कभी शहरी इलाकों पर TMC का राज होता था, इस बार BJP की लहर ज़ोरदार है

बंगाल में BJP की आँधी बरकरार!

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पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने 6-7 सालों में जमीनी स्तर पर कुछ यूं काम कर अपना जनाधार मजबूत किया है कि आज की स्थिति में बीजेपी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को सत्ता से बेदखल करने की प्लानिंग को सफल साबित करती दिख रही है। चार चरणों के चुनावों के बाद अब शहरी सीटों यानी भद्रलोक की बारी आई है जिसे मुख्यमंत्री ममता के लिए एक गढ़ माना जाता है। साधारण तौर पर शहरी इलाकों की पार्टी के रूप में प्रचारित की गई बीजेपी के लिए हवा बनाई जा रही है, कि BJP के लिए भद्रलोक में असल राजनीतिक चुनौतियां होंगी, लेकिन पार्टी अपनी सटीक प्लानिंग के दम पर ममता दीदी के इस किले को भी आसानी से ध्वस्त करने वाली है।

पश्चिम बंगाल में BJP को लेकर ये शुरू से कहा जाता है कि BJP को ग्रामीण से लेकर आदिवासी और दलितों का खूब समर्थन मिला है, लेकिन पार्टी की स्थिति शहरी इलाकों और भद्रलोक के लोगों के बीच अच्छी नहीं है। पहली नजर में अजीब लग सकता है, क्योंकि बीजेपी के लोग पूरे देश में इस पूरे फॉर्मूले के विपरीत बातें होती हैं। ऐसे में बीजेपी भद्रलोक यानी ममता दीदी के गढ़ में अपनी पैठ जमाने के लिए जमीनी स्तर पर अपनी राष्ट्रीय नीति पर काम कर रही है जो ममता के लिए सटीक साबित हो सकती है।

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बीजेपी एक प्लानिंग के तहत सारा फ़ोकस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को केंद्र में रख रही है। इसके जरिए पार्टी संदेश दे रही है कि पार्टी में पीएम मोदी के नेतृत्व में सख्त फैसले लेने की क्षमता है और वो ममता के कुशासन से आजादी दिलाने के लिए शहरी मतदाता के सामने एक सबसे सहज विकल्प बनकर सामने खड़ी है।

बीजेपी की बैठकों में BJP अध्यक्ष जे पी नड्डा भद्रलोक के लोगों के लिए खास प्लानिंग के तहत बयान दे रहे हैं। ऐसी ही एक बैठक में उन्होंने कहा, “बंगाल में बौद्धिक खोज और चर्चा बंद हो गई है। जहां विचार रुक जाते हैं, वहां समाज का विकास रुक जाता है। आप वशीभूत हो चुके हैं इसलिए आप अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रहे हैं। हम बंगाल में कानून का शासन लाना चाहते हैं। यह सभी के लिए मददगार होगा। बंगाल में प्रशासन का राजनीतिकरण किया गया और पुलिस का अपराधीकरण किया गया।” साफ है कि पार्टी एलीट क्लास और बुद्धिजीवियों के जरिए आम शहरी मतदाताओं को भी अपनी तरफ आकर्षित करने की प्लानिंग कर चुकी है।

इसके अलावा भद्रलोक में ममता के गढ़ को भेदने के लिए बीजेपी बुनियादी सुविधाओं को महत्व देने के साथ ही उच्च स्तरीय सुविधाओं पर भी जोर देने पर काम कर रही है। पार्टी ये बात अच्छे से जानती है कि शहरी मतदाताओं और टैक्स पेयर्स मिडिल क्लास के लोगों को कैसे अपने पाले में किया जा सकता है। पार्टी अपनी उसी नीति पर चलते ‌हुए ही राज्य की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के साथ ही राज्य को आईटी और उद्योगों के लिए सहज बनाने के दावे कर रही है और शहरों में विकास का रोड मैप जनता के सामने रख रही है।  इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि भले ही कोलकाता एक कथित मेट्रोपोलिटन सिटी है लेकिन वो पिछड़ चुका है।

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ऐसे‌ में कोलकाता से लेकर राज्य के महत्वपूर्ण शहरों को विकसित करने के साथ ही देश के अन्य शहरों की तरह ही बंगाल के शहरों में सुविधाओं की भरमार लाने की बात कर रही है। ममता बनर्जी ने भी 2011 के पहले कुछ इसी तरह से लेफ्ट के शासन को खत्म किया था, और उद्योगों को सहजता देने की बात कही थी। ये बात अलग है कि सत्ता में आने के बाद उनकी विचारधारा ही लेफ्ट से मिलती-जुलती हो गई है। ममता की प्लानिंग के अलावा बीजेपी शहरी मतदाताओं को अपने पाले में लाने में भी समर्थ मानी जाती रही है।

बीजेपी के लिए तो ये तक कहा जा सकता है कि देश में शहरी मतदाता भले ही BJP से नाराज हो लेकिन मुख्यतौर पर वो BJP को‌ ही वोट देता है। ऐसे में अपनी उन्हीं नीतियों को आगे बढाते हुए पार्टी ममता दीदी को भद्रलोक में मात देने के लिए तैयार है। ऐसे में जो भद्रलोक को ममता का अभी भी गढ़ समझने की भूल कर रहे हैं उन्हें सबसे बड़ा झटका लगेगा।

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