक कॉलेज ने हाल ही में शी जिनपिंग के भाषणों का संग्रह “चीनी राष्ट्र के महान कायाकल्प के चीनी सपने” को अपने पुस्तकालय में भरा था और अब यह सभी स्कूल और कॉलेजों के पुस्तकालयों में किया जायेगा।

CCP का यह आदेश करीब 240 मिलियन प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के छात्रों को प्रभावित करेगा, जिसमें किंडरगार्टन भी शामिल हैं। यह स्कूलों द्वारा अनुशंसित पुस्तकों पर भी लागू होता है। इसके पीछे अधिकारियों का लक्ष्य यह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का 1 जुलाई को होने वाले शताब्दी वर्ष से पहले युवा लोगों के बीच शी के प्रति वफादारी और समर्पण का भाव बढ़ सके।

अगर कोई भी ऐसी पुस्तक जो कि CCP द्वारा निर्धारित नीतियों का काउंटर करें, तो उन सभी पुस्तकों को लक्षित किया जाएगा, खास कर पश्चिमी और जापान के लोकतंत्रों के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विचारों को बताने वाली।

कम्युनिस्ट पार्टी के संविधान का पहला पैराग्राफ ही यह बताता है कि “सर्वोच्च आदर्श और अंतिम लक्ष्य साम्यवाद की उपलब्धि है।”  अब तक, स्कूलों ने बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स की पसंद पर पुस्तकों की सिफारिश की है। ये अमेरिकी पूंजीवाद के सबसे बड़े पोस्टर बॉय हैं, ऐसे में चीन की सत्तावादी सरकार को यह डर है कि कहीं आने वाली पीढ़ी इनसे प्रेरित हो कर उनकी सत्ता और साम्यवाद को चुनौती न दे या जैक मा जैसी हस्ती दुबारा न बन जाये जो CCP को चुनौती दें सके।

चीन की सत्ता पर कब्ज़ा जमाने के लिए CCP ऐसा पहली बार नहीं कर रही है। इससे पहले भी चीन के अंदर वर्ष 1989 में तियानमेन चौक पर चीनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के बाद सरकार ने ऐसी विरोधी घटनाओं को भविष्य में होने से रोकने के लिए “Patriotic Education Campaign” चलाया था। इस कैंपेन के तहत चीन की शिक्षा प्रणाली में अमूल-चूल परिवर्तन किये गये परंतु इसी परिवर्तन ने चीन की अगली पीढ़ी में राष्ट्रवाद की ऐसी भावना पैदा की कि आज यह देश CCP के इशारों पर नाचना लगा है।

यह कैंपेन कुछ और नहीं बल्कि भविष्य के लिए चीनी युवाओं का ब्रेनवाश करने की एक प्लैनिंग थी, जिससे की  CCP को देश के अंदर से चुनौती ना मिले। इस कैंपेन में ऐसा इतिहास पढ़ाया गया कि चीनी युवाओं को यह विश्वास हो गया कि पश्चिमी सभ्यता उन्हें नुकसान पहुंचाना चाहती है और CCP उन्हें बचा रही है। इसी तरह ब्रेनवाश कर चीन के लोगों की स्वतंत्रता छीन ली गई। आज शी जिनपिंग के सामने नई तरह की चुनौती है और विश्व को पूंजीवाद के तरफ बढ़ते देख और पूंजीवादियों की बढ़ती ताकत को देखते हुए उन्होंने यह फैसला किया कि पूंजीवाद को बढ़ावा देने वाली पुस्तकों को ही बैन कर दिया जाये। बता दें कि पिछले कुछ समय पहले जैक मा ने एक कार्यक्रम के दौरान CCP की नीतियों को गलत बता दिया था जिसके बाद उन्हें और उनकी कंपनी को इस तरह निशाना बनाया गया कि कोई आगे से चीन में पूंजीपति बनने की सोच भी नहीं सकता। आज कोई यह नहीं जानता कि जैक मा कहाँ हैं। अब CCP चीन के पाठ्यक्रम से कैपिटलिस्ट या पूंजीवाद शब्द को ही गायब करना चाहती है जिससे दूसरे जैक मा पैदा न हो सके।

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